बंगाल चुनाव: हिंसा के ग्राउंड जीरो सीतलकुची पहुंचा 'आजतक', चार मौतों पर गांव में आक्रोश

कोच बिहार के जिस सीतलकुची में जिन चार युवकों की केंद्रीय पुलिस बल के द्वारा की गई फायरिंग में मौत हो गई, उनमें से एक 20 वर्षीय नूर आलम भी था. आजतक ने नूर आलम के बड़े भाई मुजिबुल आलम से बातचीत की जिसने शनिवार को हुई हिंसा के बारे में बताया.

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कोच बिहार में बूथ के अंदर हिंसा के बाद का नजारा कोच बिहार में बूथ के अंदर हिंसा के बाद का नजारा

रोहित कुमार सिंह

  • कोच बिहार,
  • 11 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 10:43 PM IST
  • बूथ नंबर 126 पर शनिवार को हुआ खूनी संघर्ष
  • सब कुछ बीजेपी के इशारे पर हुआः मृतक का भाई
  • केंद्रीय सुरक्षा बलों की फायरिंग में 4 लोगों की मौत

पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के दौरान कोच बिहार के सीतलकुची विधानसभा में आने वाले बूथ नंबर 126 पर जो खूनी संघर्ष देखने को मिला, उसी जगह पर रविवार को 'आजतक' भी जा पहुंचा. शनिवार को चौथे चरण के मतदान के दौरान बूथ संख्या 126 पर स्थानीय लोगों और केंद्रीय पुलिस बल के बीच जमकर बवाल मचा जिसमें केंद्रीय पुलिस बल के तरफ से हुई फायरिंग में 4 लोगों की मौत हो गई थी.

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इस घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है, और हालात का जायजा लेने के लिए 'आजतक' की टीम गांव पहुंची.

गांव में चार लोगों के हुए मौत के बाद लोगों में आक्रोश साफ देखा जा सकता था. पोलिंग बूथ के बाहर खून के निशान भी साफ तौर पर देखे जा सकते थे. सीतलकुची में जिन चार युवकों की केंद्रीय पुलिस बल के द्वारा की गई फायरिंग में मौत हुई उनमें से एक 20 वर्षीय नूर आलम भी था. आजतक ने नूर आलम के बड़े भाई मुजिबुल आलम से बातचीत की जिसने शनिवार को हुई हिंसा के बारे में बताया.

उसने कहा, 'मेरा भाई वोट डालने गया हुआ था जब सीआईएसएफ के जवानों की तरफ से गोलीबारी की गई जिसमें मेरा भाई भी मारा गया. यह सब कुछ बीजेपी के इशारे पर किया गया है. मुझे इस पूरे मामले में न्याय चाहिए.'

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वहीं अन्य ग्रामीणों ने भी इस घटना पर अपना आक्रोश जताते हुए बीजेपी और केंद्रीय पुलिस बल को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. स्थानीय लोगों ने मांग की कि बूथ संख्या 126 पर जब द्वारा चुनाव होंगे तो केंद्रीय पुलिस बल की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए.


वहीं स्थानीय आलीजर रहमान का कहना है कि इस बूथ पर जब वोट होगा तो हम नहीं चाहते हैं कि अब केंद्रीय पुलिस वाहिनी यहां पर मौजूद रहे. यह स्थानीय पुलिस रहेगी तो शांतिपूर्ण तरीके से मतदान होगा. इस पूरे मामले में पीड़ित परिवार को मुआवजा भी मिलना चाहिए.

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