पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अब फोकस बंगाल चुनाव पर कर दिया है. पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी तैयारियों को और धार देना शुरू कर दिया है. पार्टी नेताओं का कहना है कि इस बार महिला सुरक्षा चुनावी विमर्श का सबसे बड़ा मुद्दा होगा. बीजेपी नेताओं का आरोप है कि राज्य में कानून-व्यवस्था लगातार कमजोर हुई है और बीजेपी इसे प्रमुखता से जनता के बीच लेकर जाएगी.
बीजेपी का ध्यान संगठन के ढांचे को मजबूत करने पर भी है. बीजेपी नेतृत्व का फ़ोकस इस बार सामूहिक नेतृत्व, संगठन की एकजुटता, महिला सुरक्षा और क़ानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर रहने वाला है. बीजेपी नेताओं के अनुसार राज्य में महिला सुरक्षा को चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा. बीजेपी का मानना है कि ध्वस्त क़ानून-व्यवस्था जनता की प्राथमिक चिंता है, इसलिए इसे ज़ोर-शोर से उठाया जाएगा. बीजेपी पश्चिम बंगाल के मतदाताओं के बीच 'जीना है तो बीजेपी को वोट दो, सम्मान से रहना है तो बीजेपी को वोट दो' का संदेश लेकर जाएगी.
बीजेपी महिला सुरक्षा के साथ-साथ रोज़गार, औद्योगीकरण की कमी, पलायन और राज्य की कमजोर अर्थव्यवस्था को भी प्रमुखता से चुनाव में उठाएगी. बीजेपी नेतृत्व का लक्ष्य राज्य में विभिन्न धड़ों में बंटी इकाइयों को एकजुट करना है. सभी नेताओं को सामूहिक रूप से काम करने के निर्देश दिए गए हैं. पार्टी पूरे राज्य में यात्राएं निकालने की भी तैयारी में है. पश्चिम बंगाल के 91 हज़ार बूथ में से करीब 70 हज़ार बूथों पर बूथ समितियां बनाने का लक्ष्य बीजेपी ने तय कर रखा है. वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण यानी एसआईआर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बीजेपी नई वोटर लिस्ट के आधार पर बूथ कमेटियों का पुनर्गठन करेगी.
टीएमसी में असंतोष पर भी है नजर
बीजेपी की नजर तृणमूल कांग्रेस के आंतरिक असंतोष पर भी है. टीएमसी में अभिषेकबनर्जी को लेकर असंतोष पर बीजेपी नजर गड़ाए हुए है और वह इसे वंशवाद से जोड़कर मजबूती के साथ जनता के बीच लेकर जाने की तैयारी में है. बीजेपी का दावा है कि बंगाल की राजनीति में वंशवाद के लिए जगह नहीं है. अभिषेक बनर्जी को लेकर टीएमसी के कई पुराने नेताओं में नाखुशी है. ममता बनर्जी जैसी वफादारी अभिषेक के प्रति नहीं है. ओडिशा में वीके पांडियन को लेकर बने मुद्दे की तरह ही, पश्चिम बंगाल में अभिषेक बनर्जी को लेकर माहौल बनाने की रणनीति पर भी विचार चल रहा है.
यह भी पढ़ें: 'बंगाल की जेल से वसूली रैकेट चला रहे TMC विधायक साहा ', सुवेंदु अधिकारी का बड़ा आरोप
बीजेपी का आकलन है कि पश्चिम बंगाल में जातीय राजनीति उतनी प्रभावी नहीं है, इसलिए पार्टी इस बार जातिगत समीकरणों पर ज़्यादा निर्भर नहीं रहेगी. धार्मिक ध्रुवीकरण की बात पर नेताओं का कहना है कि मुस्लिम वोट 30 से 40 सीटों पर प्रभावी है. वहाँ पहले से ही हिंदू वोट का जवाबी ध्रुवीकरण देखने को मिलता है.
यह भी पढ़ें: बिहार के जोश के साथ बंगाल के लिए बीजेपी का ऐलान-ए-जंग, ममता बनर्जी को बड़ी चुनौती
बीजेपी को हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को अधिक उछालने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि पार्टी की पहचान पहले से हिंदुत्व आधारित है. बीजेपी नेताओं के मुताबिक पिछले कुछ चुनावों में वह 121 सीटें किसी न किसी रूप में जीत चुकी है. इन सीटों को मजबूत आधार मानते हुए बीजेपी इन पर पूरी ताक़त लगाएगी. इसके अलावा 40–50 अतिरिक्त सीटों पर भी फोकस रहेगा.
170 सीटें जीतने का लक्ष्य
बीजेपी ने इस बार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 160 से 170 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. पार्टी टिकट बंटवारे में भी अतिरिक्त सावधानी बरतेगी. रणनीतिकारों के अनुसार इस बार टीएमसी के बड़े नेताओं को बीजेपी में लेने की कोई सक्रिय योजना नहीं है, क्योंकि इससे वोट पर असर सीमित रहता है. हालांकि, टीएमसी के जमीनी कार्यकर्ताओं को संगठन में शामिल करने पर पार्टी सहमत है, ताकि बूथ स्तर पर ताक़त बढ़ाई जा सके.
हिमांशु मिश्रा