School Reopen: गुजरात में दीवाली के बाद शुरू होंगे स्कूल-कॉलेज, ये होंगे न‍ियम

मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी विधायकों से फिजिकल एजुकेशन शुरू करने के लिए उनके विचार जानने के लिए कहा था. शिक्षामंत्री भूपेन्द्र सिंह चूड़ासमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दीपावली के बाद स्कूल और कॉलेज फिर से शुरू करने का फैसला किया जाएगा.

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गोपी घांघर

  • नई द‍िल्ली ,
  • 06 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:23 PM IST

गुजरात में कोरोना में लगे लॉकडाउन के चलते पिछले लम्बे वक्त से स्कूल कॉलेज बंद हैं. बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ऑनलाइन चल रही है. ऐसे में अब गुजरात सरकार का कहना है कि दिवाली के बाद गुजरात में बड़े बच्चे यानी 9वीं से 12वीं के अलावा कॉलेज स्टूडेंट्स की पढ़ाई एक बार फिर पुराने तरीके से यानी कैंपस में शुरू हो सकती है. 

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इसे लेकर आज गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग की एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई. मीटिंग में स्कूल-कॉलेज को दोबारा से शुरू करने के लिए एसओपी बनाने के लिए कहा गया है. फिलहाल गुजरात में दिवाली वेकेशन के बाद से कॉलेज, स्कूल और शैक्षणिक इंस्टीट्यूट खुल सकते हैं.
 
उप चुनाव के बाद कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा को शिक्षा सचिव के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा कर तैयारी करने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी विधायकों से फिजिकल एजुकेशन शुरू करने के लिए उनके विचार जानने के लिए कहा था.

शिक्षामंत्री भूपेन्द्र सिंह चूड़ासमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दीपावली के बाद स्कूल और कॉलेज फिर से शुरू करने का फैसला किया जाएगा. सबसे पहले महाविद्यालय, कॉलेज के बाद में 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खुलेंगे. इसके बाद एक के बाद एक कक्षाएं शुरू की जाएंगी. कोरोना की गाइडलाइन का पालन हो सके इसलिए दिन में दो-तीन बार विद्यार्थियों को बुलाया जाएगा.
 
साथ ही स्कूल के टाइम में भी कमी कर दी जाएंगी ताकि‍ ज्यादा से ज्यादा बच्चे को अलग-अलग टाइम में बुलाया जा सके. गुजरात में कोरोना वायरस के कारण मरीजों की संख्या कम होने पर दवा, इंजेक्शन और ऑक्सीजन के खपत में भी कमी आने का दावा स्वास्थ्य विभाग कर रहा है. 

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बुधवार को कैबिनेट की बैठक में तमाम मुद्दों को ध्यान में रखते हुए दिवाली वेकेशन के बाद स्कूल कॉलेज शुरू करने की चर्चा की गई थी. राज्य में पिछले 6 महीने से ऑनलाइन एजुकेशन चल रहा है. शहरों में तो ठीक गांव में ऑनलाइन एजुकेशन नेटवर्क और मोबाइल फोन की कमी के चलते सफल नहीं हो पाया. इस कारण उच्च शिक्षण में स्कूल कॉलेज शुरू करने की मांग की जा रही थी. 

 

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