केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने हाल ही में 2025 के मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट सूची में 24 लाख से ज्यादा लोगों के नाम हटाने को ‘चिंताजनक’ बताया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में जिस तरह से लाखों लोगों के नाम हटाए गए हैं, वह लोकतंत्र के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर रहा है.
इसके अलावा लगभग 19,32,000 लोगों को अपनी वोटिंग अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए फिर से सुनवाई के लिए दस्तावेज लेकर आना होगा. यह प्रक्रिया 18 से 40 साल के लोगों के लिए 2002 की मतदाता सूची से अपने संबंध स्थापित करने की अनिवार्यता के कारण जारी की गई है, जिससे बड़ी संख्या में लोग अपनी मतदान योग्यता साबित करने के लिए दोबारा जांच प्रक्रिया से गुजरेंगे.
मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन लोगों को 2002 की सूची में किसी कारणवश शामिल नहीं किया गया था, उन्हें भी इस नए संशोधन में बाहर निकाला जा सकता है. साथ ही जो लोग पहले के चुनावों में मतदान कर चुके हैं, वे भी इस प्रक्रिया में बहिष्कृत हो रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, सृवुर्हम में स्थित मतदान केंद्र संख्या 138 में कुल मतदाताओं में से 704 की जानकारी उपलब्ध नहीं है, जो कि संदिग्ध स्थिति है. यह समस्या राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी देखी जा रही है.
लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि एक भी पात्र मतदाता सूची से बाहर न हो. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने गांव कार्यालयों में सहायता डेस्क शुरू करने की घोषणा की है, जिनसे बहिष्कृत हुए मतदाताओं को दोबारा सूची में शामिल करने में मदद मिलेगी. यदि किसी गांव कार्यालय में सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो पास में स्थित सरकारी कार्यालयों में यह सेवा उपलब्ध कराई जाएगी. सहायता डेस्क पर दो अधिकारी जनता की सहायता करेंगे.
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इसके अलावा, अंगनवाड़ी, आशा और कुटुम्बश्री कार्यकर्ताओं की मदद से दूर-दराज के इलाकों तक जाकर पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि 18 साल की उम्र पूरी करने वाले सभी विद्यार्थी और योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल किया जा सके.
मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए और कहा कि चुनाव से ठीक पहले इतनी सख्त SIR प्रक्रिया लोकतंत्र के हित में नहीं है, बावजूद इसके आयोग तेजी से आगे बढ़ रहा है.
शिबिमोल