बंगाल: दिलीप घोष का ट्वीट- मुस्लिम तुष्टिकरण वाली सरकार से छुटकारा ही उपाय

दिलीप घोष द्वारा ट्वीट पोस्टर के अनुसार बंगाल घुसपैठियों और मानव व्यापार का केंद्र बन गया है. ये चुनाव अपनी जमीन बचाने की लड़ाई है. अवैध घुसपैठ और और आबादी में बढ़ोतरी की वजह से कई स्थानों का जनसंख्या समीकरण बदल रहा है.

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बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष (फाइल फोटो) बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष (फाइल फोटो)

पॉलोमी साहा

  • कोलकाता,
  • 27 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST
  • 'घुसपैठ से बदला जनसंख्या समीकरण'
  • 'अपनी जमीन बचाने की लड़ाई है ये चुनाव'

पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने एक विवादित पोस्टर ट्वीट किया है. इस पोस्टर में लिखा है कि कि बंगाल घुसपैठियों और ह्युमन ट्रैफिकिंग का अड्डा बन गया है. ये चुनाव बंगाल की जमीन को बचाने की लड़ाई है. दिलीप घोष द्वारा टवीट् किए गए इस पोस्टर में लिखा है कि बंगाल में अवैध घुसपैठ और आबादी बढ़ने की वजह से कई स्थानों का जनसंख्या समीकरण बदल रहा है. दिलीप घोष ने कहा है कि इस समस्या का एक मात्र समाधान यह है कि मुस्लिम तुष्टिकरण वाली सरकार से छुटकारा पाया जाए.

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पश्चिम बंगाल में चुनावी समर चरम पर है. दिलीप घोष लगातार चुनावी दौरे पर हैं. इस बीच उन्होंने एक विवादित चुनावी पोस्टर ट्वीट किया है. पोस्टर के अनुसार बंगाल घुसपैठियों और मानव व्यापार का केंद्र बन गया है. ये चुनाव अपनी जमीन बचाने की लड़ाई है. अवैध घुसपैठ और और आबादी में बढ़ोतरी की वजह से कई स्थानों का जनसंख्या समीकरण बदल रहा है. इस पोस्टर में लिखा गया है कि जिहादी तत्वों का भी बोल बाला भी बढ़ रहा है. बदुरिया, बरीशात, कालीचक इसके उदाहरण हैं. 

इस पोस्टर में लिखा है कि इस समस्या से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय यह है कि मुस्लिम तुष्टिकरण वाली सरकार से निजात पाया जाए. 

बता दें बीजेपी अक्सर TMC पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाती रहती है. वहीं टीएमसी बीजेपी पर धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का आरोप लगाती है. 

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जो रोता है वही चुनाव खोता है

इस बीच हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर हमला किया है. अनिल विज ने आठ चरणों में चुनाव कराए जाने के चुनाव आयोग के फैसले पर ममता बनर्जी की ओर से सवाल उठाने पर प्रतिक्रिया दी है. अनिल विज ने कहा है कि ममता दीदी अभी तो चुनाव शुरू ही हुआ है और आपने आठ चरणों मे चुनाव होने को लेकर रोना शुरू कर दिया है. मेरा 40 वर्ष का राजनीतिक अनुभव यह कहता है कि चुनाव में जो रोता है वही चुनाव भी खोता है. 

 

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