अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद अश्वेतों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है. इस वक्त अमेरिका के 30 शहरों तक हिंसा का ये तांडव पहुंच चुका है. रविवार को व्हाइट हाउस तक इसका असर देखने को मिला. मामला इतना बिगड़ गया कि सीक्रेट सर्विस एजेंट्स की सलाह पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस में बने सुरक्षा बंकर में जाना पड़ा. वहीं, वाशिंगटन में रात को कर्फ्यू का ऐलान करना पड़ा. राजधानी में पुलिस की सहायता के लिए मेयर ने नेशनल गार्ड्स की तैनाती को मंजूरी दे दी है.
ट्रंप ने Antifa को बताया जिम्मेदार
राष्ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाया है कि इस आंदोलन को हाइजैक कर लिया गया है और अब उन्होंने ऐसे लोगों को आतंकवादी घोषित करने का फैसला किया है. ट्रंप ने ट्वीट करके कहा है कि अमेरिका Antifa को आतंकवादी संगठन करार देगा. ट्रंप ने हिंसा के पीछे वामपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है जिन्हें आमतौर पर Antifa कहा जाता है.
बता दें कि अमेरिका के 25 से अधिक शहरों में भीषण प्रदर्शन, हंगामा और हिंसा हो रही है. कई जगहों पर प्रदर्शन दंगे में बदल गया है और लोगों ने पुलिस की गाड़ियों, इमारतों में आग लगा दी और दुकानों से सामान लूट लिए. नैशविले में कोर्ट की ऐतिहासिक बिल्डिंग को आग के हवाले कर दिया गया. इस दौरान कम से कम 2 लोगों की मौत भी हो गई. प्रदर्शन में शामिल शहरों में न्यूयॉर्क, लॉस एंजिलिस, कैलिफोर्निया और वॉशिंगटन प्रमुख हैं. मिन्नेसोटा और जॉर्जिया राज्य में इमरजेंसी का ऐलान करना पड़ा.
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जानें Antifa के बारे में
अमेरिका में फासीवाद के विरोधी लोगों को Antifa (anti-fascists) कहते हैं. अमेरिका में एंटीफा आंदोलन उग्रवादी, वामपंथी और फासीवादी विरोधी आंदोलन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये लोग नव-नाजी, नव-फासीवाद, श्वेत सुपीरियॉरिटी और रंगभेद के खिलाफ होते हैं और सरकार के विरोध में खड़े रहते हैं. संगठन के जरिये शांतिपूर्ण प्रदर्शन, रैलियाें के माध्यम से फासीवाद का लगातार विरोध होता रहा है.
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एंटीफा के गठन को लेकर इसके सदस्य दावा करते हैं कि 1920 और 1930 के दशक में यूरोपीय फासीवादियों का सामना करने के लिए इसकी नींव रखी गई. एंटीफा आंदोलन 1980 के दशक में एंटी-रेसिस्ट एक्शन नामक एक समूह के साथ शुरू हुआ था जैसा कि जानकार और इस पर मॉनिटरिंग रखने वाले लोग बताते हैं. साल 2000 तक संगठन ने कोई बड़ा सक्रिय आंदोलन नहीं किया था लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने के बाद इनके विरोध प्रदर्शन लगातार जारी हैं.
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एंटीफा के सदस्य Neo-Nazis, नव-फासीवाद यानी Neo-fascism, श्वेत वर्चस्ववादी (white supremacists) और नस्लवाद ( racism) का खुलकर विरोध करते हैं. इसके सदस्य दक्षिणपंथी नेताओं और विचारधारा का भी खुलकर विरोध करते हैं. दक्षिणपंथी कार्यकर्ता या नेताओं को रोकने के लिए चिल्लाना, भगदड़ मचाना और मानव श्रृंखला बनाना इनकी पसंदीदा रणनीति है.
घटनाक्रम के अनुसार शनिवार को प्रदर्शन का पांचवा दिन था. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 शहरों में दंगे की वजह से कर्फ्यू लगाना पड़ा. कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शन खत्म नहीं हुए. प्रभावित राज्यों में मिन्नेसोटा, जॉर्जिया, ओहियो, कोलोराडो, विस्कोन्सिन, केन्टकी, उटाह, टेक्सास शामिल हैं.
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