बिहार चुनाव में महागठबंधन का 42% वोट बैंक पर दाव... सहनी को लड्डू, मुस्लिम भाई को कद्दू?

बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम उम्मीदवार घोषित किया है. यह रणनीति जातीय और सामाजिक वोट बैंक मजबूत करने की है. कांग्रेस और आरजेडी मिलकर जीत के लिए एकजुट हैं, लेकिन मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर विवाद है.

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महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को सीएम और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम उम्मीदवार बनाया (Photo: PTI) महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को सीएम और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम उम्मीदवार बनाया (Photo: PTI)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:57 AM IST

महागठबंधन ने बिहार चुनाव 2025 के लिए बड़ा ऐलान किया है, जिसमें आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी को डिप्टी मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया गया है. यह फैसला महागठबंधन की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद विभिन्न जातिगत और सामाजिक वर्गों के वोट बैंक को मजबूत करना है. मुकेश सहनी, जो मल्लाह और निषाद समुदाय से आते हैं, को डिप्टी सीएम बनने का मौका मिला है, जबकि दूसरी डिप्टी सीएम की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है कि वह मुस्लिम, सवर्ण, दलित या पिछड़े वर्ग से होगी या नहीं.

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मुकेश सहनी ने पहले भी साफ किया था कि अगर महागठबंधन की सरकार बनेगी तो वे डिप्टी सीएम बनेंगे. सहनी को यह मौका मिलने से राजनीतिक हलकों में नई चर्चा और विवाद भी छिड़ गया है. खासकर मुस्लिम समुदाय की उपेक्षा को लेकर आलोचना हुई है क्योंकि बिहार में मुस्लिम वोटर करीब 18 फीसदी हैं, लेकिन महागठबंधन ने अभी तक इस समुदाय से डिप्टी सीएम उम्मीदवार नहीं बनाया है. इस पर जदयू समेत ओवैसी की पार्टी ने महागठबंधन पर निशाना साधा है कि वे मुस्लिम वोटरों को नजरअंदाज कर रहे हैं. हालांकि मुस्लिम समुदाय के वोट कहीं और जाने का अनुमान कम है.

तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव में अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया है और एनडीए से सवाल किया है कि उन्होंने अभी तक अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार क्यों नहीं घोषित किया. वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस पर राहुल गांधी की चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखने का आरोप लगाया है. राहुल गांधी न पहले बिहार दौरे पर आए और न ही चुनाव प्रचार में सक्रिय दिखे, और उनकी तस्वीर महागठबंधन के पोस्टरों से भी हटाई गई, जो कांग्रेस की चुनाव रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

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कांग्रेस में भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने को लेकर मतभेद थे. पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते थे कि उप मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुनाव के बाद निश्चित किया जाए, लेकिन तेजस्वी ने अपने तरीके से जल्दी घोषणा कर दी. साथ ही सीट बंटवारे और गठबंधन सहयोगियों के बीच बहस भी चुनाव प्रचार को प्रभावित कर रही है.

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महागठबंधन की यह रणनीति जातिगत समीकरणों पर आधारित है जिसमें यादव, मुस्लिम, मल्लाह, निषाद जैसे वर्गों का वोट बैंक जोड़ने का लक्ष्य है. तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाने के बाद कांग्रेस ने महागठबंधन के प्रदर्शन को बेहतर करने पर जोर दिया है और राहुल गांधी समेत शीर्ष नेताओं को चुनाव प्रचार में सक्रिय करने की योजना बना रही है.

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इस पूरे चुनावी परिदृश्य में मुकेश सहनी की डिप्टी सीएम की उम्मीदवारी ने महागठबंधन के लिए एक नया राजनीतिक चेहरा और वोट बैंक जोड़ने की कोशिश का संकेत दिया है, जबकि दूसरी ओर मुस्लिम प्रतिनिधित्व को लेकर मतभेद और आलोचनाएं बनी हुई हैं. राहुल गांधी की गैरमौजूदगी और कांग्रेस की आंतरिक राजनीति भी चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभा रही है.

उत्तर प्रदेश AIMIM प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने भी डिप्टी सीएम के नाम के ऐलान को लेकर हमला बोला है. शौकत अली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, '2% वाला उपमुख्यमंत्री 13%वाला मुख्यमन्त्री 18%वाला दरी बिछावन मन्त्री,जब हम कुछ कहेंगे तो बोलेंगे अब्दुल तू चुप बैठ वरना बीजेपी आजायेगी.'

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मुकेश सहनी के नाम के एलान करके और दूसरे डिप्टी सीएम पद का दांव चलकर महागठबंधन ने असल में 42 फीसदी वोट को सीधे साधने की सोची होगी. जहां आंकड़ा ये कहता है कि महागठबंधन  में 14 फीसदी यादव, 18 फीसदी मुस्लिम वोट के साथ, 22 उपजातियों के साथ मल्लाह वोट की हिस्सेदारी वोट में 10 फीसदी तक पहुंच जाती है. तो क्या इस तरह 42 फीसदी वोट बैंक तक सीधी पहुंच अपने दो फेस से महागठबंधन चाहता है. जहां एक और डिप्टी सीएम पद की दावेदारी करके ये साफ नहीं किया गया है कि वो सवर्ण होगा, मुस्लिम होगा, दलित होगा या फिर फिर पिछड़े समाज से होगा?

बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होगा और परिणाम 14 नवंबर को आएंगे. महागठबंधन और एनडीए दोनों अपने-अपने मतदाताओं को जोड़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, और यह चुनाव बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा.

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