दुर्गापुर सीट के गठन के बाद पहले चुनाव में ही सीपीएम ने अपना झंडा बुलंद कर दिया लेकिन इसके बाद तृणमूल ने 2014 में यह सीट छीन ली. बीजेपी यहां जिस तरह से आगे बढ़ रही है उससे इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के आसार जताए जा रहे हैं.
बर्धमान दुर्गापुर नया संसदीय क्षेत्र है जिसका गठन 2009 में हुआ था. बर्धमान दुर्गापुर बर्धवान जिले के अंदर आता है जो बर्धमान का मुख्यालय भी है. यह शहर कोलकाता से 100 किलोमीटर दूर है. यह एक महत्वपूर्ण शहर है जो सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है. यहां का की साक्षरता दर 89 फीसदी है.
यहां की कुल आबादी में 84 फीसदी हिस्सा हिंदुओं का है. यह शहर हिंदू देवता कनकेश्वरी कली के नाम से प्रसिद्ध है. यहां पर बहुत से स्कूल और कॉलेज हैं जिनका पूरे देश में नाम है. यहां का प्रसिद्ध सेंट जेवियर स्कूल अपनी शिक्षा के लिए पूरे देश में जाना जाता है. इस जिले की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. बहुत से लोग चावल की खेती करते हैं. इस जिले को धान के कटोरा के रूप में भी जाना जाता है. बर्द्धमान दुर्गापुर से एनएच 2 निकलता है जो पूरे देश को इस शहर से जोड़ता है.
सामाजिक ताना-बाना
बर्धमान दुर्गापुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. यह बर्धमान जिले में स्थित है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 2121614 है. इसमें से 85.52 फीसदी आबादी ग्रामीण और 14.48 फीसदी शहरी आबादी है. यहां अनुसूचित जाति और जनजाति का रेश्यो 31.39 फीसदी और 8.09 फीसदी है. 2017 की मतदाता सूची के मुताबिक यहां मतदाताओं की संख्या 1628054 है.
बर्धमान दुर्गापुर में 7 विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें से 5 पर तृणमूल के, एक पर सीपीएम का और एक पर कांग्रेस का विधायक है.
1-बर्धमान दक्षिण से AITC के रबिरंजन भट्टाचार्य विजयी हुए हैं.
2-मोंटेश्वर AITC के सजल पंजा जीते हैं.3- बर्धवान उत्तर (एससी) AITC के नीतीश कुमार मलिक विधायक हैं.
4-भातर AITC के सुभाष मंडल जीते हैं.
5-गलसी (एससी) AITC के आलोक कुमार माझी विधायक हैं.
6-दुर्गापुर पूर्बा CPM के संतोष देबरे जीते हैं.
7-दुर्गापुर पश्चिम कांग्रेस केविश्नंताह पारियल विधायक हैं
कैसा रहा 2014 का चुनाव
इस संसदीय सीट का गठन 2009 में हुआ था. पहले चुनाव में बर्धमान दुर्गापुर से सीपीएम के प्रोफेसर एस. के सैदुल हक को विजय मिली उन्होंने कांग्रेस की नरगिस बेगम को हराया था. 2014 के चुनाव में फिजां बदल चुकी थी और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की डॉक्टर ममताज संघमिता ने सीपीएम के एस के सैदुल हक को हरा दिया और यहां की सांसद चुनी गईं.
2014 के चुनाव में यहां 86.22 फीसदी वोटिंग हुई थी वहीं पर 2009 में 87.21 फीसदी. 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को यहां 43.5 फीसदी, सीपीएम को 34.84 फीसदी , बीजेपी को 12.93 फीसदी और कांग्रेस को 5.22 फीसदी वोट मिले थे.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
डॉक्टर ममताज संघमिता ने कुल 58 डिबेट में हिस्सा लिया. एक प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आईं और कुल 28 सवाल पूछे. संसद में इनकी हाजिरी 72.44 फीसदी रही. सांसद निधि के तौर पर इन्हें 25 करोड़ रुपये मिले थे जिसमें से विकास कार्यों पर इन्होंने 15.39 करोड़ खर्च किए. यानी इन्होंने 61.56 फीसदी राशि ही खर्च कर पाईं.
जरा हटके
डॉक्टर ममताज संघमिता एक जानी मानी डॉक्टर हैं और कई संस्थाओं की सदस्य हैं. ममता बनर्जी ने एक नया विकल्प पेश करने के तहत साफ सुथरी छवि वाले लोगों को टिकट देने का फैसला किया था. इसके तहत ही डॉक्टर ममताज को टिकट दिया था.उन्होंने कई किताबें लिखी हैं जिसमें डोमेस्टिक वॉयलेंस इन वूमेन? मेडिको लीगल बुक एसपेक्ट इन ऑबस्ट्रेटिक्स एंड गायनोकलॉजी बाई FOGSI.उन्होंने मेडिकल की कुछ किताबों में भी योगदान किया है. जैसे मेटॉबॉलिज्म इन प्रेगनेन्सीज इन वेट चेंज ?
सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां- वह रजिस्टर्ड थियेटर ग्रुप कोलकाता के मटिया नत्यम की फाउंडर मेंबर हैं. वह कोलकाता क्रियेटिव आर्ट परफॉर्मर्स की प्रेसिडेंट हैं.
अमित राय