'बिहार में पुरुषों के भी यूट्रस न‍िकाल लेती है नीतीश सरकार' पंचायत आजतक में RJD प्रवक्ता ने किया तंज, मिला ये जवाब

बिहार में महिलाओं के नाम पर राजनीतिक बहस फिर गर्म हो गई है. पंचायत आजतक के सेशन ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ में विपक्ष और सत्ता पक्ष की महिला नेता आमने-सामने आईं. एक ओर RJD की प्रियंका भारती ने सरकार पर महिलाओं को कर्ज और चुनावी लालच में फंसाने का आरोप लगाया, तो दूसरी ओर BJP की अनामिका पटेल और JDU की अनुप्रिया यादव ने योजना को महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने का अवसर बताया.

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पंचायत आजतक में हुई बिहार की महिलाओं पर चर्चा पंचायत आजतक में हुई बिहार की महिलाओं पर चर्चा

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 16 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 3:54 PM IST

'बड़ा इंटरेस्टिंग घोटाला है. नाम है गर्भ घोटाला. उसमें मर्दों का भी यूट्रस निकाल लिया गया था. मर्दों का भी यूट्रस होता है, नीतीश कुमार ये सबको दिखा दिए देश में...' पंचायत आजतक में मुख्यमंत्री महिला रोजगार' योजना जिताएगी बिहार? सेशन में आरजेडी प्रवक्ता प्र‍ियंका भारती ने नीतीश कुमार सरकार पर सीधा निशाना साधा.इसके जवाब में बीजेपी ब‍िहार की एमएलसी और प्रवक्ता अनामिका पटेल और जेडीयू प्रवक्ता अनुप्रिया यादव ने करारा जवाब दिया. 

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प्रियंका भारती ने आगे कहा कि डेनमार्क की राष्ट्रपति ने सदियों पुराने ऐसे कांड पर माफी मांगी थी, अब नीतीश कुमार जी कब माफी मांगेंगे? प्र‍ियंका को जवाब देते हुए अनामिका पटेल ने कहा कि वो लोग कम से कम ये न बोले जिनके समय में IAS की पत्नी भी सुरक्षित नहीं थी. सालों साल यही हुआ, वो यहां ना बताएं महिला सुरक्षा. कोई भी संगठित अपराध अब बिहार में नहीं है . 

बता दें कि पंचायत आजतक में जब मह‍िला नेताओं का मंच सजा तो ब‍िहार में महिलाओं के लिए क‍िए जा रहे वादों और वर्तमान में उनकी स्थ‍ित‍ि पर खुलकर बातचीत हुई. शुरुआत बीजेपी प्रवक्ता अनामिका पटेल से हुई. उन्होंने कहा कि पॉलिसी और डिसीजन मेकिंग में जब तक महिलाओं की पहुंच नहीं होगी और वो उसमें प्रतिभागी नहीं होंगी, तब तक असली सशक्तिकरण नहीं होगा.

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क्या शराबबंदी या 10-10 हजार रुपये देना ही महिलाओं का सशक्तिकरण है?

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इसके जवाब में अनामिका ने कहा कि महिला के लिए सबसे पहले जरूरी होती है उसकी इज्जत और सुरक्षा.उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी महिलाओं ने साफ कहा था कि उन्हें सबसे पहले सुरक्षा चाहिए. जब हमने बिहार को सुरक्षित बनाया, तो महिलाओं को बाहर निकलने और काम करने का आत्मविश्वास मिला. पहले ऐसा नहीं था. वे हॉस्पिटल या दफ्तर तक नहीं जा सकती थीं क्योंकि सड़कों पर सुरक्षा नहीं थी. अब हमारे अस्पतालों में साफ-सफाई का काम, आंगनवाड़ी में सेवाएं, ये सब जीविका समूहों की बहनें कर रही हैं. यह भी रोजगार है.

10,000 रुपये की बात करें तो वो रकम भी कई महिलाओं के लिए बहुत बड़ी चीज़ है. किसी से उधार लिए बिना, अपनी मेहनत से कोई छोटा काम शुरू कर पाना उनके लिए आत्मसम्मान का विषय है. और रही बात शराबबंदी की तो इसे छोटा मत समझिए. यादव समाज की कई बहनें जो परंपरागत रूप से राजद समर्थक रही हैं, उन्होंने मुझसे कहा कि बहुत अच्छा हुआ, अब हमारे पति पीकर नहीं आते, घर में मारपीट नहीं करते. हमारे बेटे अब पढ़ेंगे, आगे बढ़ेंगे, लठैत नहीं बनेंगे.

10 हजार में कौन सा रोजगार? 

जेडीयू प्रवक्ता अनुप्रि‍या यादव ने इसका जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना सिर्फ 10 हजार रुपये की राशि नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की शुरुआत है. उनके मुताबिक ये वही सोच है जो जीविका जैसी योजनाओं के वक्त शुरू हुई थी, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ल्ड बैंक से लोन लेकर महिलाओं को जोड़ने का काम शुरू किया था. आज एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं जीविका से जुड़ी हैं और बिहार की विकास यात्रा में हिस्सेदारी निभा रही हैं.

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उन्होंने कहा कि लालू यादव के समय जिन बेटियों को घर से निकलने में डर लगता था, जो पढ़ नहीं पाईं. आज वही महिलाएं आत्मविश्वास के साथ काम कर रही हैं. नीतीश कुमार ने सिर्फ आर्थिक मदद नहीं दी बल्कि उनके अंदर यह विश्वास जगाया कि वे परिवार और समाज दोनों के लिए कुछ कर सकती हैं.

अनुप्रिया ने आगे कहा कि 10 हजार रुपये की राशि सिर्फ शुरुआत है. इससे महिलाएं छोटे स्तर पर काम शुरू कर सकती हैं जैसे सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर या सब्जी का कारोबार. सरकार उन्हें ट्रेनिंग और मार्केट की सुविधा भी दे रही है. अनुप्रिया ने यह भी याद दिलाया कि नीतीश कुमार ने 2005 में सरकार संभालते ही पंचायतों में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया था, जिससे आज लाखों महिलाएं सत्ता में भागीदार बनी हैं. 

व‍िपक्ष ने दिखाया आईना 

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की प्रवक्ता प्रियंका भारती ने कहा कि महिलाओं के नाम पर घोषणाएं बहुत हुईं, असली हालात बिहार की सड़कों और घरों में दिखते हैं. अब जवाबदेही देनी होगी. बीजेपी और जेडीयू कहते हैं कि हमने महिलाओं का सशक्तिकरण किया जबकि सच्चाई ये है कि जो महिलाएं ‘जीविका योजना’ या ‘महिला रोजगार योजना’ के तहत पैसे ले रही हैं, वे कर्ज में डूबी हैं. इंडिया टुडे की ही रिपोर्ट है कि एक करोड़ नौ लाख महिलाएं माइक्रो-फाइनेंसिंग कंपनियों से कर्ज लेकर अब कर्ज के बोझ में दबी हुई हैं. बीस महिलाओं ने आत्महत्या कर ली. जब सरकार दस-दस हजार रुपये देती है तो वही माइक्रो-फाइनेंस कंपनियां उनके घर पहुंचती हैं, उनकी बच्चियों को अगवा कर धमकाती हैं, 'पैसे दो, वरना बेटी वापस नहीं करेंगे.'

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बिहार की महिलाओं की सुरक्षा का दावा कितना सही

प्रियंका ने आगे कहा कि सुरक्षा की बात करें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा है, जहां हाल ही में एक महिला के पैर में नौ कीलें ठोक दी गईं. ये कीलें केवल उस महिला के पैर में नहीं, बल्कि बिहार की किस्मत में ठोकी गई हैं. ये कीलें हैं पलायन, बलात्कार, भ्रष्टाचार, गरीबी, भूखमरी, पेपर लीक और हर तरह के अपराध की. अगर अपराध नहीं दिखता तो टिकट वितरण पर नजर डालिए. अभिषेक कुमार उर्फ न्यूटन जिन्हें टिकट मिला है, वे मंजू वर्मा के बेटे हैं. वही मंजू वर्मा जिनके कार्यकाल में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड हुआ था. और कुछ दिन पहले उनके मैरेज हॉल के पीछे तालाब में एक बच्ची की अर्धनग्न लाश मिली जिसमें एफआईआर तक नहीं लिखी गई.

योजना सिर्फ कागजों पर, जमीन पर नहीं 

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. मधु बाला ने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने की बात सिर्फ नारे तक सीमित नहीं होनी चाहिए. उन्होंने माना कि बिहार में पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण देकर नीतीश कुमार ने शुरुआत की थी, लेकिन अब सवाल ये है कि क्या 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' सच में सशक्तिकरण का कदम है या फिर चुनावी घूस का तरीका?

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उन्होंने कहा कि आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये डालना किस तरह का संदेश देता है? क्या हम उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं या परजीवी बना रहे हैं? डॉ. मधु बाला के मुताबिक, 10 हजार रुपये की राशि से न तो स्थायी रोजगार खड़ा किया जा सकता है और न ही स्किल डेवलपमेंट हो सकता है. एक अच्छी इलेक्ट्रिक सिलाई मशीन ही 14 हजार की आती है, ऐसे में दस हजार में क्या काम शुरू होगा? सब्जी बेचने या ब्यूटी पार्लर खोलने की बातें सिर्फ पारंपरिक सोच हैं. असली सशक्तिकरण तभी होगा जब महिलाओं को ट्रेनिंग, मार्गदर्शन और बाजार से जोड़ने की ठोस योजना हो. 

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस योजना के जरिए त्योहारों से पहले महिलाओं को लुभाने की कोशिश कर रही है. ऐसा लगता है जैसे पूरा खजाना खाली कर चुनाव जीतने की रणनीति बनाई गई है. पिछले पांच साल में सिर्फ 8,826 महिलाओं को ही उद्यमिता के लिए ऋण मिला है लेकिन उनकी सफलता पर कोई समीक्षा नहीं हुई. यह बताता है कि योजना सिर्फ कागजों में चल रही है, जमीन पर नहीं. 

कर्ज के जाल में फंसा रही नीतीश सरकार 

प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी की प्रवक्ता सोनाली आनंद ने कहा कि जीविका योजना को 15 साल हो गए. अब तक 40,000 करोड़ रुपये महिलाओं को लोन के रूप में देकर उन्हें कर्ज के जाल में फंसा दिया गया. अब सरकार 30,000 करोड़ रुपये और बांटने की बात कर रही है. इसका बोझ आखिर कौन उठाएगा? बिहार पहले से ही हर नागरिक पर करीब 61 हजार रुपये का कर्ज झेल रहा है.

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सोनाली ने कहा कि सरकार एक ओर ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और सड़क योजनाओं के बजट घटा रही है और दूसरी ओर चुनाव से ठीक पहले हार्ड कैश बांटने में लगी है. ये स्पष्ट रूप से चुनावी रणनीति है, न कि कोई ठोस आर्थिक नीति. जनसुराज के विजन पर बोलते हुए सोनाली ने  कहा हमारा फोकस किसी एक वर्ग पर नहीं, बल्कि पूरे समाज के विकास पर है. महिलाओं और युवाओं दोनों को सस्ती ब्याज दर पर लोन मिलेगा, जिसका ब्याज सरकार भरेगी. विकास तभी होगा जब महिलाएं और युवा दोनों साथ आगे बढ़ेंगे.

अनामिका ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ये चुनावी घूस नहीं, बल्कि नीतीश कुमार की ममता है जो हर बेटी तक सम्मान और सुरक्षा का एहसास पहुंचाना चाहते हैं. बिहार की महिलाएं जात नहीं, अपने अनुभव से वोट करती हैं और वो अनुभव एनडीए के साथ है.
 

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