कृषि कानून के खिलाफ ममता बनर्जी का प्रस्ताव, कांग्रेस-लेफ्ट का क्या मिलेगा सदन में साथ?

बंगाल विधानसभा के विशेष सत्र में दूसरे दिन गुरुवार को टीएमसी की सरकार केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव ला रही है और उन्हें तत्काल वापस लिए जाने की मांग करेगी. कृषि कानून के खिलाफ मुखर रहने वाले कांग्रेस और लेफ्ट बंगाल में ममता के साथ खड़ी नहीं दिखना नहीं चाहती है. इसीलिए वो अलग से कृषि कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने की मांग कर रहीं थी. हालांकि, यह देखना होगा कि सदन में कांग्रेस और लेफ्ट क्या रुख अपनाते हैं. 

Advertisement
पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 28 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST
  • बंगाल विधानसभा में कृषि कानून के खिलाफ प्रस्ताव
  • टीएमसी के प्रस्ताव पर कांग्रेस-लेफ्ट का रुख क्या है
  • विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस-लेफ्ट का अलग रुख

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस-लेफ्ट किसी भी सूरत में ममता बनर्जी के साथ खड़े नहीं होना चाहते हैं. विधानसभा के विशेष सत्र में दूसरे दिन गुरुवार टीएमसी सरकार केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव ला रही है और उन्हें तत्काल वापस लिये जाने की मांग करेगी. कृषि कानून के खिलाफ मुखर रहने वाले कांग्रेस और लेफ्ट बंगाल में ममता के साथ खड़ी नहीं दिखना नहीं चाहती है. इसीलिए वो अलग से कृषि कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने की मांग कर रहीं थी. हालांकि, यह देखना होगा कि सदन में कांग्रेस और लेफ्ट क्या रुख अपनाते हैं. 

Advertisement

देश में अभी तक पांच गैर-बीजेपी शासित राज्य कृषि कानून के कदम उठा चुके हैं. पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपने-अपने राज्य की विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित किए हैं. इस कड़ी में अब छठा राज्य पश्चिम बंगाल शामिल होने जा रहा है. साथ ही माना जा रहा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम में 'जय श्री राम' का नारा लगाए जाने के खिलाफ टीएमसी निंदा प्रस्ताव पेश करेगी, कांग्रेस और लेफ्ट ने तय किया है कि टीएमसी का समर्थन नहीं करेंगे. 

बता दें पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें ममता बनर्जी के खिलाफ कांग्रेस और लेफ्ट ने हाथ मिलाया है. कांग्रेस-लेफ्ट ममता सरकार के खिलाफ आक्रमक रुख अपनाए हुए हैं. इसी के मद्देनजर कांग्रेस और लेफ्ट ने बंगाल में टीएमसी के साथ किसी भी तरह से साथ नहीं खड़े होना चाहते हैं. यही वजह है कि टीएमसी नियम 169 के तहत प्रस्ताव ला रही है तो कांग्रेस-लेफ्ट 185 के तहत प्रस्ताव की मांग कर रही हैं. 

Advertisement

बंगाल के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि नियम 169 के तहत प्रस्ताव पेश किया जाएगा. प्रदेश सरकार की कोशिश थी कि विपक्षी कांग्रेस व वाम मोर्चा को भी इस मुद्दे पर साथ लाया जा सके, लेकिन वे नियम 185 के तहत प्रस्ताव लाने की मांग पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि इस विषय पर दो-ढाई घंटे तक चर्चा होगी. ममता सरकार चाहती थी कि इस प्रस्ताव को लेफ्ट और कांग्रेस के साथ मिलकर लाया जाए, लेकिन सरकार का यह प्रस्ताव फेल हो गया. 

दरअसल कांग्रेस और लेफ्ट इसे नियम 185 के तहत लाना चाहती थीं. राज्य के संसदीय कार्य मंत्री चटर्जी ने भी कहा कि  कांग्रेस-लेफ्ट इसी प्रस्ताव को नियम 185 के तहत लाना चाहते थे. एक ही मुद्दे पर दो प्रस्ताव दो अलग-अलग नियमों के तहत लाने का क्या मतलब है? जब सरकार एक प्रस्ताव दे चुकी और उम्मीद है कि इसे स्वीकार कर लिया जाएगा. नियम 169 के तहत, सरकार विधानसभा में एक प्रस्ताव देती है, जबकि नियम 185 के तहत कोई भी पार्टी सदन में प्रस्ताव पेश कर सकती है.

विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि टीएमसी सरकार के पास केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार ने भी कुछ साल पहले इसी तरह के कानून पारित किए थे. लेफ्ट और कांग्रेस ने कहा कि वे चर्चा में हिस्सा लेंगे और सदन में अपने विचार रखेंगे. हालांकि, हम अभी भी नियम 185 के तहत ही प्रस्ताव की लाने की बात कर रहे हैं. वहीं, बीजेपी सदन में कृषि कानून के खिलाफ लाए जा रहे प्रस्ताव का विरोध करेगी. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement