दो इंजीनियर दोस्तों ने किया ये इनोवेशन, बच सकेगी लाखों की जान!

आईआईटी बॉम्बे में दो इंजीनियर दोस्तों ने एक ऐसा इनोवेशन पेश किया है, जिससे हर साल भारत में फेफड़ों और दिल की बीमारी से मर रहे 28 लाखों लोगों को इलाज किया जा सकता है.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

मोहित पारीक

  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2018,
  • अपडेटेड 3:51 PM IST

आईआईटी बॉम्बे में दो इंजीनियर दोस्तों ने एक ऐसा इनोवेशन पेश किया है, जिससे फेफड़ों और दिल संबंधी बीमारियों के इलाज में मदद मिल सकती है. बता दें कि भारत में इन बीमारियों से हर साल करीब 28 लाख लोगों की मौत हो जाती है. उन्होंने संस्थान में आयोजित हुए मेडिकल डिवाइस इनोवेशन कॉन्क्लेव-2015 में यह इनोवेशन पेश किया था. उन्होंने पहले रिसर्च की, जिसमें पता चला कि आमतौर पर इस्तेमाल किए जा रहे स्टेथस्कोप (फेफड़ों की आवाज सुनने वाला यंत्र) में कई तरह की कमियां हैं.

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उसके बाद एक डॉक्टर डॉ नंबिराज कोनार की मदद से आदर्श के, तपस पांडे ने एक बेहतर स्टेथस्कोप बनाया, जो इलाज की हिहाज से काफी बेहतर है और इसका इस्तेमाल गांवों में भी एक्रिडेटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट (ASHA) के द्वारा भी किया जा सकता है. यह एक डिजिटल स्टेथस्कोप है, जो फेफड़ों की आवाज और दिल की धड़कन सुनने के साथ यह इसकी ऑडियो क्लिप भी बना लेता है. आदर्श की ओर से की गई एक रिसर्च के अनुसार यह भारत जैसे देश में बहुत सहायक है, जहां 1700 लोगों पर एक डॉक्टर है.

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साथ ही यह आधुनिक स्टेथस्कोप स्काइप से कनेक्ट हो सकता है और रिकॉर्ड किए गए ऑडियो को स्काइप के तरह भेज सकते हैं. इस इनोवेशन को लेकर आदर्श ने फोर्ब्स को बताया कि इससे एक आशा कार्यकर्ता भी ग्राणीण इलाकों में कहीं से भी मरीज की आवाज और धड़कन रिकॉर्ड कर अपने डॉक्टर को भेज सकती है. 

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खास बात ये है कि इसकी आवाज साफ होती है, जिसे आसानी से सुना जा सकता है. बता दें कि इन तीनों को इस इनोवेशन के लिए एमईडीसी में प्रथम पुरस्कार भी मिला था, जिसके बाद उन्हें कई फैलोशिप करने का मौका भी मिला. साथ ही इसकी कीमत भी यूएस द्वारा बनाए जाने वाले स्टेथस्कोप से कम है और इसकी क्वालिटी उसी के बराबर है. इसकी कीमत करीब 8000 रुपये है और इसके ऑर्डर भी मिल रहे हैं.

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