JEE Mains और NEET परीक्षाओं के विरोध में छात्र सोशल मीडिया पर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. मंगलवार को स्वीडिश मूल की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी स्टूडेंट्स के समर्थन में आ गईं. उन्होंने ट्विटर पर ट्रेंड हो रहे हैशटैग #PostponeJEE_NEETinCOVID का समर्थन करते हुए ट्वीट किया.
यह बहुत ही ज्यादा अनुचित है कि भारत के छात्रों को कोविड-19 महामारी के दौरान एक राष्ट्रीय परीक्षा में बैठने के लिए कहा गया है. जहां लाखों लोग भीषण बाढ़ से भी प्रभावित हुए हैं. मैं #PostponeJEE_NEETINCOVID के उनके कॉल के साथ खड़ी हूं.
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क्या है पूरा मामला, क्यों कर रहे मांग
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्रों की लिस्ट और जरूरी गाइडलाइन 21 अगस्त को जारी कर दी है. इस परीक्षा को लेकर प्रतियोगी छात्र और उनके अभिभावक लगातार अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. कोरोना संकट काल को देखते हुए प्रतियोगी छात्रों का तर्क है कि इतने बड़े स्तर का एग्जाम कराने से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.
इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पक्ष में आने के बाद से विरोध और तेज हो गया है. बता दें कि राहुल गांधी ने कल इस पर कहा था कि सरकार को छात्रों के 'मन की बात' सुननी चाहिए और "स्वीकार्य समाधान" पर पहुंचना चाहिए. उनकी पार्टी ने मांग की कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) को स्थगित कर दिया जाए_
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) के अनुसार, 4,200 से अधिक छात्रों ने अपने-अपने घर पर दिन भर की भूख हड़ताल की, जिसमें मांग की गई कि कक्षा 10 और 12 सितंबर की सीबीएसई कंपार्टमेंट परीक्षाएं रद्द कर दी जाएं और यूजीसी-नेट, CLAT, NEET और JEE को स्थगित किया जाए.
छात्रों ने सोशल मीडिया पर भी #SATYAGRAHagainstExamInCovid के जरिये सरकार से अपनी मांगों पर ध्यान देने की अपील की. ट्विटर पर कर्नाटक के एक जेईई उम्मीदवार ने कहा कि हमें सुबह 7 बजे जेईई परीक्षा केंद्र को रिपोर्ट करना होगा. मेरा केंद्र लगभग 150 किलोमीटर दूर है और वर्तमान में कोई ट्रेन या बस सेवा उपलब्ध नहीं है. मेरे कई दोस्तों ने कहा है कि उनके केंद्र 200 से 250 किलोमीटर दूर हैं. अब हम कैसे वहां पहुंच पाएंगे. इसके अलावा छात्र ये सवाल भी उठा रहे हैं कि सात से आठ घंटे तक मास्क पहनकर परीक्षा कैसे लिखेंगे?
कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग
ग्रेटा अर्नमैन थनबर्ग स्वीडन की एक स्कूली छात्रा हैं. ग्रेटा को 2018 में जलवायु परिवर्तन और उससे हो रहे दुष्प्रभावों को नजरअंदाज करना इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने इसके खिलाफ अभियान छेड़ दिया. इसकी शुरुआत तब हुई जब स्वीडन में राष्ट्रीय चुनाव होने वाले थे. इसी समय ग्रेटा ने जानलेवा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ झंडा बुलंद करने की ठानी. ग्रेटा अपने स्कूल के सामने ही धरने पर बैठ गईं.
इसकी शुरूआत उन्होंने अकेले ही की थी. लेकिन एक स्कूली छात्रा के बुलंद हौसलों को देखते हुए धीरे धीरे लोग इस अभियान से जुड़ते गए. आज आलम ये है कि 100 से भी ज्यादा देशों के 1600 से ज्यादा समूह ग्रेटा के समर्थन में धरने कर रहे हैं. जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ग्रेटा के इस अभियान ने पूरी दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है.
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