राजधानी के प्रतिष्ठित वसंत वैली स्कूल ने वसंत वैली आजतक हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता का 13वां संस्करण जीत लिया है. यह दो दिवसीय प्रतियोगिता आज शुक्रवार को संपन्न हुई. इस प्रतियोगिता के फाइनल राउंड तक वसंत वैली और सिंधिया स्कूल के प्रतिनिधि छात्र पहुंचे थे.
वसंत वैली आजतक हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता का 13वां संस्करण 3 और 4 अगस्त को आयोजित हुआ. इसमें देशभर के कुल 26 नामी स्कूलों के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया. प्रतियोगिता के अंतिम दौर में वसंत वैली और सिंधिया स्कूल के विद्यार्थियों ने एक-दूसरे को टक्कर दी. दोनों स्कूलों की टीमों के बीच तीखी बहस हुई. अंत में वसंत वैली स्कूल के विद्यार्थिंयों ने जीत हासिल की.
दोनों टीमों के प्रतिभागियों ने सदन द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव 'मूकदर्शिता में ही बुद्धिमानी' पर बहस की. इसका अर्थ है, मूकदर्शक बने रहना ही एक स्मार्ट निर्णय है. बहस के अंतिम दौर तक पहुंचे वसंत वैली स्कूल और सिंधिया स्कूल के छात्रों ने अपने-अपने तर्क रखे.
सिंधिया स्कूल के छात्रों ने मूकदर्शक होने का बचाव किया.
उन्होंने बताया कि आज की व्यावहारिक दुनिया में मूकदर्शक बने रहना एक व्यावहारिक निर्णय और बुद्धिमानी क्यों है. इस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करते हुए कि आवेगपूर्ण प्रतिक्रिया से कोई समाधान नहीं निकलता है. वसंत वैली स्कूल का प्रतिनिधित्व कर रहे छात्रों ने मूकदर्शक बने रहने पर सवाल उठाया.
मूकदर्शक बने रहने का बचाव करते हुए सिंधिया स्कूल के छात्र आदित्य ने गौतम बुद्ध का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि कैसे बुद्ध ने दूसरों के दर्द को देखकर आगे बढ़ने और बाद में ऋषि बनने का निर्णय लेने के लिए आत्मावलोकन करने का निर्णय लिया. छात्रों ने हस्तक्षेप न करने के निर्णय को एक आदर्शवादी विकल्प बताया जिससे हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है.
वहीं प्रस्ताव के खिलाफ बहस कर रहे वसंत वैली स्कूल के छात्रों ने इस दुनिया में हो रहे तमाम अन्याय के बीच मूकदर्शक बने रहने के फैसले को कायरतापूर्ण विकल्प बताया. छात्रों ने लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और उनके खिलाफ होने वाले अपराधों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बहस की. छात्रों ने कहा कि हम आग्रह करते हैं कि ऐसे बेजुबानों की आवाज बनें जो अपने लिए भी आवाज नहीं उठा सकते हैं.
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