हम हर दिन एक बुलंद हौसले की एक कहानी लेकर आपके सामने हाजिर हो जाते हैं. आज एक ऐसी लड़की के बारे में बता रहे हैं, जिसकी कहानी हौसले की जीत को बयां करती है. अपराजिता राय सिक्किम की पहली महिला ऑफिसर हैं. वह एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हैं जिसकी आर्थिक स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं है. सिक्किम की रहने वाली अपराजिता ने साल 2010 और 2011 में यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा दी और दोनों ही साल परीक्षा पास की.
यही नहीं वह सिक्किम में सर्वोच्च रैंक हासिल करने वाली कैंडिडेट हैं. यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद उनके कदम यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपनी टफ ट्रेनिंग के दौरान 'बेस्ट लेडी आउटडोर' की ट्रॉफी भी अपने नाम की. 1958 बैच की आईपीएस ऑफिसर अपराजिता राय को 'श्री उमेश चंद्र' ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था.
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कौन हैं सफलता के पीछे...
भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी लेकिन अपराजिता के परिवार वाले ये बात बखूबी जानते थे कि 'हमारी बेटी कुछ बड़ा जरूर करेगी'. अपराजिता ने बताया कि उनके परिवार वालों ने हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. जहां उनके पिता वन विभाग में डिविजनल ऑफिसर थे, वहीं उनकी मां स्कूल में पढ़ाती थी. जब वह 8 साल की थी तो उनके पिता की मौत हो गई. जिसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई.
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इसलिए लिया सिविल क्षेत्र में आने का फैसला....
जब पहली बार अपराजिता ने देखा कि सरकारी कर्मचारी जनता के साथ बुरा बर्ताव कर रहे हैं, जिसे देखकर उनका मन काफी दुखी हुआ. ये सब देखने के बाद उन्होंने सिविल क्षेत्र में आने का फैसला किया. सरकारी कर्मचारियों के बुरे व्यवहार ने उनके फैसले को और मजबूत कर दिया था.
स्कूल के दिनों में ब्राइट स्टूडेंट...
शुरुआत से ही अपराजिता स्कूली दिनों में ब्राइट स्टूडेंट्स की लिस्ट में गिनी जाती थी. उन्होंने 12वीं की परीक्षा में 95% अंक हासिल किए थे. बोर्ड में टॉपर रहने के लिए उन्हें ताशी नामग्याल एकेडमी में बेस्ट गर्ल ऑल राउंडर श्रीमती रत्ना प्रधान मेमोरियल ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था.
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वहीं स्कूल पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने साल 2009 में नेशनल एडमिशन टेस्ट दिया और बीए एलएलबी (ऑनर्स) की डिग्री वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूडिशियल साइंस, कोलकाता से ली.
अपराजिता का कहना है कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक कठोर विश्वास की जरूरत है.अगर आप खुद पर भरोसा रखते हैं, तो आप दुनिया में कठिन से कठिन लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
अनुज कुमार शुक्ला