गुजरात में कांग्रेस का बड़ा दांव, भरूच से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं अहमद पटेल

गुजरात में कांग्रेस अब बड़ा दांव चलने की तैयारी में है. गुजरात की भरूच लोकसभा सीट से अहमद पटेल कांग्रेस उम्मीदवार हो सकते हैं. साल 1977, 80 और 85 में गुजरात की भरूच सीट से लोकसभा सांसद रहे चुके अहमद पटेल 1989 में राम मंदिर मुद्दा आने पर 21 हजार वोटों से हार गए थे. उसके बाद पटेल राज्यसभा के रास्ते संसद में पहुंचते रहे हैं.

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राहुल गांधी के साथ अहमद पटेल (Photo: Facebook) राहुल गांधी के साथ अहमद पटेल (Photo: Facebook)

कुमार विक्रांत

  • नई द‍िल्ली,
  • 31 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

गुजरात में कांग्रेस बड़ा दांव चलने की तैयारी में है. गुजरात की भरूच लोकसभा सीट से अहमद पटेल कांग्रेस उम्मीदवार हो सकते हैं. वे सोनिया गांधी के सलाहकार हैं. 1977, 80 और 85 में गुजरात की भरूच सीट से लोकसभा सांसद रहे चुके हैं अहमद पटेल. 1989 में राम मंदिर मुद्दा आने पर 21 हजार वोटों से हार गए थे. 1991 में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद पटेल राज्यसभा से सांसद बनते रहे हैं. अहमद पटेल के हारने के बाद से कांग्रेस भरूच सीट कभी जीत नहीं पाई.

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क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने मांग की है कि अहमद पटेल लड़ें तो भरूच के आस-पास की सीटों पर भी पार्टी को फायदा होगा. अहमद पटेल ने भी चुनाव लड़ने की संभावनाओं को खारिज नहीं किया है, उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से जायजा लेना शुरू कर दिया है. अपने इलाके में बाबूभाई पटेल के घरेलू नाम से जाने जाते हैं अहमद पटेल. ये अभी राज्यसभा सांसद हैं. अहमद पटेल ने  कांटे की लड़ाई में गुजरात से राज्यसभा का चुनाव जीता था.

यह सीट बीजेपी के ल‍िए काफी महत्वपूर्ण

सियासत के लिहाज से यह सीट बीजेपी के ल‍िए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह सीट बीजेपी का वह गढ़ है, जहां पहली बार 1989 में जीत दर्ज करने के बाद से 2014 तक कभी भी पार्टी को हार का मुंह नहीं देखना पड़ा. ऐसे में 2019 के लोकसभा के लोकसभा चुनाव में बीजेपी क्या अपने इस अभेद्य किले को हमेशा की तरह सुरक्षित रख पाएगी या सोन‍िया गांधी के स‍िपहसलार अहमद पटेल फ‍िर से यहां परचम लहराएंगे.

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बीजेपी यहां से एक बार भी चुनाव नहीं हारी

आजादी के बाद 1951 से ही इस सीट पर कांग्रेस की जीत का जो सिलसिला शुरु हुआ था, वह इंदिरा गांधी के वक्त, यहां तक कि आपातकाल में भी चलता रहा. 1984 तक कांग्रेस यहां से जीतती रही. भारतीय जनता पार्टी को 1989 में पहली बार यहां से जीत दर्ज की. उसके बाद से बीजेपी यहां से एक बार भी चुनाव नहीं हारी है.

पहले आठ चुनाव कांग्रेस ने जीते

इस सीट पर अब तक कुल 17 बार चुनाव हुए हैं. इनमें से पहले आठ चुनाव कांग्रेस ने जीते, जबकि पिछले 9 चुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी. सीट पर एक बार 1998 में उपचुनाव हुए और उसमें भी बीजेपी को जीत मिली. यानी बीते 1989 से 2014 तक जितने भी लोकसभा के आम चुनाव या उपचुनाव इस सीट पर हुए, उसमें भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को विजय मिली है.

अहमद पटेल पहली बार भरूच लोकसभा सीट से ही वह सांसद निर्वाचित हुए थे

देश की राजनीति के सबसे बड़े अज्ञात योद्धा कहे जाने कांग्रेस नेता और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल इसी इलाके से आते हैं और पहली बार भरूच लोकसभा सीट से ही वह सांसद निर्वाचित हुए थे. 1977 के चुनाव में अहमद पटेल ने यहां से पहली बार बाजी मारी और फिर लगातार दो और चुनाव (1984 व 1989 लोकसभा चुनाव) भी जीते.

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इसके बाद 1989 और 1991 के चुनाव में भी उन्होंने हाथ आजमाया, लेकिन दोनों ही बार चंदूभाई देशमुख ने उन्हें परास्त कर दिया. अहमद पटेल इन दो हार के बाद कभी लोकसभा सांसद नहीं बने और वह कांग्रेस नेतृत्व तमाम अहम पदों पर होते हुए अब तक राज्यसभा सांसद बनते रहे. इस सीट के दूसरे बड़े नेता मौजूदा सांसद मनसुखभाई वसावा ही हैं, जिन्होंने यहां से सबसे ज्यादा पांच बार चुनाव जीता है.

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