गूगल ने डूडल से किया देश की पहली महिला टीचर को सलाम

जिन्‍हें देश की पहली महिला शिक्षि‍का कहा जाता है, उन सावित्रीबाई ज्‍योतिराव फुले का आज जन्‍मदिन है. उनकी याद में आज गूगल का डूडल भी रंगा नजर आ रहा है. जानिए उनके बारे में कुछ खास बातें...

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गूगल का नया डूडल गूगल का नया डूडल

मेधा चावला

  • नई दिल्‍ली,
  • 03 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:15 AM IST

अध्‍यापिका, समाज सेविका, कवि और वंचितों की आवाज उठाने वाली सावित्रीबाई ज्‍योतिराव फुले के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है. आज उनकी 186वीं जयंती है. यही वजह है कि गूगल  ने भी आज अपना डूडल उनके रंग में रंग दिया है. जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...

महाराष्ट्र के सतारा में एक छोटा सा गांव है नायगांव. वहां सावित्रीबाई का जन्‍म 3 जनवरी, 1831 में एक दलित परिवार में हुआ था. 1840 में यानी सिर्फ 9 साल की उम्र में उनकी शादी 13 साल के ज्‍योतिराव फुले से कर दी गई थी.

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देश की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले के जीवन की दस बातें

सामाजिक भेदभाव और कई रुकावटों के बावजूद उन्‍होंने अपनी शिक्षा पूरी की और बाकी महिलाओं को भी शिक्षित करने का बीड़ा उठाया.

सावित्रीबाई फुले ने अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले थे. सभी स्‍कूल पुणे में खोले थे. पहला स्‍कूल 1848 में पुणे बालिका विद्यालय खोला था.

28 जनवरी 1853 को गर्भवती बलात्‍कार पीडि़तों के लिए बाल हत्‍या प्रतिबंधक गृह की स्‍थापना की. उन्‍होंने छुआछूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के विरुद्ध काम किया.

गूगल ने जो रंगीन डूडल बनाया है, उसमें सावित्रीबाई फुले समाज की सभी वर्गो की महिलाओं को पल्लू में समेटे दिख रही हैं.

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