छह हिस्सों में बंटी महाराष्ट्र की सियासी जंग... कितनी मुश्किल होने वाली है चुनावी लड़ाई

2014 के विधानसभा चुनाव में, प्रमुख चार पार्टियों - भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, शिवसेना (विभाजन से पहले) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) - ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिससे त्रिशंकु विधानसभा बनी और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी ने 122 सीटें जीतीं, शिवसेना को 63, कांग्रेस को 42 और एनसीपी को 41 सीटें मिलीं. 15 साल के कांग्रेस-एनसीपी शासन के बाद सत्ता विरोधी लहर भी प्रमुख कारण रही.

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अमिताभ तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

महाराष्ट्र में चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही महा विकास अघाड़ी (MVA) और महायुति (NDA) गठबंधन सीटों के बंटवारे की चुनौती से जूझ रहे हैं. जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और झारखंड से बड़े इस राज्य की कुल 48 लोकसभा सीटें हैं, जो देश में दूसरी सबसे ज्यादा हैं. यह राज्य छह अलग-अलग क्षेत्रों में बंटा हुआ है, जहां की जनसांख्यिकी, राजनीतिक समीकरण और मुद्दे भिन्न-भिन्न हैं, जो इस चुनाव को एक नहीं बल्कि छह चुनाव बनाते हैं.

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महाराष्ट्र के छह क्षेत्र हैं: विदर्भ (62 सीटें), मराठवाड़ा (46 सीटें), पश्चिमी महाराष्ट्र (70 सीटें), ठाणे-कोंकण (39 सीटें), मुंबई (36 सीटें), और उत्तर महाराष्ट्र (35 सीटें). यहां कोई भी पार्टी पूरे राज्य में प्रभावी नहीं है, और पिछले 40 सालों में कोई भी पार्टी अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई है.

2014 के चुनाव: कोई गठबंधन नहीं
2014 के विधानसभा चुनाव में, प्रमुख चार पार्टियों - भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, शिवसेना (विभाजन से पहले) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) - ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिससे त्रिशंकु विधानसभा बनी और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी ने 122 सीटें जीतीं, शिवसेना को 63, कांग्रेस को 42 और एनसीपी को 41 सीटें मिलीं. 15 साल के कांग्रेस-एनसीपी शासन के बाद सत्ता विरोधी लहर भी प्रमुख कारण रही.

हालांकि बीजेपी और शिवसेना ने चुनाव के बाद गठबंधन कर सरकार बनाई, लेकिन चुनाव के दौरान तीन क्षेत्रों में बीजेपी-शिवसेना के बीच सीधा मुकाबला था: ठाणे-कोंकण, मुंबई, और मराठवाड़ा. विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस से था, जबकि पश्चिमी महाराष्ट्र में बीजेपी-एनसीपी के बीच जंग थी.

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2019 का चुनाव: परंपरागत NDA बनाम UPA लड़ाई
2019 के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने NDA के तहत एक साथ चुनाव लड़ा और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन (UPA) से मुकाबला किया. NDA ने 161 सीटें (BJP 105, शिवसेना 56) जीतीं, जबकि UPA ने 98 सीटें (कांग्रेस 44, एनसीपी 54) जीतीं. चुनावी बढ़त के बावजूद, पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी का जोरदार अभियान कामयाब रहा और यहां एनडीए पिछड़ गया.
2019 में बीजेपी ने कई क्षेत्रों में पिछली बार के मुकाबले कम सीटें जीतीं, खासकर विदर्भ में जहां किसान आत्महत्याएं और कृषि संकट बड़े मुद्दे बने.

2024 का चुनाव: असली बनाम नकली
2024 के लोकसभा चुनावों में, महा विकास अघाड़ी ने महायुति के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन किया और 30-17 सीटों से जीत दर्ज की. विधानसभा सीटों के आंकड़ों में भी एमवीए 153 सीटों पर आगे रही, जबकि महायुति 126 सीटों पर बढ़त बना पाई. विभिन्न क्षेत्रों में, बीजेपी ने उत्तर महाराष्ट्र में बढ़त बनाई, जबकि कांग्रेस ने विदर्भ और मराठवाड़ा में बेहतर प्रदर्शन किया. शिवसेना (उद्धव) ने मुंबई और एनसीपी (शरद पवार) ने पश्चिमी महाराष्ट्र में अपना प्रभाव बनाए रखा.

विदर्भ में इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है. कृषि संकट और किसानों की आत्महत्याएं प्रमुख मुद्दे बने रहेंगे. मराठवाड़ा में कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) बनाम बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) के बीच टक्कर देखने को मिलेगी. उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी का प्रभाव मजबूत बना हुआ है. पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी (अजित पवार) और बीजेपी बनाम कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) के बीच संघर्ष रहेगा. ठाणे-कोंकण में शिवसेना (शिंदे) की पकड़ मजबूत मानी जा रही है.

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महा विकास अघाड़ी के 2024 के मजबूत प्रदर्शन के बावजूद, राजनीतिक विश्लेषक कोई भी भविष्यवाणी करने से बच रहे हैं, क्योंकि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजों ने सभी को चौंका दिया था.

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