कब और कैसे घोषित होता है राजकीय शोक, क्या होते हैं इसके नियम

मध्य प्रदेश के राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे लालजी टंडन का मंगलवार सुबह निधन हो गया. निधन के बाद यूपी में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है. आइए जानते हैं कि क्या होता है राजकीय शोक, इसे कैसे लागू किया जाता है.

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लालजी टंडन के निधन पर UP में होगा तीन दिन का राजकीय शोक लालजी टंडन के निधन पर UP में होगा तीन दिन का राजकीय शोक

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

मध्य प्रदेश के राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे लालजी टंडन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने दुख व्यक्त किया है. उनके निधन के बाद कई बड़े नेता श्रद्धांजलि दे रहे हैं, मंगलवार सुबह उनके बेटे आशुतोष ने उनके निधन की पुष्टि की थी. लालजी टंडन के निधन के बाद यूपी में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है. आइए जानते हैं क्या होता है राजकीय शोक?

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जानें राजकीय शोक के बारे में

भारत में शुरुआत में 'राष्ट्रीय शोक' सिर्फ राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर घोषित होता था. हालांकि भारत में पहला राष्ट्रीय शोक महात्मा गांधी की हत्या के बाद घोषित किया गया था. समय के साथ इस नियम में कई बदलाव किए गए. अब अन्य गणमान्य व्यक्तियों के मामले में भी केंद्र विशेष निर्देश जारी कर राष्ट्रीय शोक का ऐलान कर सकता है. इसके साथ ही देश में किसी बड़ी आपदा के वक्त भी 'राष्ट्रीय शोक' घोषित किया जा सकता है.

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राष्ट्रीय शोक, राजकीय शोक का महत्वपूर्ण पहलू राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि भी है. हालांकि ये जरूरी नहीं कि राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि होने पर राष्ट्रीय या राजकीय शोक घोषित ही किया जाए. अभिनेत्री श्रीदेवी के निधन पर उनकी अंत्येष्टि राजकीय सम्मान से हुई. इसी प्रकार शहीदों की अंत्येष्टि भी राजकीय सम्मान के साथ की जाती है लेकिन ऐसे मौकों पर राजकीय शोक नहीं घोषित किया जाता.

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कौन घोष‍ित करता है राजकीय शोक

पुराने नियमों के अनुसार पहले यह घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकता था. लेकिन अब बदले हुए नियमों के अनुसार राज्यों को भी यह अधिकार दिया जा चुका है. अब राज्य खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है. कई बार राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं. जैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग अलग घोषणाएं की थीं. उनके निधन पर दिल्‍ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और बिहार में एक दिन का सार्वजनिक अवकाश और 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था. गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन पर राष्ट्रीय शोक एक दिन का था, लेकिन गोवा में 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है.

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क्या होता है राजकीय शोक में

केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राजकीय शवयात्रा के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं है. इसके अनुसार अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी को इस दौरान खत्म कर दिया गया है. अब केवल इसी हालत में छुट्टी की घोषणा होती है जब राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए किसी व्यक्त‍ि का निधन हो जाता है. लेकिन अक्सर पद पर न रहने वाले गणमान्य लोगों की मृत्यु के बाद भी सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी जाती है.

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राजकीय शोक के दौरान फ्लैग कोड ऑफ इंडिया नियम के मुताबिक विधानसभा, सचिवालय सहित महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं. इसके अलावा प्रदेश में कोई औपचारिक एवं सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है और इस अवधि के दौरान समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन पर भी प्रतिबंध रहता है. देश में और देश के बाहर स्थित भारतीय दूतावास और उच्‍चायोग में भी राष्‍ट्रीय ध्‍वज को आधा झुकाया जाता है.

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