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बिहार विधानसभा चुनाव

जान‍िए कौन से 'यंग' रोचक बनाएंगे बिहार में चुनावी 'जंग'

aajtak.in
  • 09 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 3:12 PM IST
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बिहार के चुनावी महासंग्राम में इस बार मानो सीधी लड़ाई अनुभवी बनाम जोश के बीच है. जहां एक तरफ राजनीति के अनुभव से लबरेज धुरंधर खिलाड़ी के रूप में नीतीश कुमार, सुशील मोदी, जीतनराम मांझी सरीखे नेताओं की भरमार है तो दूसरी ओर युवा जोश से भरे कई ऐसे नेता हैं जो इस चुनाव को रोचक बनाने जा रहे हैं. आप भी देखिये कि कौन से हैं वे युवा नेता, जिनकी वजह से रोचक होगी चुनावी जंग. 

तेजस्वी यादवः 
लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्‍वी महागठबंधन के साथ-साथ राजद की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार हैं. महागठबंधन को 30 वर्षीय तेजस्वी यादव ही लीड कर रहे हैं. वह 2015 से 2017 तक वह नीतीश सरकार में उप मुख्‍यमंत्री भी रहे. यदि महागठबंधन सरकार बनाने में सफल होती है तो तेजस्‍वी बिहार के सबसे युवा मुख्‍यमंत्री होंगे. तेजस्‍वी को राजनीति अपने पिता से विरासत में मिली है. उनकी सीधी लड़ाई 70 वर्षीय नीतीश कुमार के साथ है जो राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. ये देखना दिलचस्‍प होगा कि 70 बनाम 30 की इस लड़ाई में मुख्‍यमंत्री की कुर्सी किसके हाथ आती है. 

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चिराग पासवान: 
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्‍व. राम विलास पासवान के पुत्र चिराग की आयु लगभग 37 वर्ष है. वर्तमान में वे बिहार के जमुई से सांसद हैं. पिता राम विलास के न‍िधन के बाद अब चिराग पासवान ही पार्टी के कर्ता-धर्ता हैं. चिराग ने चुनाव के ठीक पहले खुद को एनडीए से अलग कर सबको चौंकाया था. अब चिराग सीधे तौर पर नीतीश के खिलाफ हल्‍ला बोले पड़े हैं. एनडीए से अलग होने के उनके फैसले की अलग-अलग तरह से समीक्षा हो रही है. ये देखना दिलचस्‍प होगा कि उनका यह न‍िर्णय उनकी पार्टी को फायदा पहुंचाएगा या नुकसान.

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पुष्पम प्रिया चौधरी: 
अखबारों में इश्तहारों के जरिए खुद को सीएम उम्मीदवार घोषित करने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी भी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा रही हैं. वह अपनी नवगठित प्‍लूरल्स पार्टी के प्रत्‍याशियों के साथ मैदान में हैं. लंदन रिटर्न पुष्‍पम प्रिया मूल रूप से दरभंगा की रहने वाली हैं. उनके पिता विनोद चौधरी जदयू के बड़े नेताओं में एक हैं और नीतीश कुमार के करीबी भी हैं. बिहार में बदलाव की बात करने वाली पुष्पम की उम्र करीब 28 वर्ष है. वह इस बार के चुनाव में सबसे चर्चित चेहरों में से एक हैं. जनता पुष्‍पम और उनकी नवगठित पार्टी को कितना समर्थन देगी, ये देखना रोचक होगा. 

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तेज प्रताप यादव: 
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी चर्चा में हैं. बीते विधानसभा चुनाव में वैशाली के महुआ से जीत कर वे महागठबंधन सरकार में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बने थे. तेज प्रताप अपने अजब-गजब बयानों तथा पिता की स्‍टाइल की कॉपी के लिए जाने जाते हैं. इस बार के चुनाव में उन्‍होंने महुआ सीट की जगह समस्‍तीपुर के हसनपुर से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसके पीछे उनका पत्‍नी ऐश्‍वर्या के साथ चल रहा विवाद माना जा रहा है.

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मुकेश सहनी: 
मुकेश सहनी वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष हैं. चुनाव के पहले तक उनकी पार्टी महागठबंधन का हिस्‍सा थी. लेकिन सीट शेयरिंग में अनदेखी से मुकेश नाराज हुए और एनडीए के साथ हो लिये. मुकेश सहनी की उम्र करीब 35 वर्ष है. वह मल्‍लाहों के नेता होने का दावा करते हैं. सन ऑफ मल्लाह के नाम से चर्चित होकर उनका बिहार की राजनीति में आगमन हुआ था. इसके पहले उनका बैकग्राउंड बॉलीवुड का था, जहां उनकी कंपनी फ‍िल्‍मों के सेट का निर्माण करती है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी वो काफी सक्रिय रहे थे. हालांकि उन्‍हें कोई खास सफलता नहीं मिली. ये चुनाव उनके लिए काफी अहम है. क्‍योंकि यहां की हार-जीत से ही ये तय होगा कि उनके दावों में कितना दम है. 

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श्रेयशी सिंह: 
राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी में स्‍वर्ण पदक विजेता बिहार की श्रेयसी सिंह अब भारतीय जनता पार्टी के टिकट से जमुई सीट से राजनीति की शुरुआत करने जा रही हैं. श्रेयसी के पिता स्‍व. दिग्विजय सिंह केंद्रीय मंत्री थे. उनकी मां पुतुल सिंह भी सांसद रही हैं.  मां पुतुल सिंह ने अपने पति व बांका के पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह के निधन के बाद 2010 के लोकसभा उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्‍याशी बांका से लोकसभा का चुनाव जीता था. इसके बाद उन्‍होंने 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट से लड़ा लेकिन राजद के जयप्रकाश यादव से चुनाव हार गईं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बांका की सीट जदयू के खाते में गई तो उन्‍हें टिकट नहीं मिला. तब उन्‍होंने बीजेपी से बगावत करते हुए न‍िर्दलीय चुनाव लड़ा. उस चुनाव में श्रेयसी सिंह ने मां पुतुल देवी के लिए जनसंपर्क किया था. 

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कन्हैया कुमार: 
कन्हैया कुमार भाकपा के नेता हैं. जेएनयू में छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले कन्हैया की उम्र 33 वर्ष के लगभग है. उनकी पार्टी महागठबंधन में शामिल है लेकिन खुद कन्‍हैया चुनाव नहीं लड़ेंगे, ये अब स्‍पष्‍ट है. बेगूसराय के निवासी कन्‍हैया 2019 में लोकसभा का चुनाव अपने गृह जनपद से लड़ चुके हैं. माना जा रहा है कि बिहार चुनाव में वह लेफ्ट फेस के रूप में प्रचार की जिम्‍मेदारी निभाएंगे. 

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तेजस्वी सूर्या: 
भाजपा की तरफ से सबसे कम उम्र के सांसद तेजस्वी सूर्या का भी बिहार चुनाव में पदार्पण हो चुका है. उन्होंने पिछले दिनों बिहार का दौरा किया और राजद पर बेहद आक्रामक रहे. उनकी उम्र करीब 29 साल है. वह दक्षिणी बेंगलुरु से भाजपा के सांसद और भाजयुमो के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भी हैं. माना जा रहा है कि इस चुनाव में भाजपा उन्हें युवा प्रचारक के तौर पर उतारेगी. सूर्या के न‍िशाने पर तेजस्‍वी ही रहेंगे.

 

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चंद्रशेखर आजाद: 
यूपी के सहारनपुर से भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद का भी बिहार चुनाव में प्रवेश हो चुका है. लगभग 33 वर्षीय चंद्रशेखर ने बिहार में पप्पू यादव की पार्टी के साथ गठबंधन किया है. हालांकि अभी वह अपनी पार्टी के पंजीकरण और चुनाव चिह्न आवंटन के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं. समय रहते उनकी इच्‍छा पूरी होगी या नहीं, ये वक्‍त बताएगा. इतना जरूर है कि यदि वह और उनकी पार्टी बिहार में चुनाव लड़ते हैं तो दलित वोटों पर उनके प्रभाव को सभी परखेंगे.

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