तो क्या गुजरात में लगातार छठी बार भाजपा लगाएगी 'शतक'?

एग्जिट पोल सर्वे के अनुरूप ही परिणाम रहा तो गुजरात में 22 साल से लहरा रहा केसरिया अगले 5 साल और लहराता रहेगा. सर्वे जैसा ही परिणाम आया तो 100 से ज्यादा सीट कब्जा करने में कामयाब रहने पर भाजपा लगातार छठी बार सीट जीतने के लिहाज 'शतक' ठोंक देगी.

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भारतीय जनता पार्टी भारतीय जनता पार्टी

विद्या / aajtak.in

  • दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

एग्जिट पोल सर्वे आने से पहले गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की बात कही जा रही थी, लेकिन चुनाव के तुरंत बाद आए सर्वे सारे कयासों को झुठलाते हुए भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर सत्ता में वापसी करता दिखा रहा है.

अगर सर्वे के अनुरूप ही परिणाम रहा तो गुजरात में लगातार 22 साल से लहरा रहा केसरिया अगले 5 साल और लहराता रहेगा. सर्वे जैसा ही परिणाम भाजपा के खाते में गया और 100 से ज्यादा सीट कब्जा करने में कामयाब रही तो वह लगातार छठी बार इस राज्य में सीट जीतने के लिहाज 'शतक' ठोंक देगी. वह 1995 से 2002 तक लगातार 5 बार 100 से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही है.

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90 के दशक की शुरुआत में भाजपा को राममंदिर मुद्दा और हिंदुत्व कार्ड का देशभर में जमकर फायदा हुआ, जिसमें गुजरात भी शामिल है. 1990 में भाजपा के खाते में 67 सीटें गई थीं, लेकिन इसके 5 साल बाद 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में उसने राज्य में पहली बार सत्ता का ऐसा स्वाद चखा जिसे आज तक अपने पास रखने में कामयाब रही.

भाजपा की पहली सरकार

1995 के चुनाव में भाजपा के खाते में 182 सीटों में से 121 सीटें आई थीं जबकि अब तक लगातार सत्ता में बने रहने वाली कांग्रेस पार्टी के खाते में महज 45 सीटें ही आईं. हालांकि उसका पहला शासनकाल नेताओं के आपसी संघर्ष के कारण काफी विवादित रहा और 3 साल के इस कार्यकाल में राज्य को 4 मुख्यमंत्री मिले.

1998 में राज्य में फिर से चुनाव हुए और सीट के मामले में शतक लगाते हुए लगातार दूसरी बार भाजपा ने सत्ता में वापसी की. इस बार उसे 117 सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस ने पिछली बार की तुलना में 8 सीट ज्यादा हासिल करते हुए 53 सीट जीत लिए. मुख्यमंत्री केशभाई पटेल की सरकार पर लगातार घोटाले के आरोप लगने लगे और फिर अक्टूबर, 2001 में खराब सेहत का हवाला देकर पद से इस्तीफा दे दिया और इसके बाद नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही नए युग की शुरुआत हो गई.

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मोदी ने पूरा किया कार्यकाल

इसके 5 महीने बाद फरवरी 2002 में गोधरा कांड के कारण नरेंद्र मोदी ने इसी साल जुलाई में पद से इस्तीफा दिया. लेकिन अस्थिर हो चुके राज्य में चुनाव आयोग ने दिसंबर, 2002 में चुनाव कराए जिसमें भाजपा ने मोदी की अगुवाई में लड़ा और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 127 सीट हासिल कर ली. सीट जीतने के लिहाज से भाजपा ने 'शतकों की हैट्रिक' लगाई.

पहली बार भाजपा ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया और 2007 में नए चुनाव में भी मोदी की राज्य में ऐसी लहर रही कि पार्टी को जीत हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं हुई. पार्टी के खाते में 117 सीटें आई जबकि कांग्रेस के लिहाज से भी अच्छा प्रदर्शन किया क्योंकि उसने 17 साल (1990) बाद अपनी गिरती सीट में इजाफा किया. 1990 में उसे 33 सीट हासिल हुई, जबकि 2007 में उसने 59 सीटों पर कब्जा जमाया.

2012 का चुनाव भी मोदी की अगुवाई में लड़ा गया और इस बार भाजपा ने 116 सीट जीतकर लगातार पांचवीं बार सत्ता पर पकड़ बनाई. कांग्रेस ने भी 1 सीट से सुधार करते हुए 60 सीटों पर कब्जा जमाया, लेकिन सत्ता से उसकी दूरी बनी रही.

कांग्रेस का रिकॉर्ड फिर भी 'अजेय'

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इस बीच 2014 में मोदी के केंद्र में आने और प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसा लगा कि भाजपा गुजरात में कमजोर पड़ रही है. मोदी के बाद आनंदीबेन पटेल और विजय रुपाणी के रूप में राज्य को 2 नए मुख्यमंत्री मिले, लेकिन मोदी जैसा असर नहीं छोड़ सके. साथ ही कई अन्य गंभीर मुद्दों ने भाजपा और मोदी को खासा परेशान किया. दोनों को एडी-चोटी का जोर लगाना पड़ गया.

हालांकि अब एग्जिट पोल सर्वे बता रहा है कि भाजपा न सिर्फ सत्ता में वापसी कर रही है बल्कि लगातार छठी बार 100 से ज्यादा सीटों के साथ विधान सभा में जा रही है.

1995 से लगातार सत्ता में बने रहने के बाद भी भाजपा कांग्रेस का रिकॉर्ड अभी तक नहीं तोड़ सकी है. राज्य में 1962 में पहली दफा विधानसभा चुनाव कराए गए जिसमें 113 सीटें हासिल कर कांग्रेस ने पहली सरकार बनाई. उसने 4 बार राज्य में 100 से ज्यादा सीटें हासिल किया है.

कांग्रेस के लिए 1985 का विधानसभा चुनाव ऐतिहासिक रहा क्योंकि उसने उस चुनाव में रिकॉर्ड 149 सीटें हासिल की जबकि भाजपा के खाते में 11 सीटें आई थी. कांग्रेस ने कुल 3 बार 140 या उससे ज्यादा सीट हासिल करने का कीर्तिमान रचा है, जबकि पिछले 2 दशक से सत्ता में बनी रहने वाली भाजपा 130 सीट के आंकड़े को भी नहीं छू सकी है.

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