मजदूर के बेटे की JEE मेन्स में 658 रैंक, झोपड़ी में रहकर की पढ़ाई, कोटा से मिली मदद के बाद इंजीनियर बनेेंगे अंश

JEE Mains Success Story: उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले के एक छोटे से मोहल्ले में रहने वाले अंश का संघर्ष उसकी उम्र से कहीं बड़ा था. अंश के पिता किसी एक काम में नहीं टिक सके, कभी चौकीदार, कभी खेत मजदूर, तो कभी दिहाड़ी पर ₹200-₹500 की मजदूरी. कई दिन ऐसे भी आए जब उन्हें मेहनत के बावजूद कुछ नहीं मिला लेकिन हार नहीं मानी. आज उनके बेटे ने जेईई मेन्स में सफल होकर पिता को राहत की सांस लेने का मौका दिया है.

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JEE Mains AIR 658 JEE Mains AIR 658

चेतन गुर्जर

  • कोटा,
  • 23 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST

जहां कई बच्चे सफलता की कहानियां एयर-कंडीशनर कमरों से लिखते हैं, वहीं बरेली के एक छोटे से मोहल्ले में रहने वाले अंश प्रताप ने झोपड़ी से कोटा तक का सफर तय कर इतिहास रच दिया. JEE Main 2024 में अंश ने 658वीं ऑल इंडिया रैंक हासिल कर यह साबित कर दिया कि मेहनत, हौसले और सही मार्गदर्शन के आगे संसाधनों की कमी भी हार मान लेती है.

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अंश के पिता राजमिस्त्री, खेत मजदूर, चौकीदार जो भी काम मिला, उसी से घर चलाया. कभी ₹200 की दिहाड़ी, तो कभी खाली हाथ वापस लौटना लेकिन इन सबके बीच भी उन्होंने बेटे के सपने को कभी मरने नहीं दिया. आजतक.इन से बातचीत के दौरान अंश ने कहा, "रात को जब पापा थके हुए लौटते थे और मैं एक कोने में बैठकर पुराने पन्नों से पढ़ाई करता था, तब बस एक ही सपना आंखों में होता था IIT.'

असफलता से मिली सीख, मोशन से मिला संबल

पिछले साल बिना किसी कोचिंग और सुविधा के अंश ने पहली बार JEE दिया. परिणाम संतोषजनक नहीं था लेकिन उसी असफलता ने उन्हें सिखाया कि सही मार्गदर्शन जरूरी है. तभी मोशन एजुकेशन कोटा की ओर से मिली एक स्कॉलरशिप ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी ₹21,000 की स्कॉलरशिप ने उन्हें न सिर्फ कोचिंग की सुविधा दी, बल्कि सपनों पर यकीन करने का कारण भी. अंश ने कहा, "जब स्कॉलरशिप का कॉल आया, माँ पहली बार मुस्कुराईं पहली बार लगा कि मैं वाकई कुछ कर सकता हूं."

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कोटा में संघर्ष, फिर सफलता

कोटा पहुंचकर अंश को नए माहौल, पढ़ाई के दबाव और मानसिक संघर्षों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी हर दिन, हर परीक्षा को एक चुनौती मानकर वो डटा रहा और आखिरकार उसी संघर्ष ने रंग लाया. मोशन एजुकेशन के संस्थापक और सीईओ नितिन विजय कहते हैं,  
"हमारा मानना है कि टैलेंट हर गली-कूचे में है हर बच्चा टॉपर बन सकता है, उसे बस एक मौका चाहिए मोशन की कोशिश रहती है कि बच्चों की फीस नहीं, उनकी काबिलियत देखी जाए". 

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