रीट पेपर लीक मामला सामने आने के बाद राजस्थान सरकार ने गुरुवार को नकल पर नकेल कसने के लिए एक खास बिल विधानसभा में पेश किया. बिल के मुताबिक नकल करने, पेपर लीक करने या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं को प्रभावित करने वाले को 10 साल तक की जेल और 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. दोषी की संपत्ति भी सीज की जाएगी. उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) विधेयक 2022 पेश किया है.
नकल करने पर 3 साल की जेल, 1 लाख जुर्माना
विधेयक के मुताबिक अगर कोई अभ्यर्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करता है या किसी गिरोह से पेपर खरीदता है या फिर किसी अन्य संसाधन-समग्री की मदद से नकल करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल और कम से कम एक लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
दो साल तक नहीं दे सकेगा परीक्षा
अगर कोई व्यक्ति प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करता है या लीक करने की कोशिश करता है या फिर ऐसी योजना बनाने में लिप्त होता, किसी अभ्यर्थी की जगह परीक्षा में बैठता है, गलत तरीके से प्रश्न पत्र हासिल करता है, गलत तरीके से प्रश्न पत्र हल करता है, अनधिकृत तरीके से परीक्षार्थी की मदद करता है उसे 5 से 10 साल तक की सजा हो सकती है. सजा के साथ कम से कम 10 लाख से 10 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा दोषी पाए जाने पर अभ्यर्थी दो साल तक सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा नहीं ले सकेगा.
जब्ती से पहले सरकार की अनुमति जरूरी
बिल के तहत अगर जांच अधिकारी को पता चलता है कि दोषी व्यक्ति ने संबंधित विधेयक में बताए गए अपराध से कोई संपत्ति अर्जित की है तो वह राज्य सरकार की अनुमति के बाद उसकी चल या अचल संपत्ति जब्त कर सकता है. इसके अलावा अगर ऐसी कोई संपत्ति जिसे जब्त नहीं किया जा सकता है, जांच अधिकारी कुर्की का आदेश दे सकता है ताकि संपत्ति को स्थानांतरित न किया जा सके.
गैर जमानती अपराध माना जाएगा
अगर प्रबंधन या संस्था का व्यक्ति अपराध का दोषी पाया जाता है, तो वह न्यायालय द्वारा तय की गई परीक्षा से संबंधित सभी लागत और व्यय का भुगतान करेगा. साथ ही वह हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. बिल के तहत निर्दिष्ट सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती होंगे और बिना सजा दिए दोषी छोड़ा नहीं जाएगा.
मौलिक अधिकार है निष्पक्ष परीक्षा
संविधान के अनुच्छेद 16 (1) के तहत अवसर की समानता के अधिकार के तहत सरकारी पदों पर भर्ती निष्पक्ष और उचित तरीके से हो, यह संवैधानिक रूप से जरूरी है. निष्पक्ष और सही भर्ती प्रक्रिया अनुच्छेद 14 की भी एक मूलभूत आवश्यकता है. इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने अनियमितताओं को रोकने के लिए राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित रोकथाम) अधिनियम, 1992 को अधिनियमित किया था. अधिनियम की स्थापना के बाद से तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है लेकिन पेपर लीक का मामला अब संगठित अपराध का रूप ले चुका है.
और सख्त किया नियम
राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित रोकथाम) अधिनियम, 1992 पेपर लीक या नकल जैसे खतरे से निपटने के उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर रहा है, इसलिए राज्य सरकार ने सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने और 1992 के अधिनियम के दायरे को सीमित करने के लिए एक नया कानून लाने का फैसला किया है.
(इनपुट- पीटीआई)
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