India Today Conclave: पीरजादा अब्बास बोले- हम नहीं चाहते ममता सरकार इमामों को भत्ता दे?

बीजेपी लगातार ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाकर घेरने में जुटी है. वहीं, फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने सियासत में किस्मत आजमाने के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ मिलकर इंडियन सेक्युलर फ्रंट का गठन किया है. बीजेपी नेता तथागत ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के कार्यक्रम में बंगाल में इमामों को मिलने वाले भत्ते का मुद्दा उठाया तो पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने कहा कि हम नहीं चाहते कि मुस्लिम इमाम को सरकार राजकोष से भत्ता दे.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 11 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST
  • बंगाल में ममता ने शुरू किया था इमामों को भत्ता देना
  • पीरजादा अब्बास सिद्दीकी चुनावी किस्मत आजमाएंगे
  • पीरजादा के चुनाव लड़ने पर टीएमसी ने खड़े किए सवाल

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश काफी बढ़ गई है. बीजेपी लगातार ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाकर घेरने में जुटी है. वहीं, फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने सियासत में किस्मत आजमाने के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ मिलकर इंडियन सेक्युलर फ्रंट का गठन किया है. बीजेपी नेता तथागत ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के कार्यक्रम में बंगाल में इमामों को मिलने वाले भत्ते का मुद्दा उठाया तो पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने कहा कि हम नहीं चाहते कि मुस्लिम इमाम को सरकार राजकोष से भत्ता दे.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave East 2021) के चौथे संस्करण का आयोजन बंगाल में हो रहा है. कॉन्क्लेव के सेशन बंगाल के अल्पसंख्यक मुद्दे पर बीजेपी के तथागत राय ने कहा कि पश्चिम बंगाल में मुस्लिम सबसे पिछड़े हुए हैं. पार्टियां उन्हें पिछड़ा रखती हैं ताकि उन्हें पूरे समुदाय को संबोधित न करना पड़े. मुस्लिम समुदाय में, महिलाएं विशेष रूप से सबसे पिछड़ी हैं. इसी के साथ उन्होंने ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यकों पर तुष्टिकरण करने का भी आरोप लगाया, जिस पर टीएमसी के प्रवक्ता बिस्वजीत देब ने कहा अल्पसंख्यक सिर्फ मुस्लिम समाज में ही नहीं बल्कि हर वर्ग में हैं. टीएमसी के लिए सभी धर्म एक समान हैं. 

इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नेता पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने कहा कोई किसी दूसरे के लिए वोटकटवा साबित होगा, यह बात करना ही गलत है. सभी का अधिकार है चुनाव लड़ने का. हम ऐसी सरकार चाह रहे हैं कि लोगों को सुविधाएं मिलें. वाम की सरकार रही हो या फिर ममता बनर्जी की हो. इन्होंने मुस्लिमों के विकास के लिए काम नहीं किया है जबकि हम लंबे समय से अपनी मांग कर रहे हैं. 15 फीसदी आरक्षण की बात रही हो या फुरफुरा शरीफ में रेल ट्रैक या विश्व पर्यटन की बात की गई, लेकिन वे पूरी नहीं हुई हैं. इसलिए हमने अपने अधिकारों को छीनने के लिए राजनीतिक पार्टी का गठन किया है. 

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'राजकोष से इमामों को भत्ता उचित नहीं'

बंगाल में इमामों को मिलने वाले भत्ते पर पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने हम भी नहीं चाहते हैं कि सरकार मस्जिद के इमामों को राजकोष से हमें भत्ता दे, क्योंकि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष देश में यह सही नहीं है. हालांकि, बंगाल में इमामों को जो भत्ता मिलता है, वो वक्फ बोर्ड के जरिए दिया जा रहा है. साथ ही टीएमसी ने प्रवक्ता ने बिस्वजीत देब ने कहा कि बंगाल में इमामों को ही नहीं बल्कि पुरोहितों को भत्ता दिया जा रहा है. इस पर बीजेपी नेता तथागत राय ने कहा कि सरकार ने कोर्ट के आदेश के बाद इमामों को दूसरे मद से भत्ता देना शुरू किया है और बाद में पुरोहितों को भत्ता देना शुरू किया है. 

इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नेता पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने कहा कि अल्पसंख्यक हर जगह हैं. उन्होंने कहा कि जहां जहां मुस्लिम लोगों की संख्या ज्यादा है वहां स्कूल, कॉलेज और अस्पताल ज्यादा नहीं हैं. वहां उन्हें सिर्फ वोट बैंक के रूप में देखा जाता है. कलकता यूनिवर्सिटी में भी सिर्फ 20 फीसदी मुस्लिम टीचर्स हैं. ऐसे ही उन्होंने बंगाल की यूनिवर्सिटीज के बारे में बात करते हुए कहा कि हर एक जगह मुस्लिम टीचर्स की संख्या कम है. शिक्षा से मुस्लिम समाज को काफी दूर रखा गया है. उन्होंने चुनाव का रुख क्यों किया इस बात पर उन्होंने कहा कि हम अपने समाज को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मदद करने के लिए राजनीति में आए हैं.

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बंगाल में इमामों को कितना मिलता है भत्ता?

बता दें कि ममता बनर्जी ने साल 2011 में बंगाल की सत्ता में आने पर 56,000 मस्जिदों के इमामों 2500 और मुअज्जिनों को 1000 रुपये भत्ता देना शुरू किया था. इस भत्ते को लेकर बीजेपी ममता बनर्जी सरकार को घेरने में जुटी थी तो फुरफुरा शरीफ से जुड़े हुए लोग भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे थे. ऐसे में बीजेपी ने इमामों को मिलने वाले भत्ते को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद ममता बनर्जी ने राज्य के पुरोहितों के लिए भी 1000 रुपये का प्रतिमाह भत्ता शुरू कर दिया था. हालांकि, अब पीरजादा अब्बास कहते हैं कि सरकार हमारे विकास के लिए काम करे न कि हमें सरकारी खजाने से भत्ता दे. 

'अल्पसंख्यक में सिर्फ मुस्लिम नहीं हैं'

वहीं, टीएमसी प्रवक्ता बिस्वजीत देब ने कहा अल्पसंख्यक सिर्फ मुस्लिम समाज में ही नहीं बल्कि हर वर्ग में हैं. टीएमसी के लिए सभी धर्म एक समान हैं. साथ ही उन्होंने इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नेता पीरजादा अब्बास सिद्दीकी पर निशाना साधते हुए कहा कि इन्होंने चुनाव से ठीक पहले ही पार्टी की शुरुआत क्यों की. साथ ही उन्होंने मुस्लिम समाज के लिए ममता सरकार के द्वारा किए कामों का जिक्र किया. हालांकि, उनके सवाल के जवाब में पीरजादा ने कहा कि अगर सरकार ने हमें मरदसे, स्कूल और अस्पताल दिए होते तो हमें राजनीतिक पार्टी बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. 

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वहीं, CPIM नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनाव विभाजनकारी राजनीति का वाटरलू होने जा रहा है. उन्होंने कहा, 'बंगाल में विभाजनकारी राजनीति विफल रही है, इस कारण भाजपा इस खेल से बाहर हो गई है. लेकिन ममता बनर्जी और तथागत रॉय एक ही स्कूल में पढ़े हैं. टीएमसी का गठन बीजेपी के इशारे पर हुआ है और पहला चुनाव दोनों मिलकर साथ लड़े हैं. इसीलिए दोनों पार्टियां विभाजनकारी राजनीति कर रही हैं. युवा बेरोजगार हैं लेकिन बीजेपी मंदिरों के बारे में बात कर रही है.'

बिस्वजीत देब ने सांप्रदायिक राजनीति की बात पर पलटवार करते हुए कहा कि तृणमूल हमेशा विकास में विश्वास करती है. उन्होंने कहा, 'हम इस बात से चिंतित नहीं हैं कि विभाजनकारी राजनीति में कौन शामिल है. हम केवल राज्य के विकास को लेकर चिंतित हैं.' उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी तुष्टिकरण या विभाजनकारी राजनीति में विश्वास नहीं करती है. इसीलिए हम सारे समाज के लिए काम कर रहे हैं. 

 

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