जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने समाज कार्य (सोशल वर्क) विभाग के प्रोफेसर वीरेंद्र बालाजी शहारे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. यह सख्त कार्रवाई सेमेस्टर परीक्षा के एक प्रश्न पत्र में 'मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' से संबंधित एक विवादास्पद सवाल पूछने के बाद की गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रोफेसर के खिलाफ पुलिस में एफआईआर (FIR) दर्ज कराने का भी निर्णय लिया है.
सूत्रों के अनुसार यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रोफेसर वीरेंद्र बालाजी शाहारे को एक नोटिस भी जारी किया है. हालांकि, इस पूरे मामले पर अब तक जामिया प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है.
इंडिया टुडे डिजिटल ने रजिस्ट्रार के ऑफिस में फोन करने की कोशिश की, लेकिन कॉल का जवाब नहीं मिला. वहीं प्रोफेसर शहारे का फोन बंद था.
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में आयोजित बी.ए. (ऑनर्स) सोशल वर्क के पहले सेमेस्टर की परीक्षा में 'भारत में सामाजिक समस्याएं' (Social Problems in India) विषय के पेपर में एक सवाल पूछा गया था. 15 अंकों के इस प्रश्न में छात्रों से कहा गया था कि वे उपयुक्त उदाहरण देते हुए भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों पर चर्चा करें. इस प्रश्न पत्र की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया. कई विशेषज्ञों और सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण करने वाला और भड़काऊ करार दिया.
नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल
इस बीच जामिया का नोटिस सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया. 23 दिसंबर 2025 को जारी कथित नोटिस में, जिस पर कार्यवाहक रजिस्ट्रार सीए शेख सफीउल्लाह के हस्ताक्षर हैं, कहा गया है कि सोशल वर्क विभाग के प्रोफेसर और पेपर सेटर वीरेंद्र बालाजी शाहरे को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है. नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि नियमों के तहत पुलिस FIR दर्ज कराई जाएगी और पूरे मामले की आंतरिक जांच शुरू की जाएगी.
नोटिस में कहा गया, “जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने प्रोफेसर वीरेंद्र बालाजी शाहरे की ओर से बरती गई लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये को गंभीरता से लिया है. निलंबन अवधि के दौरान, प्रोफेसर वीरेंद्र बालाजी शाहारे का मुख्यालय नई दिल्ली होगा और वह सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे."
कंचन गुप्ता ने X पर पोस्ट में लिखा, "जामिया मिलिया इस्लामिया एक केंद्रीय यूनिवर्सिटी है जिसमें विभिन्न समुदायों के छात्र पढ़ते हैं. यह सवाल दुर्भावनापूर्ण इरादे दिखाता है."
वहीं, भू-राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर शोध करने वाले राजा मुनीब ने भी सवाल को बेहद उत्तेजक और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने वाला बताया. उन्होंने लिखा, “यह उसी तरह का तरीका है, जिससे एक खास एजेंडे के तहत अकादमिक नैरेटिव को जानबूझकर विभाजनकारी बनाया जाता है.”
1920 में स्थापित हुई थी यूनिवर्सिटी
गौरतलब है कि जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित एक सेंट्रल पब्लिक यूनिवर्सिटी है. इसे मूल रूप से 1920 में अलीगढ़ में एक गैर-सरकारी संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था और 1988 में संसद के एक अधिनियम द्वारा यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया. 2011 में, जामिया मिलिया इस्लामिया को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग (NCMEI) द्वारा आधिकारिक तौर पर एक मुस्लिम अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान के रूप में मान्यता दी गई थी.
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