900 गणितज्ञों ने माना, किसी काम का नहीं है UGC के गणित का नया सिलेबस

भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कम से कम 900 गणितज्ञों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों और स्नातक छात्रों ने यूजीसी के गणित पाठ्यक्रम के लिए बने LOCF (लर्निंग आउटकम्स करिकुलम फ्रेमवर्क) 2025 के खिलाफ एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं. गणितज्ञों ने इसमें भारी कमियां पाई हैं और इसे भविष्य के लिए किसी काम का नहीं माना है.

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यूजीसी के गणित के नए पाठ्यक्रम में देशभर के विशेषज्ञों ने कई गंभीर खामियां बताई है और इसे वापस लेने का आग्रह किया है (Photo - AI Generated) यूजीसी के गणित के नए पाठ्यक्रम में देशभर के विशेषज्ञों ने कई गंभीर खामियां बताई है और इसे वापस लेने का आग्रह किया है (Photo - AI Generated)

मिलन शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

यूजीसी की ओर से गणित विषय के लिए जो पाठ्यक्रम का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. उसके खिलाफ देशभर के गणितज्ञ, विशेषज्ञ, शोधकर्ताओं और छात्रों ने याचिका दायर की है. इसमें इसे  गंभीर दोषों से भरा बताया गया है और कहा गया है कि अगर इसे अपनाया गया, तो यह छात्रों की भावी पीढ़ियों के भविष्य को नुकसान पहुंचाएगा.

याचिका  में कहा गया है कि इस पर हस्ताक्षर करने वाले  शोधकर्ता, शिक्षक और गणित एवं संबंधित विषयों के स्नातक छात्र, यह मानते हैं कि यूजीसी द्वारा गणित के लिए जो पाठ्यक्रम ड्राफ्ट किया गया है. उसमें गंभीर दोष हैं.  इसकी वजह से गणित पर आधारित विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और अर्थशास्त्र सहित सभी क्षेत्र प्रभावित होंगे. 

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ड्राफ्ट को वापस लेने का आग्रह
यही वजह है कि हम यूजीसी से आग्रह करते हैं कि वह इस ड्राफ्ट को वापस लें और पाठ्यक्रम को फिर से तैयार करने के लिए विशेषज्ञ गणितज्ञों और स्नातक गणित के शिक्षकों की एक नई समिति का गठन करें.

गणित पाठ्यक्रम के ड्राफ्ट में क्या समस्याएं हैं?
याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले प्रोफेसरों ने बताया है कि गणित का जो पाठ्यक्रम ड्राफ्ट किया गया है उसमें रीयल एनालिसिस, एलजेब्रा और लिनियर एलजेब्रा को ठीक ढंग से शामिल नहीं किया गया है. पूरे एलजेब्रा को पहले सेमेस्टर में भर दिया गया है. फिर रीयल एनालिसिस को इतनी देर से शुरू किया गया है कि आगे के किसी भी कोर्स के लिए जगह ही नहीं बचती.

इसके अलावा ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली का हिस्सा रहे एनालिटिकल ज्योमेट्री, जिसकी आज प्रासंगिकता और इस्तेमाल काफी कम है, उसे इतनी ज्यादा जगह दी गई है कि दूसरे उपयोगी कोर्स के लिए ही इसमें जगह ही नहीं बचती है. 

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अप्लाइड मैथमेटिक्स को नहीं दिया गया है महत्व
इस सिलेबस में अप्लाइड मैथमेटिक्स को कम महत्व दिया गया है. वहीं प्रोग्रामिंग और न्यूमेरिकल मैथड को कोर विषय से बाहर रखा गया हैं. सांख्यिकी को एक ही कोर्स में ठूंस दिया गया है. सांख्यिकी, मशीन लर्निंग, एआई आदि पाठ्यक्रम जो  प्रैक्टिकल और एप्लिकेशन बेस्ड हैं, इन्हें खत्म कर दिया गया है.

मशीन लर्निंग में पढ़ाए जा रहे सेट्स, वेक्टर और फंक्शन
कई वैकल्पिक पाठ्यक्रमों में ऐसे विषयों की समझ की आवश्यकता होती है जो बुनियादी पाठ्यक्रमों में नहीं पढ़ाए गए हैं.  संगीत में केवल कक्षा 10 के गणित की आवश्यकता होने का दावा किया गया है, लेकिन इसमें फूरियर विश्लेषण और मार्कोव चेन शामिल हैं (जिन्हें उस स्तर पर पढ़ाया भी नहीं जा सकता). मशीन लर्निंग के लिए गणित में सेट्स, फंक्शन, वेक्टर के कॉन्सेप्ट  पढ़ाए जा रहे हैं, जो इन अवधारणाओं के साथ न्याय नहीं करते हैं.

वैदिक गणित के विस्तार को विशेषज्ञों ने बताया अनावश्यक
हंस राज कॉलेज, दिल्ली  विश्वविद्यालय के गणित के एसोसिएट प्रोफेसर मुकुंद माधव मिश्रा का कहना है कि यह पाठ्यक्रम सिर्फ़ इस बात को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है कि हमारे पूर्वज गणित जानते थे और बेहतर गणित कर सकते थे.
दिल्ली विश्वविद्यालय में गणित का उन्नत स्तर पढ़ाया जा रहा है. दरअसल, भौतिकी और रसायन विज्ञान पढ़ने वाले छात्र भी कहते हैं कि वे बुनियादी स्तर पर भी विश्लेषण पेपर सीखना चाहते हैं.

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वैदिक गणित एक भ्रम है. इसमें पढ़ाए जाने वाले सूत्र सिर्फ जोड़-घटाने की गति बढ़ाने के लिए हैं. आज हमारे पास उन्नत कंप्यूटर और कैलकुलेटर हैं और इसमें वैदिक गणित कोई विशेष योग्यता नहीं जोड़ता. यह सिर्फ एक तरकीब हो सकती है, लेकिन स्नातक स्तर पर परिपक्व छात्रों को पढ़ाए जाने वाले गणित का आधार नहीं बन सकती.

छठी कक्षा में पढ़ाया जा सकता है वैदिक गणित
मुकुंद माधव मिश्रा का कहना है कि इसे छठी कक्षा में भी एक घंटे की ट्यूशन में पढ़ाया जा सकता है. परिपक्वता के इस स्तर पर छात्र को इससे पढ़ने में समय गंवाने से नुकसान उठाना पड़ सकता है.

गणित के लिए तैयार किया गया इस पाठ्यक्रम का ड्राफ्ट  गंभीर खामियों से भरा है.  अगर इसे अपनाया गया, तो यह छात्रों की कई पीढ़ियों के भविष्य को नुकसान पहुंचाएगा. इसके विस्तार में, देश में गणित पर निर्भर हर क्षेत्र चाहे वो विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और अर्थशास्त्र हो, सभी को नुकसान होगा.

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