फिजिसिस्ट और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को अपने कंधों पर ढोने वाले डॉ. विक्रम अम्बालाल साराभाई का जन्म साल 1912 में हुआ था. वह एक भारतीय वैज्ञानिक और खोजकर्ता थे जो भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के जनक के नाम से जाने जाते है.आज उनकी कोशिशो का ही नतीजा है कि देश को इसरो(ISRO) जैसा संस्थान मिला.
जानते है इस महान वैज्ञानिक के बारे में
1. विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म अहमदाबाद में एक जैन परिवार में जन्म हुआ.
2. साराभाई के परिवार का उनके जीवन में बहोत महत्त्व था और वे एक अमीर व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता अम्बालाल साराभाई एक उद्योगपति थे.
3. विक्रम साराभाई, अम्बालाल और सरला देवी की 8 संतानो में से एक थे.
4. विक्रम साराभाई की प्रारम्भिक शिक्षा उनकी माता सरला साराभाई द्वारा मैडम मारिया मोन्टेसरी की तरह शुरू किए गए पारिवारिक स्कूल में हुई.
... जब 72 साल पहले बसा-बसाया हीरोशिमा हुआ शमशान घाट में तब्दील
5. गुजरात कॉलेज से इंटरमीडिएट तक विज्ञान की शिक्षा पूरी करने के बाद वे 1937 में कैम्ब्रिज (इंग्लैंड) चले गए जहां 1940 में प्राकृतिक विज्ञान में ट्राइपोज डिग्री प्राप्त की.
7. दुसरे विश्व युद्ध की वृद्धि के कारण, साराभाई भारत वापिस आ गए और भारतीय विज्ञान संस्था, बैंगलोर में शामिल हो गए और सर सी.व्ही. रमन (नोबेल खिताब विजेता) के मार्गदर्शन में अंतरिक्ष किरणों पर खोज करना शुरू कीया. युद्ध समाप्त होने के उपरांत वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी लौट आये और अंतरिक्ष किरणों पर उनके थीसिस उष्णकटिबंधीय अक्षांश और खोज के कारण उन्हें 1947 में पीएचडी की उपाधि दी गई.
8. विक्रम साराभाई को 1962 में शांति स्वरुप भटनागर मैडल भी दिया गया. देश ने उन्हें 1966 में पद्म भुषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया.
'भारत छोड़ो': देश का सबसे बड़ा आंदोलन, हिल गई थी अंग्रेजी हुकूमत
9. साल 1966 में डॉ॰ होमी जे. भाभा की जनवरी, में मृत्यु के बाद डॉ. साराभाई को परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने को कहा गया. साराभाई ने सामाजिक और आर्थिक विकास की विभिन्न गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में छिपी हुई व्यापक क्षमताओं को पहचान लिया था.
10. उन्होंने अहमदाबाद IIM और फिजिक्स रिसर्च लेबोरेट्रेरी बनाने में मदद की.
11. होमी भाभा की मदद से तिरुवनंतपुरम में देश का पहला रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन बनाया.
12. उन्होंने भारत के भेषज उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने और अनेक दवाइयों और उपकरणों को देश में ही बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साराभाई देश में विज्ञान की शिक्षा की स्थिति के बारे में बहुत चिन्तित थे। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए उन्होंने सामुदायिक विज्ञान केन्द्र की स्थापना की थी.
... एक सुपरहीरो जिसने बनाया मकड़ी के जाल को अपनी ताकत
13. 30 दिसंबर साल 1971 में डॉ॰ साराभाई का कोवलम, तिरूवनंतपुरम (केरल) में देहांत हो गया. एक ऐसा सितारा देश ने खो दिया जिसने की वजह से आज आजमां चमक रहा है.
वंदना भारती