NIFT कश्मीर हुआ जोधपुर शिफ्ट, केन्द्र सरकार की बड़ी पहल...

कश्मीर में बीते 102 दिन तक कर्फ्यू जैसे हालात, स्कूल-कॉलेज हैं बंद. निफ्ट कश्मीर के स्टूडेंट्स क्लासेस के लिए निफ्ट जोधपुर में किए गए शिफ्ट...

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शरत कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

कश्मीर में करीब 102 दिन से कर्फ्यू जैसे हालात है. स्कूल-कॉलेज बंद हैं. ऐसे में (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी) निफ्ट श्रीनगर को अस्थाई तौर पर निफ्ट जोधपुर में शिफ्ट किया गया है ताकि स्टूडेंट्स का पिछड़ा कोर्स पूरा किया जा सके. वहां रजिस्टर्ड 37 में से 35 स्टूडेंट्स जोधपुर आ चुके हैं. दीपावली की छुट्टियों में भी क्लासेस चलाई जाएंगी.
श्रीनगर से कोई फैकल्टी नहीं आई है. जोधपुर के प्रोफेसर ही एक्स्ट्रा क्लासेस ले रहे हैं. रविवार को भी क्लासेस लगाई जा रही हैं. संस्थान के अनुसार वहां हालात सामान्य होने तक स्टूडेंट्स यहीं रहेंगे. पंजाब की स्टूडेंट शिवानी को अपना कॉलेज छूटने का दुख तो है ही मगर पढ़ाई पूरी होने की खुशी भी है.

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स्टूडेंट्स ने की केन्द्र सरकार की सराहना...
जोधपुर के निफ्ट में पढ़ाई करने कश्मीर से आये इन स्टूडेंट्स को देखकर तो यही लगता है कि कश्मीर के हालात सिर्फ सरकारी प्रयासों से नहीं सुधरेंगे. जहां एक तरफ ये कहा जाता है कि कश्मीर को सेंट्रल गवर्नमेंट के बड़े शिक्षण संस्थान दिए जाएं, शिक्षा का स्तर सुधारा जाए, लोगों को रोजगार दिए जाएं. वहीं दूसरी तरफ वहां हालात ऐसे बना दिए जाते है कि सारे प्रयास बेमानी हो जाते हैं. ना तो कोई शिक्षण संस्थान खुला रह सकता है और न ही कोई अन्य संस्थान लोगों को रोजगार देने के लिए काम कर सकता है.
ऐसा लगता है जैसे कश्मीरियों को नफरत की शिक्षा और अलगाववादियों से पैसे लेकर सेना पर पत्थर फेंकने का रोजगार ही रास आ रहा है. तभी तो वहां की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे जाते हैं और स्टूडेंट्स को पढ़ने जैसे हालात ही नहीं मिल पाते. ऐसे में स्टूडेंट्स को घाटी से कहीं और शिफ्ट होना पड़ रहा है. इस मसले पर छात्र शिवम कोड़ा कहते हैं कि उनकी पढ़ाई लंबे समय से ठप्प है और करियर बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गया है. ऐसे में केन्द्र सरकार के इस कदम की वे खासी सराहना करते हैं.

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गर्ल स्टूडेंट्स के लिए विशेष सुविधा...
जोधपुर निफ्ट में छात्राएं ज्यादा हैं. गर्ल्स हॉस्टल भरा हुआ था. ऐसे में कश्मीर की छात्राओं के लिए स्थानीय निफ्ट प्रबंधन ने फैकल्टी के लिए आवंटित कमरे भी खुलवा दिए हैं. स्टडी के लिए भी कमरे आवंटित किए गए हैं.
श्री नगर की स्टूडेंट फातमा का कहना है कि उन्हें वहां क्या हो रहा है उससे कोई लेना देना नही है, वो तो बस पढ़ना चाहती हैं. श्रीनगर छोड़कर यहां आना इसकी बड़ी वजह है. इन स्टूडेंट के पढ़ाई और रहने की व्यवस्था तो जोधपुर निफ्ट ने कर दी है लेकिन फिर भी कश्मीर का कर्फ्यू इनका पीछा नहीं छोड़ रहा है क्योंकि पिछले चार महीनो से बंद पड़ी पढ़ाई का खामियाजा इन्हें भुगतान पड रहा है. श्रीनगर की एक और स्टूडेंट शहबा कहती हैं कि इंडिया के सभी निफ्ट के सिलेबस की बराबरी तक पहुंचने के लिए इन्हें अब चौबीसों घंटे और सातों दिन पढ़ाई करके अपना पिछला कोर्स पूरा करना होगा जो काफी मुश्किल काम है.

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घाटी के बजाय रेगिस्तान से करना चाहते हैं नई शुरुआत...
बहरहाल कश्मीर की वादियो में फैशन टेक्नोलॉजी के रंगों की सिलाई करने और डिजाइनिंग सीखने गए इन स्टूडेंट्स को वहां के हालात ने कई रंग दिखाए. पढ़ाई की तो बखिया ही उधेड़ कर रख दी और चेहरों का रंग उड़ा दिया. अब ये छात्र अपने रंगों को फिर से समेटना चाहते हैं. अब राजस्थान के रेगिस्तान में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे यहां दिन रात मेहनत करके अपने मकसद में कितना सफल हो पाते हैं.

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