कभी दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था माने जाने वाले अमेरिका में अब नौकरियों और मंदी की चिंता गहराती जा रही है. एक समय था जब कंपनियां रिकॉर्ड स्तर पर भर्तियां कर रही थीं, लेकिन अब हालात पलट चुके हैं, अब नौकरियां कम और छंटनियां ज्यादा हो रही हैं. तकनीकी, खुदरा और सरकारी क्षेत्रों में लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं. फेडरल रिजर्व की ऊंची ब्याज दरें जहां महंगाई पर नियंत्रण लाने की कोशिश कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर रोजगार और आवास बाजार (Housing Market) को कमजोर कर रही हैं.
खतरे में हाउसिंग मार्केट
पिछले साल तक अमेरिका में नौकरी का हाल कुछ ऐसा था कि "नई नौकरियां नहीं मिल रहीं, लेकिन लोग नौकरी से निकाले भी नहीं जा रहे". लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अब ऐसा लग रहा है कि "नई नौकरियां नहीं मिल रहीं, बल्कि ज्यादा लोगों को निकाला जा रहा है. यही वजह है कि अब फेडरल रिजर्व के पास ब्याज दरें घटाने का मौका बढ़ गया है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था "बदलाव के दौर" में है, लेकिन यह बदलाव हर किसी के लिए समान नहीं. मकान बाजार मंदी में, लाखों नौकरियां खतरे में, और फेडरल रिजर्व की नीतियों पर बढ़ती आलोचना ये सब मिलकर बताते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए आने वाला समय आसान नहीं होने वाला.
बड़ी कंपनियां भी कर रही भारी छंटनी
हाल ही में कई बड़ी कंपनियों ने हज़ारों कर्मचारियों की छंटनी की है. अमेजन ने 14,000 कर्मचारियों को निकालने का ऐलान किया है और अगले साल और कटौती की बात कही है. यूपीएस (डिलीवरी कंपनी) ने बताया कि उसने पिछले एक साल में 48,000 लोगों की नौकरी खत्म की है. इंटेल में करीब 25,000 लोग, माइक्रोसॉफ्ट में 15,000 लोग और एक्सेंचर में 11,000 लोग नौकरी से निकाले जा रहे हैं. इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन भी कई सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां खत्म कर रहा है.
लगभग 9.5 लाख नौकरियां घटाने का ऐलान
एक रिपोर्ट (चैलेंजर, ग्रे एंड क्रिसमस) के मुताबिक, जनवरी से सितंबर के बीच अमेरिका की कंपनियों ने लगभग 9.5 लाख नौकरियां घटाने का ऐलान किया है. सबसे ज्यादा असर सरकारी विभागों, टेक्नोलॉजी कंपनियों और खुदरा (रिटेल) क्षेत्र पर पड़ा है. हालांकि, इनमें से ज्यादातर छंटनियों की घोषणा साल के शुरुआत में की गई थी. लेकिन ये आंकड़े दिखाते हैं कि अमेरिका में नौकरियां कम हो रही हैं और यही बात फेडरल रिजर्व प्रमुख जेरोम पॉवेल के विचार को मजबूती देती है कि अब रोजगार में गिरावट का खतरा, महंगाई बढ़ने के खतरे से ज़्यादा बड़ा है.
इन वजहों से हो रही छंटनी
मंदी की चपेट में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्र
आपको बता दें कि अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा, "मुझे लगता है कि हम अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्र मंदी की चपेट में हैं. बेसेंट ने आगे कहा कि मकान और प्रॉपर्टी वाला सेक्टर वास्तव में मंदी की चपेट में है, जिसका सबसे ज़्यादा असर निम्न-स्तरीय उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है. नेशनल एसोसिएशन ऑफ रियलटर्स के अनुसार, सितंबर में अमेरिका में घरों की बिक्री लगभग बराबर (स्थिर) रही- यानी न बढ़ी, न घटी.
वित्त सचिव ने कहा कि अभी अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक बदलाव के दौर (transition period) से गुजर रही है. पिछले हफ्ते फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने इशारा दिया था कि दिसंबर की बैठक में ब्याज दरों में और कटौती नहीं की जाएगी. इस बयान के बाद वित्त सचिव स्कॉट बेसेन्ट और ट्रंप प्रशासन के अन्य अधिकारियों ने फेड की कड़ी आलोचना की.
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने फेडरल रिजर्व (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) से कहा कि ब्याज दरों को जल्दी घटाना चाहिए. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था ठीक चल रही है, लेकिन कुछ सेक्टर मुश्किल में हैं. फेड की नीतियों ने असमानता (inequality) भी बढ़ा दी है. उन्होंने आगे बताया कि ऊंची होम लोन दरें (Mortgage rates) घर खरीदने के बाजार के लिए बड़ी रुकावट बन गई हैं. इसके कारण आवास क्षेत्र (housing sector) कमजोर पड़ गया है. इसका सबसे ज्यादा असर कम आय वाले लोगों पर पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास संपत्ति नहीं होती, बल्कि कर्ज होता है.
अमेरिका की मौजूदा आर्थिक स्थिति का सबसे ज़्यादा असर किन क्षेत्रों (sectors) पर पड़ेगा और किस सेक्टर के लोगों की नौकरियां खतरे में हैं, चलिए जानते हैं.
1. टेक्नोलॉजी सेक्टर (Technology Sector)
सबसे ज्यादा छंटनी टेक्नोलॉजी सेक्टर कंपनियां जैसे अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, एक्सेंचर और अन्य टेक कंपनियों में हो रही हैं. नौकरी जाने का कारण AI के इस्तेमाल से कई काम अब मशीनें कर रही हैं. इसके साथ ही महामारी के समय जरूरत से ज्यादा भर्तियां हुई थीं, अब उन्हें कम किया जा रहा है. मुनाफा घटने के कारण खर्च कम करने की कोशिश की जा रही है. जिसका असर सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डेटा एनालिस्ट, प्रोजेक्ट मैनेजर जैसे प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा.
2. खुदरा (Retail) सेक्टर
लोगों की खरीद क्षमता घटने से दुकानों और ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री में कमी आई है. महंगाई और ब्याज दरें बढ़ने से लोग गैर-जरूरी चीजें खरीदने से बच रहे हैं. जिसका असर सेल्स स्टाफ, स्टोर मैनेजर, सप्लाई चेन और डिलीवरी वर्कर्स की नौकरियों पर दिख रहा है.
3. सरकारी क्षेत्र (Government Sector)
ट्रंप प्रशासन ने कई सरकारी विभागों में कर्मचारियों की संख्या घटाने का ऐलान किया है. जिसका असर मध्यम और निचले स्तर के सरकारी कर्मचारी, जो प्रशासनिक और सपोर्ट सेवाओं में काम करने वाले लोगों पर पड़ेगा.
4. हाउसिंग और प्रॉपर्टी सेक्टर (Housing & Real Estate)
ऊंची ब्याज दरों और महंगे होम लोन के कारण घर खरीदने वाले घट गए हैं. निर्माण कार्य (Construction) और रियल एस्टेट बिक्री दोनों पर असर पड़ा है. जिसका असर रियल एस्टेट एजेंट, बिल्डर, आर्किटेक्ट, बैंकिंग और लोन एजेंट्स, और कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की नौकरियों पर पड़ेगा.
5. मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर
उत्पादन में कमी और कम ऑर्डर के कारण कई कंपनियां उत्पादन घटा रही हैं. यूपीएस जैसी डिलीवरी कंपनियों ने हजारों लोगों की नौकरियां खत्म की है. जिसका असर फैक्ट्री वर्कर, ड्राइवर, पैकिंग और शिपिंग कर्मचारी पर पड़ेगा.
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