क्या है रिक्टर स्केल, जानें इस पर भूकंप की तीव्रता मापने का तरीका

भूकंप के मामले में लोग रिक्टर पैमाने की चर्चा करते हैं. रिक्टर स्केल या Richter magnitude scale वो पैमाना होता है जिसमें भूकंप की तीव्रता का पता लगाया जाता है. आइए जानते हैं, क्या होता है इसे मापने का सटीक तरीका.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2020,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता को तय किया जाता है. आइए जानें कि रिक्टर स्केल पर किस तरह के भूकंप कितने खतरनाक होते हैं.

7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर जहां इमारतें गिर जाती हैं वहीं 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है. जानें रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता के हिसाब से क्‍या हो सकता है असर:

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7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर जहां इमारतें गिर जाती हैं. वहीं 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है. जानें रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता के हिसाब से क्‍या हो सकता है असर:

- 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है.

- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.

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- 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है.

- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं.

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- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है.

- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है.

- 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं. जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं.

- 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं.

- 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी. समंदर नजदीक हो तो सुनामी. भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है.

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वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप की पूरी भविष्यवाणी तो संभव नहीं है लेकिन ये जरूर पता लगाया जा सकता है कि धरती के नीचे किस इलाके में किन प्लेट्स के बीच हलचल ज्यादा है, किन प्लेट्स के बीच ज्यादा ऊर्जा पैदा होने की आशंका है. 2012 में छपी एक रिसर्च के मुताबिक कुछ तथ्य जो सामने आए हैं, वो इस प्रकार हैं.

-हिमालय के केंद्रीय हिस्से में रिक्टर स्केल पर 8 से 8.5 की तीव्रता के कई भूकंप आ चुके हैं

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-इन बड़े भूकंपों ने इस इलाके में गहरी दरारें पैदा कर दी हैं

-खास तौर पर साल 1934 में आए भूकंपों ने हिमालय के आसपास का नक्शा ही बदल दिया.

-1934 में आए भूकंप ने तो सतह पर 150 किलोमीटर लंबी दरार बना दी थी.

-वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमालय का ये हिस्सा ऐसे बड़े भूकंपों की अनगिनत संभावनाएं लिए हुए है.

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