CBSE बोर्ड के 12वीं के एग्जाम कोरोना के कारण रद्द हो गए हैं. लेकिन अभी बच्चों का रिजल्ट किस तरह तैयार किया जाएगा, इसके नियमों को साफ नहीं किया गया है. सीबीएसई के सेक्रेटरी अनुराग त्रिपाठी का कहना है कि CBSE को मार्किंग क्राइटेरिया तय करने के लिए दो हफ्ते का वक्त लगेगा. एक्सपर्ट सभी पहलुओं को देखकर ही अंतिम फैसला लेंगे.
बता दें कि मंगलवार को बोर्ड परीक्षाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में अहम फैसला हुआ था. इस बैठक में सीबीएसई के चेयरमैन के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रकाश जावड़ेकर भी मौजूद थे.रिजल्ट को लेकर पीएम ने बैठक में कहा था कि अब सभी हितधारकों को छात्रों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है. पीएम ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि परिणाम अच्छी तरह से परिभाषित मानदंडों के अनुसार निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से तैयार किए जाएं.
व्यापक परामर्श प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात की सराहना की कि भारत के कोने-कोने से सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद एक छात्र हितैषी निर्णय लिया गया है. उन्होंने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने के लिए राज्यों को भी धन्यवाद दिया.
इससे पहले CBSE रिजल्ट को लेकर नियम कब आएंगे और किस आधार पर बच्चों को पास किया जाएगा. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है. केंद्र सरकार, CBSE और ICSE बोर्ड ने अदालत से कुछ वक्त मांगा है ताकि वह रिजल्ट के लिए एक सही और सटीक क्राइटेरिया तैयार कर सकें.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि इसके लिए इतना वक्त क्यों चाहिए, पिछले साल भी इसी आधार पर बच्चों को रिजल्ट दिया गया था. ऐसे में अधिक वक्त क्यों चाहिए.याचिकाकर्ता की ओर से वकील ममता शर्मा ने कहा कि इस वक्त करीब सवा करोड़ बच्चे स्टेट बोर्ड में पढ़ रहे हैं, लेकिन स्टेट बोर्ड ने परीक्षाओं और पासिंग क्राइटेरिया पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि रिजल्ट को लेकर देशव्यापी एक ही क्राइटेरिया होना चाहिए.
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