NEET 2021: तमिलनाडु के बाद अब महाराष्‍ट्र में भी परीक्षा खत्‍म करने की मांग

NTA NEET: महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि NEET परीक्षा केंद्रीय बोर्ड से 12वीं पास करने वाले छात्रों के पक्ष में होती है, जबकि बाकी के छात्रों साथ भेदभाव होता है. उन्‍होंने कहा है कि NEET परीक्षा छात्रों के बीच असमानता पैदा करने वाली और अन्‍यायपूर्ण पात्रता परीक्षा है.

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NEET Scrap Demand: NEET Scrap Demand:

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 22 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:03 AM IST
  • तमिलनाडु में परीक्षा खत्‍म कर दी गई है
  • परीक्षा को भेदभावपूर्ण माना जा रहा है

NEET 2021: राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) को लेकर अब महाराष्‍ट्र में भी असंतोष दिख रहा है. तमिलनाडु में परीक्षा पर रोक के बाद अब महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने भी इसी तरह की मांग उठाई है.

न्यूज एजेंसी के अनुसार, उन्‍होंने राज्‍य में मेडिकल कोर्सेज़ में दाखिले के लिए NEET परीक्षा की अनिवार्यता को खत्‍म करने की मांग की है. उन्‍होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे तमिलनाडु की तरह मेडिकल पाठ्यक्रमों के उम्मीदवारों को NEET से छूट दें. 

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नाना पटोले ने कहा कि NEET परीक्षा केंद्रीय बोर्ड से 12वीं पास करने वाले छात्रों के पक्ष में होती है, जबकि बाकी के छात्रों साथ भेदभाव होता है. CBSE और अन्य केंद्रीय बोर्डों के छात्र अन्य या राज्य बोर्डों की तुलना में NEET परीक्षा में अधिक सफलता प्राप्त कर रहे हैं. इसके अलावा, परीक्षा का पेपर लीक होने और यहां तक ​​कि झूठी पहचान वाले छात्रों के परीक्षा में बैठने वाले डमी छात्रों के मामले भी बढ़ रहे हैं. ये सभी बातें परीक्षा की प्रामाणिकता और वैधता पर और सवाल उठा रही हैं.

पटोले ने मीडिया से कहा कि जब से देश में NEET परीक्षा शुरू हुई है, तब से तमिलनाडु के विभिन्न कॉलेजों में प्रवेश पाने वाले लगभग 71.7% छात्र बड़े पैमाने पर राज्य बोर्डों से थे जबकि CBSE के छात्रों का एडमिशन पाने का हिस्सा केवल 0.13% था. लेकिन हाल के दिनों में ये आंकड़े बदल गए हैं. 2020-21 में, प्रवेश पाने वाले सीबीएसई छात्रों की संख्या बढ़कर 26.8% हो गई और तमिलनाडु राज्य बोर्ड के छात्रों की संख्या घटकर 48.22 प्रतिशत रह गई है.

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NEET 2021 परीक्षा रद्द करने की मांग कई कारणों से जोर पकड़ रही है. केवल पेपर लीक के मामले ही नहीं बल्कि, परीक्षा की प्रकृति को भेदभावपूर्ण कहा जा रहा है जिसके चलते परीक्षा खत्‍म करने की मांग उठ रही हैं. पटोले ने कहा है कि NEET परीक्षा छात्रों के बीच असमानता पैदा करने वाली और अन्‍यायपूर्ण पात्रता परीक्षा है. यह राज्य बोर्डों के छात्रों के लिए विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, ईडब्ल्यूएस के छात्रों के लिए समस्या पैदा कर रहा है.

 

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