कश्मीर के युवा उद्यमी ऐसे भी, कश्मीरियों के लिए बनाया माय राहत डॉट कॉम

यह कश्मीरी युवक अपने पोर्टल के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को दुरुस्त और आम जन की पहुंच में लाने की कोशिश कर रहे हैं. पढ़ें कहां से मिली उन्हें इसकी प्रेरणा...

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विष्णु नारायण

  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST

दुनिया में वैसे तो न जाने कितने ऐसे वेब पोर्टल और गैर सरकारी संगठन हैं जो विकट परिस्थितियों और दूर दराज के इलाकों में बसने वाले लोगों की मदद करते हैं. ऐसा ही एक वेब पोर्टल है माय राहत डॉट कॉम और इस पोर्टल की सबसे खास बात यह है कि यह पोर्टल एक कश्मीरी शख्स द्वारा बनाया गया है और कश्मीरियों के लिए अपने तरीके से काम कर रहा है.

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जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में जहां कनेक्टिविटी एक बड़ी बाधा है उसे बाजार की जद में लाना अपने आप में एक बड़ा चैलेंज था और इस काम में महती भूमिका निभा रहे हैं काशिफ और उनके दोस्त आबिद रशीद और जहीर हसन.

कहते हैं कि किसी भी स्थान के विकसित होने के क्रम में उसे स्वास्थ्य, शिक्षा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मामले में बेहतर होना होता है. yourstry.com पर आई एक खबर के अनुसार, काशिफ ने जम्मू यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है और इन क्षेत्रों को और भी बेहतर बनाने के लिए माय राहत डॉट कॉम नामक एक पोर्टल शुरू किया. इसके माध्यम से वे स्थानीय लोगों की गैस कनेक्शन, पशु चिकित्सा, शिक्षा समेत वे तमाम सुविधाएं कश्मीरियों को दिलाने के लिए जम्मू कश्मीर मंत्रालय से समन्वय बनाने की कोशिश करते हैं.

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आखिर है क्या माय राहत डॉट कॉम?
यह एक ऐसी सर्विस है जिसका मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक सर्विस को आम लोगों के दरवाजे तक पहुंचाना है.

माय राहत के उद्देश्य...
माय राहत 8 प्रमुख क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, समाचार, मीडिया, उपयोगिताओं, उत्पादों, ई-गवर्नेंस और यात्रा जैसे क्षेत्रों में अपनी सर्विस देता है. इसके अलावा वे कई सामाजिक उद्यमों के साथ संबंधों के की स्थापना की है. वे राज्य के भीतर काम करने वाली तमाम कंपनियों और व्यवसायों को खड़ा करने, सरकार के लिए एक मंच तैयार करना और सबसे महत्वपूर्ण बात कि कश्मीरी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश में लगे हैं. वे सरकार और कश्मीरी युवाओं के बीच पुल का काम कर रहे हैं.

वे उन तमाम ग्रामीण इलाकों में रहने वाले और बुनियादी सुविधाओं से वंचित नौजवानों को इस पोर्टल से जोड़ने के प्रयास में लगे हैं. वे बताते हैं कि इस सेवा के लिए ग्राहक को 300 से 500 रुपये खर्च करने होते हैं और आज इस पोर्टल से जुड़े ग्राहकों की संख्या 1,500 पहुंच चुकी है. वे इस बीच 30 संस्थाओं के साथ करार कर चुके हैं और बेहद कम कीमतों में राज्य के तमाम ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाले लोगों की मदद कर रहे हैं. आज उनके पोर्टल से प्रतिदिन फायदा उठाने वाले लोगों की संख्या 1000 है और इस बीच ही उन्होंने 1 मिलियन का आंकड़ा छुआ है. यदि बात सिर्फ कंपनी के राजस्व की हो तो वे 100 मिलियन का आंकड़ा पार कर चुके हैं.

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काशिफ अपने इस सकारात्मक प्रयास से कश्मीर की वादियों में खुशी बिखेरने का काम कर रहे हैं. अब हम तो ईश्वर से यही प्रार्थना करेंगे कि वे अपने इस मकसद में सफल रहें और दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करें.

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