बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए दादी-नानी सुनाएंगी स्कूल में कहानियां

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में एक अनोखी पहल शुरू की गई है. यहां स्कूलों में बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए दादी-नानी स्कूल में ही कहानियां सुनाएंगी. पढ़ें पूरी खबर...

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प्रतिकात्मक तस्वीर, दादी नानी सुनाएंगी कहानियां प्रतिकात्मक तस्वीर, दादी नानी सुनाएंगी कहानियां

वंदना भारती / शरत कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2017,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST

राजस्थान के स्कूलों में दादी-नानी आएंगी बच्चों को अपनी कहानियां सुनाने. बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश.

दादी-नानी से कहानियां अब बच्चे अपने स्कूलों में सुना करेंगें. राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसके अनुसार बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए हर महीने एक बच्चे की दादी या नानी को स्कूल में बुलाया जाएगा और वो सभी बच्चों को कहानियां सुनाएंगीं.

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इसके लिए शिक्षा विभाग ने एक ऑर्डर जारी किया है. इसके अनुसार क्लास 1 से 5 तक के सभी सरकारी स्कूलों में महीने के आखिरी शनिवार को बालसभा लगाएगी जाएगी, जिसमें दादी-नानी आकर अपनी कहानियां सुनाएंगीं.

शिक्षा विभाग के उपनिदेशक अरुण कुमार शर्मा के अनुसार हमने पिछले सप्ताह से सभी स्कूलों को इस बाबत सूचित करना शुरू कर दिया है. इसके पीछे सोच ये है कि सामाजिक आचार-व्यवाहार बच्चों में बढ़ें और बच्चे पारिवारिक बनें. एक दूसरे से जुड़े रहें. क्योंकि दादी-नानी की कहानियां बहुत ही मिठी स्वाद की हुआ करती थी, जो कुछ न कुछ सीख देती थीं. इससे बच्चे तो संस्कारी तो बनेंगे ही साथ ही उनकी बुद्धिमता भी बढ़ेगी.

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दरअसल शिक्षा विभाग के एक रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी बच्चे टीवी और इलेक्ट्रॉनिक गजट में इस कदर दिन भर उलझे रहते हैं कि उनका सामाजिक विकास ठीक से नहीं हो पा रहा है. बचपन में जब बच्चे सोने जाते थे तो दादी-नानी से कहानियां सुनती थीं. लेकिन आजकल न तो बच्चों को और न ही परिवार को इस बात की फुर्सत है.

इसे लागू करने से बच्चों का विकास तो होगा ही घर पर रह रहे बुजुर्गों को भी बच्चों के साथ समय बिताकर अच्छा लगेगा. ये लोग बेहतर ढंग से कहानियां भी सुनाते हैं.

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इसके लिए शिक्षा विभाग कहानियों का एक सैंपल भी देगा, जिसके आधार पर स्कूल में आने वाले बुजुर्ग अपनी कहानियां सुनाएंगे.

शिक्षा विभाग का इस काम में कोई अतिरिक्त पैसे भी खर्च नही होंगें. स्कूल के टीचर बच्चों के घर जाकर उनकी दादी-नानी को स्कूल आकर कहानियां सुनाने के लिए प्रेरित करेंगे.

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