पश्चिम बंगाल में 2016 से कितना अलग है इस बार का विधानसभा चुनाव?

पश्चिम बंगाल में 1952 से लेकर 2016 तक 16 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और इस बार 2021 में 17 वीं विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. पिछली बार राज्य में हुए चुनाव में ममता बनर्जी क्लीन स्वीप करते हुए दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही थीं, लेकिन इस बार उन्हें बीजेपी से कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है.

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पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम ममता बनर्जी पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम ममता बनर्जी

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 26 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST
  • ममता बनर्जी दस साल से बंगाल में काबिज हैं
  • 2016 के चुनाव में ममता ने 211 सीटें जीती थी
  • कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी एक साथ चुनाव लड़ रहे

पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी और केरल विधानसभा चुनाव की तारीखों का शुक्रवार को औपचारिक ऐलान निर्वाचन आयोग कर सकता है. देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा लोगों की नजर पश्चिम बंगाल पर है. बंगाल में 1952 से लेकर 2016 तक 16 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और इस बार 2021 में 17 वीं विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. पिछली बार राज्य में हुए चुनाव में ममता बनर्जी क्लीन स्वीप करते हुए दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही थीं, लेकिन इस बार उन्हें बीजेपी से कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है. 

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बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में कुल 294 सीटें है. 2016 के विधानसभा चुनाव छह चरण में हुए थे. ममता बनर्जी की टीएमसी ने 293 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिनमें से 211 सीटें जीतने में टीएमसी कामयाब रही. वहीं, बीजेपी और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने मिलकर चुनाव लड़ा था. बीजेपी ने 291 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से उसे महज तीन सीटों पर ही जीत मिली थी जबकि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा तीन सीटों पर चुनाव लड़ी और तीनों ही सीटें जीतने में कामयाब रही. हालांकि, इस बार दोनों अलग-अलग चुनाव मैदान में हैं. 

वहीं, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां इस बार की तरह 2016 में भी एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी थीं. कांग्रेस ने 92 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 44 सीटों पर उसे जीत मिली थी. सीपीएम 148 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिनमें से 26 सीटों पर उसे जीत मिली थी. इसके अलावा सीपीआई 11 सीटों पर लड़कर महज एक सीट ही जीत सकी थी. ऑल इंडिया फारवर्ड ब्‍लॉक 25 सीटों पर लड़ी थी और 2 सीटें जीती थी जबकि रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने 19 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा एक निर्दलीय ने जीत दर्ज की. 

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बंगाल की मौजूदा स्थिति
हालांकि, पांच साल में पश्चिम बंगाल की सियासत काफी बदल गई है. बंगाल में कुल 294 सीटें हैं, जिनमें से फिलहाल टीएमसी के पास 209, बीजेपी के पास 27, कांग्रेस के पास 23, सीपीआई(एम) के पास 19, आरएसपी के पास 2, आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लाक के 2 और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के 2 विधायक हैं. इसके अलावा 10 सीटें मौजूदा समय में रिक्त पड़ी हैं, जिन्होंने इस्तीफा देकर दूसरी पार्टियां ज्वाइन कर लिया है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि टीएमसी के तमाम विधायक और नेता साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिए हैं. 

बंगाल में प्रमुख रूप से टीएमसी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने मिलकर त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में जुटी है. इस बार बीजेपी की सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ममता बनर्जी की टीएमस के साथ चुनाव लड़ रही है. इसके अलावा बसपा, जेडीयू, AIMIM, आरजेडी सहित तमाम क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनावी मैदान में उतरने के लिए कमर कसी हुई हैं. ऐसे में देखना है कि इस बार सत्ता की चाबी किसे मिलती है. 

 

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