डॉक्टर का सम्मानित पेशा पाने के लिए छात्र दिन-रात मेहनत करते हैं. इस धरती पर ईश्वर का दूसरा रूप कहे जाने वाले डॉक्टर NEET जैसी कठिन परीक्षा से गुजरकर इस मंजिल तक पहुंच पाते हैं. लेकिन जिस तरह NEET परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी NTA यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की शुचिता पर सवाल उठे हैं, वो तमाम मासूम सपनों को तोड़ने वाले हैं.
नीट परीक्षा देने वाले बच्चे किसी मेडिकल कॉलेज की काउंसिलिंग की लाइन में न होकर सड़कों पर खड़े होकर न्याय मांग रहे हैं. तमाम मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं. इस पर आजतक ने कई एक्सपर्ट और बच्चों से बातचीत की जिसमें नंबरों की हेराफेरी पर चर्चा की गई. इस हेराफेरी का नटवर लाल कौन है? NEET में धांधली के आरोपों के बीच उठ रहे ये सात सवाल एनटीए को शक के घेर में खड़ा करते हैं.
1. NTA ने माना था कि सिर्फ एक सेंटर में दिक्कत हुई तो इतने स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स क्यों दिए?
फिजिक्स वाला संस्था के संस्थापक अलख पांडेय कहते हैं कि पांच मई को जिस दिन नीट का पेपर था. उसी शाम को एनटीए ने प्रेस रिलीज निकालकर कहा था कि सवाई माधोपुर के परीक्षा केंद्र में ही सिर्फ दिक्कत हुई थी, इसके अलावा किसी सेंटर का जिक्र नहीं किया.अब सवाल यह है कि आखिर ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए. जिसके कारण 67 बच्चों को फुल मार्क्स दिए गए. एक ही सेंटर के 6 बच्चों के फुल मार्क्स दिए गए, इसके पीछे भी एनटीए ग्रेस मार्क्स का तर्क दे रहा है.
2. जो बच्चे सही में मेहनत करके अच्छे नंबर लाए हैं उनका क्या होगा?
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य डॉ अजय कुमार ने कहा कि मैं पहले एनबीई का भी सदस्य था जो नीट पीजी परीक्षा कराती थी. तब धांधली के कई मामले आते थे. उसके बाद ये काम टीसीआई को दिया गया, जिसके बाद पिछले पांच वर्षों से कोई घटना सामने नहीं आई. जो प्रकिया नीट पीजी के लिए अपनाई जाती है, वही नीट यूजी के लिए किया जाता है. यहां तो पूरा का पूरा घपला लगता है. अब एनटीए वाले अपना फेस बचाने के लिए क्या क्या बोल रहे हैं. अगर उन 67 बच्चों को बैठाकर सेम पेपर दे दिया जाए फिर देखिए क्या होता है. अब इसकी जांच किसी और एजेंसी से कराए तो सारा खेल पता चल जाएगा. इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि जो बच्चे सही में मेहनत करके अच्छे नंबर लाए हैं उनका क्या होगा. जो बच्चे इमानदारी से नंबर लाए हैं उन पर क्या बीत रही है.
3. स्टूडेंट 20 प्रतिशत बढ़े लेकिन रैंक अचानक चार गुना बढ़ गई, कैसे?
कोटा से नीट की छात्रा स्तुति सक्सेना ने कहा कि इस साल मेरे 643 नंबर आ रहे हैं जो कि सेफ स्कोर माना जाता रहा है. इस हिसाब से मेरी दस हजार रैंक आनी चाहिए जो कि 35 हजार के करीब आई है. इस साल जिस तरह रैंक तीन चार गुना बढ़ गई हैं इससे तो दिल्ली में इस साल 650 में भी नहीं मिल पाएगा जबकि पहले 620 में मिल जाता था.अब इस बढ़ी रैंक के कारण एडमिशन कहां मिल सकेगा.
4. मेरे सेंटर में 40 मिनट लेट पेपर मिला, मुझे ग्रेस मार्क्स क्यों नहीं मिले?
जयपुर के छात्र आयुष ने बताया कि सेंटर में हमें जो पेपर मिला था वो 2 बजकर 40 मिनट पर शुरू हुआ. मेरी ओएमआर पर इनविजिलेटर के सिग्नेचर हुए. 2.30 ओएमआर मिली, 2.40 से पेपर शुरू हुआ. फिर भी मुझे कोई ग्रेस मार्क्स नहीं मिले. मेरे 646 नंबर मिले हैं 720 में. मुझे भी ग्रेस मिलना चाहिए या सबका हटाया जाए. इस सेंटर में तो लिखा पढ़ी में ये बात सबको पता है कि पेपर लेट हुआ.
5. पेपर डिफिकल्टी पिछले साल जितनी ही थी, फिर 67 टॉपर्स कैसे हो गए?
मोशन इंस्टीट्यूट के संस्थापक नितिन विजय ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दर्ज की है. जिसकी सुनवाई शायद कल हो. मुझे तो यही समझ नहीं आता कि इस साल भी पिछली बार की ही तरह पेपर हुआ था, सिर्फ 2.5 लाख बच्चे बढ़े हैं. पिछली बार की तरह ही डिफिकल्टी थी फिर इतने सारे बच्चे टॉपर्स कैसे हो गए. एनटीए ने भले ही सब बहुत स्मार्टली समझाने की कोशिश की है कि एवरेज में थोड़ी बढोत्तरी हुई है. 605 नंबर में तीन गुना बच्चे बढ़ गए हैं.लेकिन कोई जवाब संतुष्ट करने वाला नहीं है.
6. नौ-दस अप्रैल को जो विंडो ओपन किया गया था,उसमें किस-किसने फिल अप किया?
विपिन सिंह संस्थापक GOAL इंस्टीट्यूट कहते हैं कि एनटीए ने जितना दिमगा अपने जवाब देने में लगाया है उतना एग्जाम को सही ढंग से कराने में लगा देते तो आज ये हालात नहीं होती. अब तो जांच यहां से शुरू होनी चाहिए कि बीते नौ दस अप्रैल को जो विंडो ओपन किया गया था,उसमें किस-किसने फिल अप किया. पेपर लीक केस में हुई एफआईआर में पटना पुलिस के पास कन्फेस लेटर है कि कैसे रात भर जवाब रटाए गए, सुबह सेम पेपर था. वो पेपर भारी पैमाने पर इंस्टा में चल रहा था. जिस पर एनटीएन ने कहा कि 4 बजकर 30 मिनट पर सोशल मीडिया में आया था. ये सब ऐसे सवाल हैं जिसके जवाब जरूर तलाशे जाने चाहिए.
7. CLAT परीक्षा का फैसला NEET के लिए आखिर सुप्रीम कोर्ट में उदाहरण के लिए क्यों रखा गया?
छात्रों के एनटीए से जो सवाल हैं, उसके जवाब भले ही तकनीकी तौर पर उन्हें दिए जा रहे हों लेकिन उन जवाबों से कोई भी सहज नहीं हो पा रहा. जैसे एक सवाल जो छात्र बार-बार पूछ रहे हैं कि वो फैसला जो क्लैट के एग्जाम में हुआ था उसका सुप्रीम कोर्ट में हवाला कैसे दिया गया.नीट की परीक्षा पेन पेपर मोड पर होती है, वहीं क्लैट ऑनलाइन एग्जाम है.
एग्जाम लिखने वाले ज्यादातर छात्र इस साल रैंक बढ़ने को लेकर परेशान हैं. छात्रा अंजलि ध्यानी ने कहा कि मेरे मार्क्स 630 हैं. इससे 13 या 16 हजार रैंक बनती है जो कि इस साल चार गुना बढ़ गई. अब एक साल में रैंक चार गुना रैंक बढ़ गई है तो जाहिर है कि एडमिशन मिलना मुश्किल हो जाएगा. अब ये सभी चीजें चल रही हैं तो लगता है कि जो सोचा था कि सीधे कॉलेज जाएंगे. वो सपना ही रह जाएगा. वहीं, सारे संस्थान संचालक को जवाब नहीं जुट रहा है कि अगले बैच को क्या बताएं कि कैसे इस साल के ट्रेंड के हिसाब से 690 नंबर लाएंगे तो ही अच्छा कॉलेज मिलेगा. लेकिन गरीब परिवारों से आने वाले बच्चों के लिए इतनी कठिन परीक्षा की तैयारी करना कितना मुश्किल होगा.
फरीदाबाद के छात्र दीपक ने कहा कि मैं डीपीएस में एग्जाम देने गया था. गाइडलाइंस देकर रखी थी कि पानी की बोतल ले जा सकते हैं, लेकिन मैं नहीं ले जा पाया.मुझे गर्मी से डिहाइड्रेशन हो गया. फिर जब देखा कि मेरे 641 नंबर आ रहे हैं तो 13 14 हजार रैंक बन जानी थी लेकिन अब वो 37000 रैंक चली गई.मैंने इतनी मेहनत की, इतनी तकलीफ सही लेकिन सब बेकार लग रहा है. 640 नंबर पाने वाले छात्र मोहसिन और 654 नबंर पाने वाले विक्रांत भी इसी चिंता से दिन रात जूझ रहे हैं.
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