मोतिहारी के केसरिया में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप आज भी बाढ़ के गंदे पानी से घिरा हुआ है. इसे केसरिया स्तूप कहते हैं. इसे भगवान बुद्ध के अनुयायियों ने बनवाया था. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपने जीवन के अंतिम दिन यहीं बिताए थे. उनकी याद में ही यह स्तूप बनवाया गया था. (इनपुट- सचिन पांडेय)
इस बौद्ध स्तूप की पहचान पूरी दुनिया में है. यह दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप कहा जाता है. इसकी ऊंचाई 104 फीट है. यहां हर साल देश ही नहीं, विदेशों से भी सैकड़ों बौद्ध धर्मावंलबी आते हैं. फिलहाल, इस बौद्ध स्तूप के चारों तरफ बाढ़ का पानी जमा है.
केसरिया क्षेत्र में इस बार फिर बाढ़ ने जबरदस्त तबाही मचाई है. हजारों एकड़ खेत तो बर्बाद हुए हैं. करोड़ों रुपयों का नुकसान भी हुआ है. बाढ़ ने इस विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप को भी नहीं बख्शा. स्तूप के चारों तरफ पानी जमा है. इसे खत्म करने की व्यवस्था न सरकार कर रही है, न ही स्थानीय प्रशासन और न ही भारतीय पुरातत्व विभाग.
चंपारण तटबंध टूटने के बाद इसकी स्थिति और खराब हो गई थी. अब बाढ़ के समाप्त होने के बाद प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक उदासीनता के कारण यह स्तूप अपना दम तोड़ रहा है. ऐसा लग रहा है कि इस शांति स्तूप को कभी शांति नहीं मिलेगी.
आपको बता दें कि भगवान बुद्ध की केसरिया लौटने के क्रम में उनकी मृत्यु हो गई थी, यही स्तूप उनका अंतिम प्रवास था. इस स्तूप की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है. इसके बावजूद स्तूप की स्थिति आज काफी बदतर हो चुकी है.