हिज्बुल मुजाहिदीन बनने की कहानी, कभी टॉप टेररिस्ट बुरहान वानी के हाथ थी कमान

हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन आज दुनिया के बड़े हिस्से के लिए खतरा बन चुका है. इस आंतकवादी संगठन की स्थापना 1989 में कश्मीरी अलगाववादी मुहम्मद एहसान डार ने की थी. आइए जानते हैं इस संगठन से जुड़ी ये खास बातें.

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हिजबुल मुजाह‍िदीन संगठन हिजबुल मुजाह‍िदीन संगठन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:21 PM IST

हिज्बुल मुजाहिदीन को भारत, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका जैसे देश आंतकवादी संगठन घोषित कर चुके हैं. बता दें कि इस आतंकवादी संगठन का हेड और सिपहसालार सैय्यद सलाउद्दीन है जो पाकिस्तान से बैठकर इस संगठन को चला रहा है. इसकी फंडिंग भी पाकिस्तान खूफिया एजेंसी आईएसआई की ओर से की जाती है.

ये संगठन युवाओं को जम्मू कश्मीर राज्य को भारत से अलग पाकिस्तान में जोड़ने का कहकर बरगलाता है. इसी एजेंडे पर ये संगठन पूरी तरह हिंसात्मक रणनीति पर काम करता है. इसके भड़कावे में आकर रियाज नायकू जो कि खुद एक मैथ टीचर था, आसानी से जुड़ जाता है.

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संगठन की वृहदता पर बात करें तो इसके संस्थापक मुहम्मद एहसान डार के पास 1990 में 10 हजार से ज्यादा आंतकवादी थे. फिर 16 अगस्त 2017 को इस ग्रुप को अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने विदेशी आंतकवादी संगठन करार दिया था. इसके बाद से ही सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी नजर इस संगठन की गतिविधि‍यों पर रहने लगी थी.

बता दें कि बुरहान वानी की मौत के बाद 17 अक्टूबर 2016 को जम्मू-कश्मीर में ज़ाकिर मूसा को हिज्बुल मुजाहिदीन का नया कमांडर बनाया गया था. उसके बाद साल 2017 में रियाज नायकू हिज्बुल कमांडर बनाया था. रियाज एक प्राइ‌वेट स्कूल में मैथ्स का टीचर था, लेकिन 2012 में आतंकी संगठन में शामिल हो गया. उसकी उम्र 35 साल थी.

उसके बारे में ये बात प्रचलित है कि वो सुरक्षाकर्मियों की हत्या में और सुरक्षा बलों पर हमले करके खुद को नायक की भूमिका में रखना पसंद करता था. खुद को इस पूरे मिशन का हीरो बनाने के लिए उसने पुलिस अफसरों के परिवार के लोगों का अपहरण करना शुरू किया था.

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इसके अलावा उसने एक नया चलन चला था कि किसी आतंकी के मरने पर उसे शहीद की तरह बंदूकों से सलामी दी जाए. इसके पीछे उसका एजेंडा ये था कि ज्यादा से ज्यादा युवा उसके हिंसक मिशन से जुड़ें. बता दें कि बुधवार को रियाज नायकू को सुरक्षाबलों के इनकाउंटर में ढेर कर दिया गया. ये हिज्बुल संगठन को एक तगड़ा झटका है.

 

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