मदर टेरेसा जयंती: लोगों ने लगाए थे ये बड़े आरोप, कही थी ये बातें

दुनिया के अलग-अलग देशों की नागरिकता रखने वाली और मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक मदर टेरेसा साल 1910 में 26 अगस्त के रोज ही पैदा हुई थीं.

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मदर टेरेसा मदर टेरेसा

प्रियंका शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST

आज मदर टेरेसी की जयंती है. उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बेनीयाई परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था. कुष्ठ रोगियों और अनाथों की सेवा में अपनी जिंदगी लगाने वाली मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. दुनिया में और खास तौर से भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसा ही कोई होगा जो मदर टेरेसा के नाम और कृत्य से वाकिफ न हो. उन्होंने अपनी पूरा जिंदगी दूसरों की सेवा में समर्पित कर दी. आज जानते हैं मदर टेरेसा के बारे में कुछ दिलचस्प बातें...

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- मदर टेरेसा अग्नेसे गोंकशे बोजशियु की कैथोलिक थीं, लेकिन उन्हें भारत की नागरिकता मिली हुई थी. उन्हें भारत के साथ साथ कई अन्य देशों की नागरिकता मिली हुई थी, जिसमें ऑटोमन, सर्बिया, बुल्गेरिया और  युगोस्लाविया  शामिल है.

- साल 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों की सेवा का संकल्प लिया था. निस्वार्थ सेवा के लिए टेरेसा ने 1950 में कोलकाता में 'मिशनरीज ऑफ चेरिटी' की स्थापना की थी. 1981 में उन्होंने अपना नाम बदल लिया था.

- अल्बानिया मूल की मदर टेरेसा ने कोलकाता में गरीबों और पीड़ित लोगों के लिए जो किया वो दुनिया में अभूतपूर्व माना जाता है.

- उन्होंने 12 सदस्यों के साथ अपनी संस्था की शुरुआत की थी और अब यह संस्था 133 देशों में काम कर रही है. 133 देशों में इनकी 4501 सिस्टर हैं.

- मदर टेरेसा को उनके जीवनकाल में गरीबों और वंचितों की सेवा और उत्थान के लिए कई पुरस्कार मिले. इसमें 1979 में मिला नोबेल शांति पुरस्कार सबसे प्रमुख था, जो उन्हें मानवता की सेवा के लिए प्रदान किया गया था.

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- हाल ही में वेटिकन सिटी में एक समारोह के दौरान रोमन कैथोलिक चर्च के पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि दे दी. दुनियाभर से आए लाखों लोग इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने थे.

- आपको बता दें, मदर टेरेसा संत बन चुकी हैं. वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी थी. दुनियाभर से आए लाखों लोग इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने थे.

- मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन गरीब और असहाय लोगों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया था. वह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी अपने परोपकारी कामों के लिए जानी जाती थीं.

- मदर टेरेसा अपनी मृत्यु तक कोलकाता में ही रही और आज भी उनकी संस्था गरीबों के लिए काम कर रही है. उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के साथ भारत रत्न, टेम्पटन प्राइज, ऑर्डर ऑफ मेरिट और पद्म श्री से भी नवाजा गया है. उनका कहना था . 'जख्म भरने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठ से कहीं ज्यादा पवित्र हैं'.

- आपको बता दें, अपने जीवन के अंतिम समय में मदर टेरेसा पर कई तरह के आरोप भी लगे थे. उन पर गरीबों की सेवा करने के बदले उनका धर्म बदलवाकर ईसाई बनाने का आरोप लगा.

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- भारत में भी पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में उनकी निंदा हुई. मानवता की रखवाली की आड़ में उन्हें ईसाई धर्म का प्रचारक माना जाता था. लेकिन कहते हैं ना जहां सफलता होती है वहां आलोचना तो होती ही है.

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