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एजुकेशन न्यूज़

क्‍या अमेरिकी राष्‍ट्रपति अपनी इच्‍छा से परमाणु बटन दबा सकता है, जानें नियम

aajtak.in
  • नई द‍िल्‍ली,
  • 21 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 4:00 PM IST
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अमेरिकी राष्‍ट्रपति की चुनाव प्रक्र‍िया का खास अंग यानी इनॉगरेशन डे कल पूरा हो गया. इस खास दिन पर पूर्व राष्‍ट्रपति नये राष्‍ट्रपति को न्यूक्लियर फुटबॉल सौंपता है. इस न्‍यूक्लियर फुटबॉल को एक तरह से अमेरिका की परमाणु शक्‍त‍ियों का प्रतीक माना जाता है. आइए जानते हैं कि क्‍या अमेरिकी राष्‍ट्रपति के पास ये शक्‍त‍ि होती है कि वो कभी भी न्‍यूक्‍ल‍ियर बटन दबा सकता है, जानें नियम. 

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अमेरिका पूरी द‍ुनिया में अपनी परमाणु शक्‍तियों के लिए भी जाना जाता है. अमेरिका में न्यूक्लियर बटन को 'न्यूक्लियर फुटबॉल' कहा जाता है. एक ब्रीफकेस में सिंबोलिक तौर पर जब भी अमेरिका का राष्ट्रपति कहीं जाता है या व्हाइट हाउस में होता है तो उसके साथ ये फुटबॉल भी होता है. बताते हैं कि उस काले रंग के ब्रीफकेस में एक सिस्टम होता है, जिसमें लांच कोड डालना होता है.

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वैसे बता दें कि तकनीकी तौर पर ऐसा कोई बटन नहीं है. अमेरिका में कुछ तयशुदा नियमों व प्रक्रियाओं के पालन और हाइटेक इक्विपमेंट्स के जरिए राष्‍ट्रपति सेना को न्यूक्लियर हमले का निर्देश दे सकता है. इन इक्विपमेंट्स के इस्तेमाल का मकसद यही है कि अमेरिकी सेना इस बात की पुष्टि कर सके कि आदेश देने वाले खुद उनके कमांडर इन चीफ यानी राष्‍ट्रपति हैं.

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वैसे अमेरिका में क‍िसी भी युद्ध की घोषणा करने का अधिकार अमेरिकी कांग्रेस के पास होता है. ये अध‍िकार पूरी तरह राष्ट्रपति के पास नहीं होता है. लेकिन इत‍िहास में कुछ राष्ट्रपतियों ने आधिकारिक तौर पर जंग का ऐलान न करते हुए सैन्य टुकड़ियों को मोर्चे पर भेजा है.

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अब तक अमेरिकी कांग्रेस ने सिर्फ पांच बार जंग का ऐलान किया है. वहीं राष्ट्रपतियों ने बिना जंग की घोषणा किए 120 बार से ज्यादा सेना को जंग में भेजा है.

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ब्रीफकेस में क्‍या होता है
अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ चलने वाले काले रंग का ब्रीफकेस में काफी कुछ होता है. इसमें युद्ध के तैयार प्‍लान से लेकर हमले की मंजूरी देने के कम्प्यूटर कोड्स और कम्यूनिकेशन डिवाइस होते हैं. इसका वजन करीब 20 किलो होता है.

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ये न्‍यूक्‍ल‍ियर फुटबॉल राष्ट्रपति का कोई बेहद नजदीकी ही साथ लेकर चलता है. वाइट हाउस में हों, कार में, हवाई यात्रा पर हों या विदेश में, यह सूटकेस हमेशा उनके साथ होता है. राष्ट्रपति का ये सहयोगी उनके साथ एक ही लिफ्ट में चलता है और उसी होटल में ठहरता है, जहां वे ठहरे हों. राष्ट्रपति को सुरक्षा देने वाले सीक्रेट सर्विस के अधिकारी राष्‍ट्रपति के साथ साथ ब्रीफकेस लेने वाले व्‍यक्‍त‍ि की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी भी उठाते हैं. सूटकेस एक लेदर स्ट्रैप के जरिए उसके हाथों से बंधा होता है.

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बताया जाता है कि इस ब्रीफकेस मे ही एक बिस्किट नुमा कार्ड होता है, जिस पर न्यूक्लियर लॉन्च कोड्स लिखे होते हैं. इस कार्ड को अमेरिकी राष्ट्रपति हमेशा अपने पास रखते हैं. राष्ट्रपति के असमर्थ होने पर किसी भी भयानक स्थिति से निपटने के लिए ऐसा ही एक न्यूक्लियर फुटबॉल उप राष्ट्रपति के पास भी होता है.

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ऐसा कहा जाता है क‍ि अमेरिकी राष्ट्रपति के न्यूक्लियर हमला शुरू करने के अधिकार पर रोक लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. फिर भी कुछ तरीके ऐसे हैं जिनके जरिए उनके फैसले की रफ्तार को धीमा किया जा सकता है. अगर ऐसा लगता है कि अमेरिका पर न्यूक्लियर हमले का खतरा है तो इसकी गंभीरता को आंकते हुए जवाबी कार्रवाई का फैसला करने के लिए राष्ट्रपति के पास कुछ मिनटों का ही वक्त होता है.

 

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इन चंद मिनटों में राष्‍ट्रपति के एक इशारे पर 925 न्यूक्लियर बम पूरी दुनिया में तबाही मचाने के लिए लॉन्च हो सकते हैं. ये बम हिरोशिमा में फटे बम से 17 हजार गुना ज्यादा तबाही मचा सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चाहें तो न्यूक्लियर हमले की पहल भी कर सकते हैं. लेकिन ये इतना भी आसान नहीं है, इसके लिए राष्‍ट्रपति को एक तय कानूनी प्रक्र‍िया से गुजरना होता है.

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