बच्‍चों की मेंटल हेल्‍थ को लेकर भी अब सचेत रहेंगे स्‍कूल, NCERT ने जारी किए गाइडलाइंस

जारी गाइडलाइंस मैनुअल के अनुसार, प्रत्येक स्कूल या स्कूलों के समूह को एक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार पैनल स्थापित करना चाहिए. इसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य द्वारा की जानी चाहिए और इसमें शिक्षक, माता-पिता, छात्र और पूर्व छात्र सदस्य के रूप में शामिल किए जाने चाहिए.

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NCERT Issues Guidelines on Mental health: NCERT Issues Guidelines on Mental health:

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 13 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST

पढ़ाई के साथ ही अब स्‍कूल बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर भी सचेत रहेंगे. NCERT ने इसके लिए सभी स्‍कूलों को गाइडलाइंस भी जारी कर दिए हैं. इसमें एक मेंटल हेल्‍थ एडवाइजरी पैनल की स्थापना, स्कूल-आधारित मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम और छात्रों के मानसिक स्‍वाथ्‍य को सुनिश्चित करने के लिए अभिभावकों की मदद लेना शामिल है.

स्कूली बच्चों के बीच मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा "स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रारंभिक पहचान और उनके उपचार" के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. पिछले हफ्ते शुरू की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट में स्कूली छात्रों में तनाव और चिंता के प्रमुख कारकों में परीक्षा, रिजल्‍ट और साथियों के दबाव की बातें सामने आई थीं.

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जारी गाइडलाइंस मैनुअल के अनुसार, प्रत्येक स्कूल या स्कूलों के समूह को एक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार पैनल स्थापित करना चाहिए. इसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य द्वारा की जानी चाहिए और इसमें शिक्षक, माता-पिता, छात्र और पूर्व छात्र सदस्य के रूप में शामिल किए जाने चाहिए. यह जागरूकता पैदा करेगा, और एक वार्षिक स्कूल मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की योजना और लागू भी करेगा. 

स्कूलों में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी समस्‍याओं की पहचान करने के लिए एक प्रावधान होना चाहिए. बच्‍चों के व्यवहार, मादक द्रव्यों के सेवन और सेल्‍फ-हार्म, डिप्रेशन, चिंताओं की पहचान कर प्राथमिक चिकित्सा दी जानी चाहिए. यह देखते हुए कि अधिकांश मौको पर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे जीवन के शुरुआती वर्षों में सामने आते हैं, NCERT ने कहा है कि इससे निपटने के लिए बच्‍चों के माता-पिता को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए.

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गाइडलाइंस में कहा गया है कि शिक्षकों को अकेले रहने, स्कूल आने से इनकार करना, अवसादग्रस्त रहना, आचरण में बदलाव, अत्यधिक इंटरनेट का उपयोग, बौद्धिक अक्षमता और सीखने की अक्षमता के शुरूआती लक्षणों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.

 

 

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