दिल्ली की राजनीति में हाल के घटनाक्रम इस बात का संकेत देते हैं कि आप के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नई रणनीति पर कार्य कर रहे हैं. इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय और बदलाव देखने को मिले हैं, जिन्होंने राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित किया है.
सबसे पहले, विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल और तिमारपुर से विधायक दिलीप पांडे ने खुद को चुनावी दौड़ से दूर कर लिया है. दिलीप पांडे, जो कभी दिल्ली के इंचार्ज रहे हैं, का चुनाव से दूर रहने का निर्णय एक महत्वपूर्ण संकेत है.
नया करने की कोशिश में केजरीवाल
इसके अलावा, किराड़ी में दो बार के विधायक ऋतुराज की जगह बीजेपी से आए अनिल झा को टिकट दिया जाना भी एक बड़ा परिवर्तन माना जा सकता है. सीलमपुर में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है. यहां विधायक अब्दुल रहमान की जगह कांग्रेस के पूर्व विधायक मतीन अहमद के बेटे जुबैर अहमद को टिकट दिया गया है.
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इन बदलावों से स्पष्ट है कि इस बार टिकट बंटवारे में केजरीवाल कुछ नया करने की कोशिश में हैं. ये सभी संकेत बताते हैं कि आम आदमी पार्टी इस बार चुनावी मैदान में एक नई रणनीति अपनाने का प्रयास कर रही है. यह स्पष्ट है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी आने वाले चुनावों में अधिक प्रभावी प्रदर्शन करने के लिए नए चेहरों और दूसरी पार्टी से लाए गए नेताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
क्या अवध ओझा दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास तिमारपुर से लड़ेंगे चुनाव?
जब से यूपीएससी की कोचिंग चलाने वाले अवध ओझा ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा तभी से एक बात तो तय थी कि उन्हें चुनाव लड़वाने पर विचार किया जा रहा है. अवध ओझा का छात्रों में ज़्यादा क्रेज़ है और जब केजरीवाल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलवाई थी तभी उन्हें शिक्षाविद् के तौर पर ही परिचय करवाया था. ऐसे में जब दिलीप पांडे ने तिमारपुर से चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है तो ये कयास लगने लाजिमी हैं कि कहीं ओझा तिमारपुर से ही तो उम्मीदवार नहीं होंगे.
तिमारपुर विधानसभा में ही दिल्ली यूनिवर्सिटी और आसपास के इलाके जैसे कि मुखर्जी नगर, इंदिरा विहार, नेहरू विहार जैसे इलाके आते हैं जहां यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों की भरमार है. हालांकि बीजेपी नेता और आप सरकार में पूर्व मंत्री रहे कपिल मिश्रा ने अवध ओझा की ज्वाइनिंग के बाद ये कहा था कि उन्हें पता चला है कि ओझा को मनीष सिसोदिया की सीट पटपड़गंज से चुनाव लड़ाया जा सकता है क्योंकि पिछले चुनावों में सिसोदिया काफी कम अंतर से चुनाव जीत पाए थे.
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बीजेपी बना रही है ये रणनीति
अरविंद केजरीवाल राजनीति के धुरंधर माने जाते हैं, ख़ास तौर पर दिल्ली की राजनीति में 2012 में एंट्री मारने के बाद तो केजरीवाल लगातार राजधानी की राजनीति का केंद्र बने हुए हैं. अरविंद केजरीवाल 2013 लेकर 2020 तक तीन बार नई दिल्ली सीट से जीत चुके हैं. इस बार उनकी राह मुश्किल करने के लिए बीजेपी में पूर्व सांसद परवेश साहिब सिंह वर्मा को उनके खिलाफ उतारने की चर्चा है.
इसी तरीके से बीजेपी महत्वपूर्ण सीटों पर अपने बड़े धुरंधरों मसलन सीएम आतिशी के खिलाफ कालका जी से पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी, मंत्री सौरभ भारद्वाज के खिलाफ ग्रेटर कैलाश से पूर्व सांसद मीनाक्षी लेखी, आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता और पिछले चुनावों में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार रहे सोमनाथ भारती के खिलाफ दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय जैसे नेताओं को उतारने की बात चल रही है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल भी नई रणनीति बना कर अपने विधायकों और मंत्रियों को फेरबदल कर बीजेपी की रणनीति को काउंटर कर सकते हैं.
कुमार कुणाल