इमरजेंसी के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लोहा लेने वाले और संपूर्ण क्रांति आंदोलन की अलख जगाने वाले भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता के बारे में अब युवा पीढ़ी सबकुछ जान सकेगी. अब उन पर अध्ययन और शोध होने के साथ ही क्लासेस भी चलेंगीं.
बीएचयू में देश के पहले जेपी सेंटर के खुलने का रास्ता साफ हो चुका है क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से काशी हिंदू विवि के सामाजिक विज्ञान संकाय से सेंटर के संपूर्ण प्रस्ताव की डिमांड की गई है. संकाय ने 100 करोड़ रुपयों के इस जेपी सेंटर का प्रस्ताव इस इच्छा के साथ भेज दिया है कि इसका शिलान्यास पीएम मोदी के हाथों से ही हो. शिलान्यास के साथ ही यह जेपी सेंटर 6 महीनों में बनकर तैयार भी हो जाएगा.
लंबे वक्त से बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय में बनने वाले जयप्रकाश नारायण फॉर स्टडीज आफ एक्सीलेंस एंड ह्यूमिनिटी की मांंग हो रही थी. सरकार की ओर से सेंटर स्थापना का पूर्ण प्रस्ताव मांगने पर बीएचयू की सामाजिक विज्ञान संकाय की ओर से 100 करोड़ रुपयों का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया.
इस बारे में जानकारी देते हुए BHU सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार के 2014-15 के बजट में जयप्रकाश नारायण नेशनल सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन हयूमैनिटिज़ का प्रस्ताव था. किन्हीं कारणों से इसमें देर हो गई. तीन महीने पहले भारत सरकार ने इस सेंटर का प्रस्ताव हमारे पास भेजा कि प्राथमिकता के आधार पर त्वरित कार्रवाई करते हुए इस सेंटर का प्रस्ताव बनाकर भेजें. उन्होंने आगे बताया कि यह करीब 100 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है और देश में यह पहला ऐसा सेंटर होगा जो जयप्रकाश नारायण के जीवन पद्धति, संपूर्ण क्रांति, इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन और लोकतंत्र के बचाव, भारत के सभी समाजवादी, राष्ट्रवादी, सांस्कृतिक आंदोलनों के संदर्भ में इस केंद्र की स्थापना की जाएगी.
सामाजिक विज्ञान संकाय बीएचयू के डीन प्रोफ़ेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि यह सेंटर अपने आप में अद्भुत होगा. अगर देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तुलना में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में खुलने वाला यह पहला सेंटर होगा जो जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण व्यक्तित्व, विचारों, क्रांति पर अध्ययन और शोध करेगा. इसमें कक्षाएं भी चलेंगी साथ ही एमए का एक कोर्स भी इंट्रोड्यूस किया जाएगा ताकि एक नए ढंग का आयाम जुड़ सकें. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह काशी हिंदू विश्वविद्यालय को भारत सरकार की ओर से दिया गया अनुपम भेंट है.
उन्होंने बताया कि इस केंद्र का लाभ नई पीढ़ी को होगा क्योंकि नई पीढ़ी जयप्रकाश नारायण के महान योगदान को नहीं जानती. उस दौर में जब भारत में लोकतंत्र को दबाने और समाप्त करने का प्रयास किया गया था जिसके खिलाफ जयप्रकाश नारायण खड़े हुए थे. ये सब नई पीढ़ी नहीं जानती है. अगर नई पीढ़ी भारत के इन चिंतनकर्ताओं को नहीं जाने जिन्होंने अपने भारत के निर्माण में अभूतपूर्व भूमिका दी है तो ऐसी शिक्षा का क्या मतलब है? इस तरह का केंद्र भारतीयता, भारत के इतिहास की खोज में शोध में प्रेरित करने का काम करता है और पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को प्रभावित करता है.
जयप्रकाश नारायण कोई सामान्य व्यक्ति नहीं थे. संपूर्ण क्रांति से लेकर सर्वोदय तक की उनकी यात्रा है. वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी अभूतपूर्व भूमिका है. आज हम उन भूमिकाओं को भूल गए हैं? इन्हीं भूमिकाओं को स्पष्ट करने के लिए और नई पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए कि राष्ट्र को सबसे ऊंचा मानना और उत्कृष्ट करने का प्रयोग करना इस सेंटर का उद्देश्य है जिसको भारत सरकार ने हमें दिया है हम उसका स्वागत करते हैं.
रोशन जायसवाल