झारखंड चुनाव: रघुवर दास को मिली हार, जमशेदपुर ईस्ट से सरयू जीते

झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर हुए चुनाव की गिनती खत्म हो गई है. नतीजों में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ है. वहीं, बीजेपी गठबंधन को 25 सीटें मिली हैं. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है.

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जमशेदपुर ईस्ट से निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय जमशेदपुर ईस्ट से निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:09 AM IST

  • रुझानों के अनुसार JMM-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनना तय
  • झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन बन सकते हैं मुख्यमंत्री

झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर हुए चुनाव की गिनती खत्म हो गई है. नतीजों में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ है. वहीं, बीजेपी गठबंधन को 25 सीटें मिली हैं. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है. इस चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े सरयू राय ने रघुवर दास को हरा दिया है.

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टिकट न मिलने से सरयू राय का भड़का गुस्सा

बीजेपी नेताओं की आपसी लड़ाई इतनी तल्ख हो गई कि बागी हो चुके सरयू राय ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनावी मैदान में उतर गए. जिस वजह से दोनों नेताओं के बीच लड़ाई सीधी हो गई.

असल में, सरयू राय को इस चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था. जिसके बाद जमशेदपुर में राय ने एक संवाददाता सम्मेलन में गुस्से में कहा था, "पार्टी नेतृत्व से सीट की भीख मांगना मेरे लिए उपयुक्त नहीं है. इसलिए मैंने उनसे मेरे नाम पर विचार नहीं करने को कहा है".

नाराजगी में दिया था मंत्री पद से इस्तीफा

इसी नाराजगी की वजह से ही राय ने विधायक पद के साथ-साथ मंत्रीपद से भी त्यागपत्र दे दिया था. महागठबंधन ने इस मौके को फौरन लपका, पर राय का समर्थन करने से हिचक गया. पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने सरयू राय के इस कदम का स्वागत किया और रांची में कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वे सरयू राय के साथ खड़े हैं. उनके इस बयान के कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस पार्टी ने जमशेदपुर पूर्व सीट से अपने चर्चित प्रवक्ता गौरव वल्लभ को पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा कर दी.

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सरयू राय के संग निशिकांत दुबे का फोटो वायरल

सरयू राय के बहाने मुख्यमंत्री रघुवर दास का विरोधी खेमा सक्रिय दिखा. इसी बीच गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे संग सरयू राय की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई. हालांकि यह फोटो निशिकांत दुबे ने ही 16 नवंबर को पोस्ट किया था और साथ ही मनीर नियाजी का एक शेर भी लिखा, 'जानता हूं एक ऐसे शख्स को मैं भी मुनीर, गम से पत्थर हो गया मगर रोया नहीं.'

सरयू राय के समर्थन में जेएमएम

दरअसल निशिकांत दुबे और सरयू राय के बीच अच्छे संबंध है और दोनों एक-दूसरे को बेहतर समझते हैं. ऐसे में सरयू के फोटो शेयर करने और कार्रवाई न होने के चलते सवाल उठाता है कि क्या सरयू को बीजेपी में एक गुट का समर्थन और सहानुभूति हासिल मिली. यहां तक ​​कि विपक्षी दल जेएमएम के नेता हेमंत सोरेन ने भी सरयू राय को नैतिक समर्थन देने की घोषणा भी कर दी.

जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने स्वीकार किया है कि सरयू राय भ्रष्टाचार के खिलाफ व्हिसल ब्लोअर की तरह लड़ते रहे. ऐसे में सीएम रघुबर दास के भ्रष्टाचार के मामले को उठाते रहे, जिसके चलते उनका टिकट कटा. ऐसे में सीएम के खिलाफ लड़ने का साहस दिखाया. जबकि, इस सीट पर कांग्रेस से गौरव बल्लभ चुनावी मैदान में थे और जेएमएम गठबंधन का हिस्सा है. इसके बावजूद जेएमएम ने सरयू राय को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था.

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भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नायक रहे हैं सरयू राय

अब आपको बताते हैं कि सरयू राय रघुबर दास के लिए कैसे खतरनाक साबित हुए. बिहार-झारखंड में हुए चारा घोटाले को जनता के सामने लाकर उसकी अदालती जांच को अंजाम तक पहुंचाने में सरयू राय की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही. इसके अलावा सरयू राय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को जेल भिजवाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी. झारखंड में उनकी प्रतिष्ठा इससे काफी बढ़ गई. यही वजह है कि चुनावों में सरयू राय का रघुबर दास के खिलाफ आवाज उठाना जनमानस में एक अलग संदेश लेकर गया.

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