गुजरात के स्कूलों में छात्रों को चीनी के सेवन के दुरुपयोग के बारे में बताया जाएगा. इसके लिए एजुकेशन बोर्ड द्वारा स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाए जाएंगे. स्कूल में 'शुगर बोर्ड' लगाकर उसमें दैनिक चीनी का सेवन, दैनिक इस्तेमाल में लिए जाने वाली खुराक में चीनी का प्रमाण, जंकफ़ूड, कोल्डड्रिंक्स के बारें में जानकारी दी जाएगी.
इसके साथ ही चीनी के अधिक सेवन से स्वास्थ पर होने वाली असर और स्वस्थ खानपान जैसी जरूरी जानकारी स्कूल के माध्यम से विद्यार्थियों को बताई जाएंगी जिससे छात्रों को खानपान के चयन के बारें में जानकारी हो और उनके स्वास्थ्य को लाभ हो सकें.
जरूरत से ज्यादा चीनी का सेवन कर रहे स्कूली छात्र
दैनिक इस्तेमाल में चीनी का अधिक प्रयोग नहीं करने के लिए भी स्कूल स्तर पर सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन करने के लिए भी आदेश दिए गए है. बता दें की, एक सर्वे के मुताबिक 4 से 10 साल की आयु के बच्चों के दैनिक कैलोरी सेवन में 13 प्रतिशत, 11 से 18 आयु के विद्यार्थियों में 15 प्रतिशत जितनी चीनी का सेवन पाया जा रह है.
जबकि चीनी का सेवन मात्र 5 प्रतिशत होना चाहिए. पर बच्चों में ज़रूरत से अधिक चीनी का दैनिक सेवन देखने को मिल रहा है. मौजूदा स्थिति में आसानी से उपलब्ध हो रहे चीनीयुक्त नाश्ता, कोल्ड्रिक्स समेत खुराक के अधिक इस्तेमाल से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभार पड रहा है. ऐसे में स्कूल स्तर पर 'शुगर बोर्ड' लगाने से बच्चों में जागरूकता बढ़ेगी.
बच्चों में बढ़ रही डायबिटीज की बीमारी
वर्तमान में, छोटे बच्चों में चॉकलेट और चीनी के अलावा मीठे व्यंजनों का सेवन बढ़ रहा है. देश भर में बच्चों में टाइप-2 मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं. यह चिंताजनक समय मुख्य रूप से चीनी के अत्यधिक सेवन के कारण है. चीनी के अत्यधिक सेवन से न केवल मधुमेह का खतरा बढ़ता है, बल्कि मोटापा, दांतों की समस्या और अन्य चयापचय संबंधी विकारों का खतरा भी बढ़ जाता है. चीनी के अत्यधिक सेवन से बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर लंबे समय में असर पड़ता है. गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सूची के अनुसार, बच्चों में चीनी के इस्तेमाल को कम करने के लिए स्कूल स्तर पर 'शुगर बोर्ड' लगाया जाएगा.
अतुल तिवारी