हमारी दुनिया में वास्तविक हीरोज की भरमार है मगर वे अक्सर हमारी नजरें उन पर नहीं पड़ पातीं. मेनस्ट्रीम मीडिया भी उन्हें खास तवज्जो नहीं देता. इसके बावजूद वे सही अर्थों में हीरो हैं. अपने इर्द-गिर्द सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. 35 वर्षीय गोता सतीश कुमार को बिरले शख्सियतों में शुमार किया जा सकता है. उनकी कहानी उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हो सकती है जो अपनी छोटी सी समस्याओं को लेकर हताश-निराश हो जाते हैं. आत्महत्या तक के बारे में सोचने लगते हैं.
साल 2005 में दुर्घटना के हुए शिकार...
सतीश को मोटरसाइकिल चलाना बेहद पसंद रहा है लेकिन इक खतरनाक दुर्घटना की वजह से वे अपनी दोनों टांगें गंवा बैठे. मगर अवसाद में डूब जाने के बजाय उन्होंने कृत्रिम पैरों के सहारे चलने का फैसला लिया. इतना ही नहीं आज वे मस्ती से रॉयल एनफील्ड चलाते देखे जा सकते हैं.
2 सितंबर से ही सड़कों पर हैं...
ऐसा भी नहीं है कि वे महज शौक के लिए थोड़ी-बहुत मोटरसाइकिल चलाते हों. वे ओडिशा के अपने शहर रायगढ़ से 2 सितंबर की तारीख को निकल पड़े. वे अब तक 13,258 किलोमीटर की यात्रा एकदम अकेल कर चुके हैं. 16,000 किलोमीटर की यात्रा पूरा करते ही वे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का हिस्सा बन जाएंगे. वे यहीं रुकना नहीं चाहते. वे 50,000 किलोमीटर की यात्रा पर निकलना चाहते हैं.
एक बार ठान लिया तो फिर नहीं रुके...
सतीश की इस मुहिम में उनके दोस्तों, परिवार के सदस्यों के अलावा टॉलीवुड के एक्टर पवन कल्याण ने भी खासी मदद की है. पवन कल्याण उनकी ट्रिप के स्पॉन्सर रहे हैं. इसके अलावा ऑल इंडिया राइडर्स क्लब भी उनकी हर संभव मदद कर रहे हैं. वे इस ट्रिप को पूरी करने के बाद माउंट एवरेस्ट फतह का सपना संजोए हैं.
वे कहते हैं कि समर्थता और असमर्थता सिर्फ इंसान के नजरिए का मामला है. अगर वे ऐसा कर सकते हैं तो कोई भी कुछ भी कर सकता है. और हम उनसे अक्षरश: सहमत हैं.
विष्णु नारायण