हिमाचल चुनाव में भले ही राहुल गांधी प्रचार करने के लिए न उतरे हो, लेकिन गुजरात में कांग्रेस के 27 साल के वनवास को खत्म करने के लिए 'भारत जोड़ो यात्रा' से ब्रेक लेकर पहुंचे हैं. गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद पहली बार राहुल गांधी सोमवार को राजकोट और सूरत में रैली को संबोधित करेंगे. राहुल चुनाव प्रचार अभियान का आगाज गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से कर रहे हैं, जहां पिछले चुनाव में बीजेपी से बेहतर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया था.
सौराष्ट्र में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा था
2017 में पाटीदार आंदोलन के चलते पटेल बहुल सौराष्ट्र क्षेत्र में बीजेपी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था और कांग्रेस को फायदा मिला था. सौराष्ट्र के इलाके की कुल 54 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 23 सीटें ही जीत सकी थी, जबकि 2012 के चुनाव में इस इलाके की 35 सीटों पर कब्जा जमाया था. 2017 के चुनाव में कांग्रेस को 30 और अन्य को एक सीट मिली थी.
सौराष्ट्र के सबसे बड़े जिले राजकोट में कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली थी. जिले की आठ में से छह सीटें बीजेपी के खाते में गई थी और कांग्रेस को दो सीटें मिली थी. सौराष्ट्र में इस बार आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है, जिसके चलते बीजेपी को फायदा मिल सकता है. बीजेपी को खासकर उन सीटों पर फायदे की उम्मीद दिख रही है, जहां पर पिछले चुनाव में उसे मामूली अंतर से कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.
सौराष्ट्र में कई सीटों पर मामूली अंतर से जीत-हार
बीजेपी को सौराष्ट्र की कई सीटों पर महज हजार-दो हजार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था, जिसके चलते कांग्रेस मजबूत होकर उभरी थी. 2017 में बीजेपी जिन सीटों पर मामूली अंतर से कांग्रेस के हाथों हारी, उसमें डांग सीट पर 768 वोट और कपराडा में 170 वोट से मित मिली थी. ऐसी करीब एक दर्जन सीटें है, जहां पर जीत हार का अंतर एक हजार से पांच हजार के बीच रहा है.
सौराष्ट्र के सियासी समीकरण इस बार बदल गए हैं. यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई होने के बजाय त्रिकोणीय मुकाबले के आसार दिख रहे हैं, क्योंकि आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत से मैदान में उतरी है. बीजेपी सौराष्ट्र में अपने पुराने नतीजे को दोहराने के लिए मशक्कत रही है. यही वजह है कि राहुल गांधी सौराष्ट्र क्षेत्र से गुजरात चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर रहे हैं ताकि 2017 के चुनाव नतीजे को दोहरा सके.
सौराष्ट्र में नए चेहरे और दलबदलुओं पर दांव
गुजरात में राजनीति की पाठशाला माने जाने वाले सौराष्ट्र क्षेत्र में बीजेपी ने ज्यादातर नए चेहरों को उतारकर सारे समीकरण बदल दिए हैं. बीजेपी राजकोट के चार मौजूदा विधायकों को टिकट काटे हैं. वहीं, सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले दलबदलू नेताओं पर भी दांव लगाया है. कुंवरजीभाई बावलिया, जवाहर चावड़ा और भगा बराड़ जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं. जूनागढ़ की पांच में से चार सीटें कांग्रेस ने जीती थी. भावनगर और अमरेली में बीजेपी ने कई नए चेहरों को मौका दिया गया है.
सौराष्ट्र क्षेत्र में पाटीदार और आदिवासी वोटर अहम है. पाटीदार बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है तो आदिवासी कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता है. हालांकि, इस बार बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की नजर सौराष्ट्र के इलाके में पटेल और आदिवासी वोटों पर है. इसी के चलते सौराष्ट्र में मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना बन गई है. आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस खासकर उन ग्रामीण और आदिवासी इलाकों पर है, जहां 2017 में कांग्रेस को अधिक समर्थन मिला था.
राहुल गांधी सौराष्ट्र से चुनावी बिगुल फूंकेगे
राहुल गांधी सौराष्ट्र से चुनावी अभियान शुरू कर डैमेज कन्ट्रोल करना चाहते हैं. राहुल गांधी के गुजरात दौरे से कांग्रेस को उम्मीद है कि उससे इसका चुनावी फायदा मिलेगा. सौराष्ट्र के राजकोट में राहुल गांधी की पहली रैली है. सौराष्ट्र का एकलौता यह जिला था, जहां पिछले चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर था. इसके अलावा राहुल गांधी की दूसरी रैली सूरत में है, जहां पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को निगम चुनाव में पिछाड़ दिया है. ऐसे में कांग्रेस ने राहुल गांधी की रैली से काफी उम्मीदें लगा रखी है. देखना है कि राहुल गांधी सौराष्ट्र में कांग्रेस का दुर्ग बचाए रख पाते हैं या फिर त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को फायदा मिलेगा?
कुबूल अहमद