सरकारी दफ्तरों में और कानूनी काम के लिए हम में से सभी ने जेब ढीली की ही होगी. वहीं किसी ट्रैफिक सिग्नल पर किसी पुलिसकर्मी द्वारा पकड़े जाने पर दाएं-बाएं होकर उसके हाथ में पैसे किसने नहीं थमाए होंगे. और जब 'गांधी जी' ऐसे नहीं चले होंगे तो उसके चाय-पान का खर्च तो उठाया ही होगा. इन्हीं तमाम दिक्कतों के मद्देनजर भ्रष्टाचार से लड़ने को एक तरकीब निकाली गई है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे...
कैसा हो कि आप रिश्वत में किसी को 'जीरो रुपये' का नोट थमाएं...
जी हां, जीरो रुपये का नाेट. हिन्दी में बोले तो शून्य रुपया. अमेरिका में फिजिक्स के प्रोफेसर सतिंदर मोहन भगत सरकारी अफसरों द्वारा रिश्वत मांगने को लेकर इतने तंग आ गए थे कि इन सभी को सबक सिखाने के लिए उन्होंने जीरो रुपये के नोट ही ईजाद कर डाला.
5th Pillar नामक गैर लाभकारी संगठन ने की मदद...
करप्शन से लड़ने वाली 5th Pillar संस्था के अध्यक्ष विजय आनंद कहते हैं कि वह इस प्रोग्राम की प्रगति को लेकर बेहद खुश हैं. लोगों ने इन नोटों का इस्तेमाल शुरू भी कर दिया है.
यह नोट 50 रुपये के नोट की हू-ब-हू कॉपी है...
इस नोट को रिजर्व बैंक द्वारा जारी 50 रुपये के नोट की तर्ज पर तैयार किया गया है. आम जनता इस आइडिया को पसंद कर रही है और इस माध्यम से वे भी करप्शन पर लगाम लगाने के लिए तैयार हैं.
स्नेहा