आजाद भारत में इनके सत्याग्रह से लाखों गरीबों को मिली थी जमीन

आज आचार्य विनायक नरहरि भावे उर्फ विनोबा भावे की पुण्यतिथि है. विनोबा भावे स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रसिद्ध गांधीवादी नेता थे. उन्होंने भूदान आंदोलन का आधार रखा था. उन्हें भारत का राष्ट्रीय आध्यापक और महात्मा गांधी का आध्यातमिक उत्तराधीकारी समझा जाता है.

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विनोबा भावे विनोबा भावे

मोहित पारीक

  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

आज आचार्य विनायक नरहरि भावे उर्फ विनोबा भावे की पुण्यतिथि है. विनोबा भावे स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रसिद्ध गांधीवादी नेता थे. उन्होंने भूदान आंदोलन का आधार रखा था. उन्हें भारत का राष्ट्रीय अध्यापक और महात्मा गांधी का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी समझा जाता है. विनोबा भावे को देश का पहला सत्याग्रही माना जाता है.

भावे पहले शख्स थे, जिन्हें सत्याग्रह आंदोलन के लिए महात्मा गांधी ने चुना था. उन्हें कम्युनिटी लीडरशिप के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया था और वो यह पुरस्कार जीतने वाले पहले व्यक्ति थे. उन्हें संस्कृत, कन्नड़, उर्दू और मराठी समेत करीब 7 भाषाओं का ज्ञान था. उन्होंने कहा था कि जो खुद पर काबू पा लेता है, वो दुनिया पर काबू पा सकता है.

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विनोबा भावे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच उनके रिश्ते अच्छे थे. भावे उस वक्त विवादों में रहे थे, जब उन्होंने इंदिरा गांधी की ओर से घोषित किए गए आपातकाल को 'अनुशासन पर्व' कह दिया था.

भूदान आंदोलन

यह एक स्वैच्छिक भूमि सुधार आंदोलन था. विनोबा भावे की कोशिश थी कि भूमि का पुनर्वितरण सिर्फ सरकारी कानूनों के जरिए नहीं हो, बल्कि एक आंदोलन के माध्यम से इसकी सफल कोशिश की जाए. इसके बाद वह गाँव-गाँव घूमकर भूमिहीन लोगों के लिए भूमि का दान करने की अपील करने लगे और उन्होंने इस दान को गांधीजी के अहिंसा के सिद्धान्त से संबंधित कार्य बताया.

विनोबा भावेः गूंगे का गुड़

बता दें कि भूदान आंदोलन के दौरान 1950 और 1960 के दशक में लगभग साढ़े छह लाख एकड़ जमीन बिहार में दान दी गई थी. स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ गांधीवादी आचार्य विनोबा भावे की अगुवाई में 1951 में यह आंदोलन शुरु हुआ था. इस आंदोलन से मिली ज़मीन के बड़े हिस्से पर कानूनी रुप से बिहार में साढ़े तीन लाख से अधिक परिवारों को बसाया भी गया.

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