जानें पिज्जा की सुंदरता के पीछे छिपा सच, होश उड़ जाएंगे...

आज के जमाने में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जिसे पिज्जा न पसंद हो लेकिन क्या आप पिज्जा के पीछे के सच को जानते हैं? अगर नहीं जानते हैं तो यह आपके लिए ही है...

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विष्णु नारायण

  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

जहां आज से दशक भर पहले लोग दफ्तर या काम पर जाने के वक्त टिफिन लेकर जाया करते थे. वहीं आज-कल लोग पिज्जा ऑर्डर करते हैं. दोस्तों की गैदरिंग पर पिज्जा और कोल्ड ड्रिंक का इंतजाम किया जाता है. हालांकि यह अपने तरह की एक अलग सच्चाई है कि लोगों के पसंदीदा पिज्जा की बड़ी कीमत हमारा पर्यावरण चुका रहा है. जानें क्या है पिज्जा के पीछे का छिपा सच...

फूड स्टोर बने प्रदूषण की वजह...
ब्राजील के मशहूर शहर साउ पाउलो में यूनिवर्सिटी ग्लोबल पार्टनरशिप नेटवर्क के 10 प्रदूषण विशेषज्ञों ने पाया कि पिज्जा बनाने वाले फूड स्टोर प्रदूषण की बड़ी वजह बन गए हैं.

साउ पाउलो है पिज्जा राजधानी...
यह शहर खुद को दुनिया की पिज्जा राजधानी कहलवाना भी पसंद करता है.
साउ पाउलो में पिज्जा स्टोर की संख्या 8000 है.
वहां हर रोज 10 लाख पिज्जा तैयार होते हैं.
यहां 10,000 पिज्जा वुड बर्निंग स्टोव (लकड़ी जलने से पैदा होनी वाली आंच) पर बनाए जाते हैं.

आखिर पिज्जा कितना कीमती है?
यहां 7.5 हेक्‍टेयर युकेलिप्टस के जंगल हर महीने काटे जाते हैं, ताकि इन पिज्‍जा स्टोर और स्टीकहाउस का काम सुचारू ढंग से चल सके.
यहां 3,07,000 टन लकड़ी हर साल इसी वजह से जलती है.

क्यों जलाई जाती है लकड़ी?
पिज्‍जा बनाने वाले लकड़ी जलाने वाले स्टोव इसलिए इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ये काफी गर्म होता है, करीब 1200 डिग्री फारेनहाइट तक. इससे ज्यादा क्रिस्पी और खूबसूरत क्रस्ट वाला पिज्जा तैयार करने में आसानी होती है.
पिज्‍जा चिमनी जमीन के करीब रहती हैं. ऐसे में कारखानों की चिमनियों की तुलना में ये चिमनियां आम लोगों की सेहत पर ज्यादा बुरा असर डालती हैं.

पिज्जा पैदा कहां हुआ था?
क्या पिज्जा खाते-खाते आपके दिमाग में भी ऐसे खयाल आते हैं कि पहलेपहल पिज्जा किसने-कब और कहां बनाया था? यदि हां, तो हम आपको बता दें कि इटली में नेपल्स के करीब सैन विटालियानो है. वहीं इस व्यंजन की पैदाइश हुई थी. हालांकि आज वहां भी लकड़ी जलाने पर पाबंदी लगा दी गई है. वहां पर्यावरण को इससे भारी नुकसान हो रहा था.

सौजन्य- http://www.newsflicks.com/hindi/story/price-of-that-slice-hindi

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