स्कूलों को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है लेकिन क्या हो अगर उसी स्कूल में बच्चों के हाथ से किताबें लेकर झाड़ू-पोछा पकड़ा दिया गया हो. बच्चों से टॉयलेट्स साफ कराया जा रहा हो और मल-मूत्र के गड्ढों को हाथ से साफ कराया जा रहा हो. जी हां, कर्नाटक के एक स्कूल में बच्चे पढ़ाई छोड़कर यही सब कर रहे हैं. बच्चे स्कूल के गटर में उतर कर अपने नन्हें हाथों से मल-मूत्र के गड्ढे साफ कर रहे हैं. यह मामला तब सामने आया है जब स्कूली बच्चों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
दरअसल, यह अमानवीय घटना कर्नाटक के कोलाक में स्थित मोरारजी देसाई आवासीय विद्यालय की है, जहां स्कूली छात्रों से शौचालय की सफाई कराई जा रही है. उसी स्कूल के एक और दिल दहला देने वाले वीडियो में, बच्चों को उनकी पीठ पर भारी बैग लादकर रात भर घुटनों के बल बैठने की सजा दी गई थी. वीडियो में कुछ सेकंड में एक लड़का थकावट और डिहाइड्रेशन की वजह से बेहोश हो जाता है
ऐसी घटनाओं पर ध्यान देते हुए राज्य समाज कल्याण विभाग ने स्कूल का दौरा किया. विभाग जल्द से जल्द कोलार पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकता है. कोलार एसपी नारायण एम का कहना है कि इस स्कूल में कोई स्थायी वार्डन नहीं है. जल्द ही वार्डन प्रभारी मुनियप्पा और दो अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा. कोलार एसपी एम नारायण एम का कहना है कि हम जांच करेंगे कि क्या स्कूल ने शौचालय की सफाई का काम किसी निजी एजेंसी को सौंपा था. क्या स्कूल अपनी सभी ब्रांच में ऐसा कर रहा है आदि.
आपको याद दिला दें कि मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास अधिनियम के अनुसार, देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग एक प्रतिबंधित गतिविधि है. कोई भी व्यक्ति या एजेंसी किसी भी व्यक्ति को हाथ से मैला ढोने के काम में नहीं लगा सकती या नियोजित नहीं कर सकती.
कर्नाटक विधान सभा के सदस्य बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पहले ट्विटर) पर कोलार की इस घटना पर लिखा है कि इस घटना ने नागरिक समाज को झकझोर कर रख दिया है. यह अमानवीय, घृणित और निंदनीय है कि गुरुओं को बच्चों को अच्छा ज्ञान देने के बजाय इस तरह के खतरनाक काम में लगाया जाता है और उनकी जान जोखिम में डाल दी जाती है. उन्होंने अपने एक दूसरी ट्वीट में लिखा, 'यह मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत एक दंडनीय अपराध है. इसके अलावा, नाबालिगों द्वारा इस तरह के खतरनाक काम करना भी कानूनी अपराध है. दोषियों पर तुरंत मुकदमा दर्ज करें और सरकार सख्त कार्रवाई करे.'
बता दें कि ऐसी अमानवीय घटना पहली नहीं है, तीन महीने पहले उत्तराखंड के हरिद्वार में भी स्कूली बच्चों से टॉयलेट साफ कराने का मामला सामने आया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हरिद्वार जिले के लालढांग क्षेत्र में राजयकीय प्राथमिक विद्यालय बाहर पीली में प्रिंसिपल ने सफाई कर्मचारी न होने की वजह से स्कूली बच्चों से टॉयलेट साफ करवाया था. बाल्टी, ब्रूश और झाड़ू लिए टॉयलेट साफ करते हुए स्कूली बच्चों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था.
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